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सावधान! विदेशी गाय का दूध पिया तो हो सकता है ह्रदय रोग और मधुमेह

अधिक दूध पीने की लालच में अगर आपने विदेशी नस्ल की गायें पाल रखी हैं या फिर आप इन गायों का दूध पी रहे हैं तो अब सावधान होने का वक्त आ गया है।

tiwarishalini
Published on: 1 July 2017 6:53 PM IST
सावधान! विदेशी गाय का दूध पिया तो हो सकता है ह्रदय रोग और मधुमेह
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सावधान! विदेशी गाय का दूध पिया तो हो सकता है ह्रदय रोग और मधुमेह

योगेश मिश्र

लखनऊ: अधिक दूध पीने की लालच में अगर आपने विदेशी नस्ल की गायें पाल रखी हैं या फिर आप इन गायों का दूध पी रहे हैं तो अब सावधान होने का वक्त आ गया है।

हालिया शोध इस बात का खुलासा करते हैं कि देशी नस्ल की गायों का दूध विदेशी नस्ल की गायों के दूध से न केवल ज्यादा पौष्टिक होता है बल्कि विदेशी नस्ल की गायों का दूध पीने से मधुमेह, ह्रदय के रोग और तंत्रिकातंत्र में विकार की बीमारियों के खतरे बने रहते हैं। इसकी वजह विदेशी नस्ल की गायों के दूध में ए 2 बीटा केसिन का न पाया जाना है।

केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पशुधन विशेषज्ञ प्रो. पी के उप्पल ने यह सलाह दी है कि राज्य सरकारों को चाहिए कि वे देशी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने पर जोर दें।

उन्होंने बताया कि दुनिया भर में भारतीय नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने पर इस से काम चल रहा है। भारतीय नस्ल की गायें इस समय दिया के लोगों की पसंद बनती जा रही हैं। होलीस्टीन, फ्रीजियन और जर्सी नस्ल की गायों के दिन अब खत्म हो गए।

इस विषय पर डॉ. उप्पल का शोध बताता है कि दूध में वसा, लैक्टोज़, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस और क्लोराइड आदि तत्वों के साथ ही दो तरह के महत्वपूर्ण प्रोटीन-केसिन और वे- प्रोटीन भी पाए जाते हैं।

दूध में केसिन की मात्रा 80 फीसदी और वे प्रोटीन की मात्रा 20 फीसदी होती है। केसिन में भी अल्फ़ा-1, अल्फ़ा-2 , बीटा और कम्पा तत्व पाए जाते हैं।

भारतीय नस्ल की गायों के दूध में ए 2 बीटा केसिन मिलता है। विदेशी नस्ल की गायों में ए 1 बीटा केसिन पाया जाता है। भारतीय नस्ल की शाहीवाल सरीखी गाय और भैंसों की कई प्रजातियों के दूध में ए 2 बीटा केसिन की मात्रा ज्यादा होती है। इसको ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक प्रोटीन में शुमार किया जाता है।

हालिया शोध यह बताते हैं कि ए 1 बीटा केसिन वाला दूध पीने से ह्रदय रोग, मधुमेह, बच्चे की अचानक मौत और तंत्रिकातंत्र में गड़बड़ी सरीखी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।

यही नहीं, न्यूजीलैंड में मिल्क पाऊडर बनाने वाली कंपनियां बच्चों के लिए ए 2 बीटा केसिन वाला दूध तैयार कर रही हैं। वहा पर पाउडर का दूध बेचने के लिए किए जा रहे प्रचार में इसे खासतौर पर रेखांकित किया जाता है।

केसिन दूध में वह पदार्थ होता है जिसके चलते दूध जमा रहता है। जबकि वे प्रोटीन के जरिए दूध से छाछ का हिस्सा तैयार होता है।

होलीस्टीन और जर्सी गायों के दूध में मिलने वाले पदार्थो की तुलना की जाए तो साफ़ होता है कि भारतीय नस्ल की गाय के दूध में 0.8 प्रतिशत वसा अधिक होती है।

देशी गाय के कम दूध देने की वजह ही वसा का अधिक होना है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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