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खतरे के निशान के पार पहुंची गंगा-यमुना, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
पिछले चार दिनों से लगातार हो रही बारिश और मध्य प्रदेश के सतना जिले से छोड़े गए 5,400 क्यूसेक पानी के कारण इलाहाबाद में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गुरूवार शाम तक इलाहाबाद में गंगा खतरे के निशान (84.34मीटर) से ऊपर उठ (84.79) मीटर के स्तर पर पहुंच गई। वहीं यमुना का जलस्तर भी 84.33 मीटर के स्तर पर पहुंच गया है। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने सेना को अलर्ट कर दिया है।
इलाहाबाद: पिछले चार दिनों से लगातार हो रही बारिश और मध्य प्रदेश के सतना जिले से छोड़े गए 5,400 क्यूसेक पानी के कारण इलाहाबाद में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गुरूवार शाम तक इलाहाबाद में गंगा खतरे के निशान (84.34मीटर) से ऊपर उठ (84.79) मीटर के स्तर पर पहुंच गई। वहीं यमुना का जलस्तर भी 84.33 मीटर के स्तर पर पहुंच गया है। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने सेना को अलर्ट कर दिया है।
गंगा-यमुना और टोंस में ऊफान के कारण जिले के हजारो लोग प्रभावित हैँ। पीएसी और एनडीआरएफ की टीमें बचाव और राहत कार्य में लगी हैं। दोनों नदियों का जलस्तर तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। अगले चौबीस घंटे बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
इस पर जिला प्रशासन ने गंगापार और यमुनापार में अलर्ट जारी कर दिया है। अधिकारी बाढ़ के खतरे वाले इलाकों में कैंप कर रहे हैं। शहर के कई इलाकों में जल निकासी के इंतजाम कराए गए हैं। गोताखोर और नाव लगाकर राहत शिविर बनाने का काम बुधवार रात से ही शुरू करा दिया गया है। इसके साथ ही बाढ़ चौकियां बनाकर पेट्रोलिंग कराई जा रही है।
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बाढ़ और जलभराव के कारण इलाहाबाद के कई इलाकों में गंगा और यमुना के तट पर बसे दारागंज, नागवासुकी मंदिर, बक्शी बांध, बक्खी कलां, बक्खी खुर्द करैलबाग, चांदपुर सलोरी, बघाड़ा, नीवा, करैली इलाके के लोग मुश्किल में है।
इलाहाबाद के डीएम संजय कुमार द्वारा बाढ़ इलाकों के साथ-साथ बाढ़ पीडितों के लिए शहर में बने पांच शरणालयों (छोटा बघाड़ा में एनी बेसेंट स्कूल, ऋषिकुलम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, महफूज इंटर कॉलेज बेली रोड, ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज और स्वामी विवेकानंद अशोक नगर) का भी निरीक्षण कर वहां पर बिजली, पानी, शौचालय, दवाईयां और खाने-पीने जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं देने के लिए एडीएम, एसडीएम, सीएमओ और तहसीलदार को निर्देशित किया है।
प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी पिछले लगभग एक सप्ताह से बारिश थमी नहीं है। इसका असर मध्य प्रदेश से इलाहाबाद की ओर बहने वाली नदियों पर साफ दिख रहा है। यमुनापार इलाके में बहने वाली टोंस नदी का दायरा अपनी सहायक नदियों लपरी और लोनी में बढ़े हुए पानी के कारण काफी बढ़ गया है।
इसके कारण इससे सटे हुए इलाकों मेजा, कोरांव और बारा तहसील के दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हैं। इन गांवों में बारिश और बाढ़ के कारण कई मकान भी गिरे हैं। बाढ़ से घिरे इन गांवों से लगभग एक हजार लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। हालांकि राहत शिविरों में उन्हें पर्याप्त खाद्य सामग्री नहीं मिल पा रही है।