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गोरखपुर दंगा- प्रदेश सरकार की विरोधाभासी बहस से HC चकित
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 गोरखपुर दंगे को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई कर रही दो जजों की खंडपीठ उस समय आश्चर्य में पड़ गई जब सरकार के अपर महाधिवक्ता और महाधिवक्ता ने आपस में विरोधाभासी बहस कर डाली।
इलाहाबाद: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 गोरखपुर दंगे को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई कर रही दो जजों की खंडपीठ उस समय आश्चर्य में पड़ गई जब सरकार के अपर महाधिवक्ता और महाधिवक्ता ने आपस में विरोधाभासी बहस कर डाली। शुरूआत में अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को संतुष्ट करने की कोशिश की कि किसी के खिलाफ अभियोजन की अस्वीकृति के सरकार के आदेश के विरुद्ध मजिस्ट्रेट को सुनवाई का अधिकार है। जबकि महाधिवक्ता ने अपर महाधिवक्ता की बहस में हस्तक्षेप कर कहा कि मजिस्ट्रेट को सरकार के अभियोजन चलाने के अस्वीकृति आदेश पर सुनवाई का अधिकार नहीं है।
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इस पर कोर्ट सकते में आ गई कि कौन सी बहस स्वीकार की जाए। बहरहाल, कोर्ट ने सरकार द्वारा याची की उस अर्जी का विरोध न करने पर स्वीकार कर लिया जिससे सीएम योगी आदित्यनाथ पर अभियोजन चलाने की अनुमति न देने के गृह सचिव के आदेश की वैधता को चुनौती में याचिका संशोधित किए जाने की मांग की गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और याची से भी कहा है कि संशोधित याचिका कोर्ट में पेश करे। याचिका की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।
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यह आदेश जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस ए.सी.शर्मा की खंडपीठ ने गोरखपुर के परवेज परवाज की याचिका पर दिया है। याचिका में राज्य सरकार को अभियोजन संस्तुति पर विचार करने व दंगे की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी। गृह सचिव द्वारा 4 मई 17 को अभियोग चलाने की अनुमति देने से इंकार के आदेश को याची ने संशोधित अर्जी के मार्फत चुनौती दी है। जिसे कोर्ट ने विरोध न करने पर मंजूर कर ली है। विगत हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अर्जी की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए अर्जी निरस्त करने पर बल दिया और कहा कि मजिस्ट्रेट को सुनवाई का अधिकार है।