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गोरखपुर लोकसभा चुनाव: दो अच्छे लड़कों ने एक दूसरे की राह में डाले रोड़े

गोरखपुर-लोस-चुनाव-दो-अच्छबीते विधानसभा चुनाव में दो अच्छे लड़कों (कांगेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव) की जोड़ी ने खूब चर्चा बटोरी। लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन को चुनावी मात मिलने के बाद उनके रास्ते जुदा हो गए। अब गोरखपुर संसदीय सीट के लिए घोषित उप चुनाव में दोनों अच्छे लड़कों ने एक दूसरे की राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं।

priyankajoshi
Published on: 18 Feb 2018 7:47 PM IST
गोरखपुर लोकसभा चुनाव: दो अच्छे लड़कों ने एक दूसरे की राह में डाले रोड़े
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लखनऊ: बीते विधानसभा चुनाव में दो अच्छे लड़कों (कांगेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव) की जोड़ी ने खूब चर्चा बटोरी। लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन को चुनावी मात मिलने के बाद उनके रास्ते जुदा हो गए। अब गोरखपुर संसदीय सीट के लिए घोषित उप चुनाव में दोनों अच्छे लड़कों ने एक दूसरे की राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं।

कांग्रेस ने यहां मुस्लिम कैंडिडेट के रूप में सुरहिता चटर्जी करीम को मैदान में उतारकर सपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है तो सपा ने दो तिहाई से अधिक निषाद वोटर वाले इलाके में प्रवीण कुमार निषाद को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। ऐसी स्थिति में निषाद और मुस्लिम वोटरों का बिखराव होगा जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए उर्वरक का काम करेगा।

कोई पूर्व प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरा

बीते लोकसभा चुनाव पर एक नजर डालें तो गोरखपुर संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ को 5,38,604, सपा उम्मीदवार राजमती निषाद को 2,30,614, बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) प्रत्याशी रामभुआल निषाद को 1,76,412 और कांग्रेस प्रत्याशी अष्टभुजा त्रिपाठी को 45,719 वोट मिले थे। लेकिन उपचुनाव में किसी भी दल ने पूर्व प्रत्याशियों को मैदान में नहीं उतारा हैं। यहीं से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी। उधर बसपा ने एक बार फिर उप चुनाव में प्रत्याशी उतारने में कोई रूचि नहीं दिखाई है।

भीरतघात कर सकते हैं स्थानीय नेता

लोकसभा चुनाव के बाद पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद दलबदल कर बीजेपी में चले गए। जब उन्हें गोरखपुर ग्रामीण से टिकट नहीं मिला तो वह सपा में चले गए और चिल्लूपार से चुनाव हार गए। इस बार सपा ने अपने पार्टी नेताओं के बजाए निषाद पार्टी के अध्यक्ष के पुत्र पर दांव लगाया है। इससे उपजे असंतोष की वजह से पार्टी के स्थानीय निषाद नेता भीतरघात भी कर सकते हैं। बहरहाल, गोरखपुर का उपचुनाव रोमांचक होगा। सपा चुनाव में जीत के लिए अपने नेताओं, पूर्व मन्त्रियों, विधायकों, सांसदों की फौज लगा रही है।

बीजेपी ने अब तक नहीं खोला पत्ता

बीजेपी ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है। उम्मीद जताई जा रही है कि सोमवार तक पार्टी कैंडिडेट का नाम सामने आ सकता है। चूंकि केंद्र व प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और स्वंय सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से सांसद रहे हैं। इसलिए इस सीट पर उपचुनाव बीजेपी और मुख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन गई है।

पार्टी जानकारों के मुताबिक बीजेपी भी किसी निषाद को अपना उम्मीदवार बनाने की कवायद में जुटी है। जानकारों के मुताबिक मनमाफिक उम्मीदवार नहीं मिलने पर ही पार्टी किसी अन्य जाति के कैंडिडेट के नाम पर विचार करेगी। वैसे कैंडिडेट के रूप में स्थानीय स्तर पर सीएम योगी के पुराने विश्वस्तों में शुमार एक एडवोकेट का नाम भी चर्चा में है। हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय को उम्मीदवार बनाने की अटकलों को भी खूब हवा मिल रही है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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