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'Contractor Driven Project' बनी गोमती रिवर फ्रंट योजना

suman
Published on: 6 July 2016 8:45 AM GMT
Contractor Driven Project बनी गोमती रिवर फ्रंट योजना
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लखनऊ: भले ही यूपी सरकार गोमती नदी का सौंदर्यीकरण कराने को गोमती रिवर फ्रंट योजना चलाने का दावा कर रही है पर मौजूदा समय में यह परियोजना 'Contractor Driven Project' बन कर रह गई है। यह हम नहीं कर रहे बल्कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों के दावे ही उनकी पोल खोल रहे हैं।

दरअसल, मंगलवार शाम समतामूलक चौराहे के पास लोहिया पुल का करीब चार मीटर लंबा और डेढ मीटर चौड़ा हिस्सा धंस गया। जिससे सड़क पर आने जाने वालों की लम्बी कतार लग गई। इस मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारी खुद को दूध का धुला साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं और सारा ठीकरा ठेकेदारों पर फोड़ने की तैयारी की जा रही है। कहा जा रहा है कि यह सब ठेकेदार की गल्ती है। पुल के नीचे से मिटटी हटाए जाने की जानकारी इंजीनियरों तक को नहीं थी। इससे स्पष्ट है कि कांट्रैक्टर ही यह प्रोजेक्ट चला रहे हैं।

सिंचाई विभाग को एनओसी न लेने की पड़ी आदत!

विभागीय जानकारों के मुताबिक अब सिंचाई विभाग को किसी प्रोजेक्ट के लिए एनओसी न लेने की आदत पड़ गई है। मौजूदा मामले में भी लोहिया पुल के जिस पीयर कैप के नीचे से मिट्टी हटाई गई। इससे पहले संबंधित विभागों से इस बारे में न ही विचार—विमर्श किया गया और न ही एनओसी ली गई। इतना ही नहीं यह प्रकरण बताता है कि रिटेनिंग वाल के बनाने में भी भारी लापरवाही बरती गई है जो मंगलवार को सामने आ गया।

मिट्टी के काम का नहीं कोई हिसाब, प्रोजेक्ट की जांच में हो सकते हैं बड़े खुलासे

बीते दिनों ही newztrack.com ने रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में हो रहे मिट्टी के काम में बड़े घपले की आशंका की तरफ इशारा किया था। अब पुल धंसने का प्रकरण इस पर मुहर लगाता है। विभागीय जानकारों का कहना है कि यह घटना मनमाने तरीके से मिट्टी को इधर से उधर करने का ही परिणाम है। इसके बावजूद अगर सरकार नहीं चेती तो किसी बड़ी दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा यदि इस प्रोजेक्ट की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए तो इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

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