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आंसुओं के सैलाब में बह गईं गुड़िया की सिसकियां, खामोश हो गए खिलौने

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Published on: 1 Jun 2016 1:13 PM GMT
आंसुओं के सैलाब में बह गईं गुड़िया की सिसकियां, खामोश हो गए खिलौने
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लखनऊ: आज गुड़िया खुश नहीं है, शायद ऐसे ही किसी नाम से मनसा रोज सुबह उसे पुकारती थी। उसे उठाकर चूमती थी। लेकिन आज गुड़िया को ये समझ में नहीं आ रहा था कि अभी तक वो क्यों नहीं आई।

घर में उसे कुछ अजनबी लोगों की चहलकदमी भी दिख रही थी, लेकिन उन सभी अजनबी चेहरों में उसे वो चेहरा नजर नहीं आया जो उससे रोज खूब सारी बातें करता था। अचानक किसी का हाथ लगा और गुड़िया जमीन पर जा गिरी। तब उसने महसूस किया कि वो अकेली नहीं थी जो उदास थी। घर में रखे और भी खिलौने बिखरे पड़े थे, लेकिन उनसे खेलने वाला कोई नहीं था।

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गुड़िया ने सबसे पूछा, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया और जवाब देता भी कैसे, एक मनसा ही तो थी जो उसकी बात को समझ पाती थी। तभी गुड़िया की नजर एक चेहरे पर पड़ी। इस चेहरे को वो अच्छे से पहचानती थी, वो मनसा थी। लेकिन आज वो कुछ बोल नहीं रही थी।

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गुड़िया ने कई बार उसे पुकारा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, मनसा नहीं उठी। रोते हुए लोगों को देखकर गुड़िया समझ गई कि मनसा अब कभी नहीं बोलेगी। बेबस और लाचार उसकी मां वहीं पास में बैठी थी। बीच-बीच में वो बेहोश हो जाती थी, पास में खड़े लोग फिर होश में लाकर उसे सच्चाई से रूबरू करा देते।

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दूर जमीन पर पड़ी गुड़िया सिसकियां ले रही थी लेकिन उसे समझने वाली मनसा इस दुनिया से बहुत दूर जा चुकी थी। वो भी मनसा की मां को देखकर बार-बार यही सोच रही थी, कि 'जिंदगी में कुछ हादसे ऐसे भी होते हैं जिनमें इंसान बच तो जाता है लेकिन जिंदा नहीं रहता है।'

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कौन थी मनसा ?

गौरतलब है कि बुधवार सुबह थाना ठाकुरगंज के कैम्पवेल रोड पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ। मौरंग लदा ट्रक पलटने से सड़क किनारे सो रहे चार बच्चों समेत एक महिला की मौत हो गई। इन्हीं मृतक बच्चों में से एक थी मनसा। मनसा अब इस दुनिया में नहीं रही। मनसा अपने पीछे रोते छोड़ गई अपने परिवार और अपनी गुड़िया को, जिसकी सिसकियां कोई नहीं सुन सका।

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