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प्रधानी चुनाव में मुर्गे का अहम किरदार, प्रत्याशी कर रहे एडवांस बुकिंग
गोरखपुर जिले में आगामी 15 अप्रैल को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वोटिंग होनी है।
गोरखपुर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों को वोट दिलाने में मुर्गा अहम किरदार निभा रहा है। तभी तो कोरोना और बर्ड फ्लू के हो-हल्ला के बीच मुर्गे की कीमत सिर्फ 30 दिनों में दोगुनी हो गई है। दाम ही नहीं खपत भी करीब-करीब डबल हो गई है। प्रत्याशी मुर्गे की पोल्ट्री फार्म पहुंच कर एडवांस बुकिंग करा रहे हैं।
गोरखपुर जिले में आगामी 15 अप्रैल को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वोटिंग होनी है। गांव में प्रत्याशियों के सौजन्य से दावतों का दौर तो चल ही रहा है, मुर्गे के मीट की होम डिलेवरी भी हो रही है। मार्च महीने की शुरूआत में थोक में मुर्गे की कीमत 70 रुपये प्रति किलो तक थी। तो वहीं फुटकर में मुर्गे का मीट 120 से 130 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। होली के बाद चुनावी मौसम में मुर्गे का भाव बढ़ गया है। थोक में मुर्गा 130 रुपये प्रति किलो के पार हो गया है।
पोल्ट्री फार्म से हो रही एडवांस बुकिंग
पोल्ट्री फार्म संचालक अनूप सिंह का कहना है कि 'ग्राम प्रधान प्रत्याशी पोल्ट्री फार्म से ही थोक कीमत में मुर्गा उठा ले जा रहे हैं। वहीं खजनी के टीएन पांडेय बताते हैं कि 'प्रतिस्पर्धा में वोटरों की चांदी है। एक प्रत्याशी 500 ग्राम मुर्गा पहुंचा रहा है तो विरोधी मुर्गे के साथ तेल-मसाला का भी इंतजाम कर दे रहा है।'
रोज कट रहा 900 टन मुर्गा
मुर्गे का दाम ही नहीं खपत भी पिछले 30 दिनों में डबल हो गई है। गोरखपुर जिले में सामान्य दिनों में खपत 850 से 900 टन के बीच रहती है। पिछले दिनों बर्ड फ्लू के खौफ से खपत 400 से 500 टन के बीच ही सिमट गई थी। वर्तमान में प्रतिदिन की खपत करीब 890 टन तक हो गई है। कारोबारी अनूप सिंह बताते हैं कि 'बर्ड फ्लू के अफवाह और चूजे की महंगाई से पोल्ट्री फार्म में उत्पादन प्रभावित हुआ है।
रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव