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नाराज कोर्ट, कहा- नए पैनल के तहत नियुक्त तमाम सरकारी वकील नहीं हैं सक्षम
पिछले दिनों यूपी सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में नियुक्त किए गए 201 सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर उठ रहे सवालों के बीच अब हाईकोर्ट की लखनउ बेंच ने भी इस पर सख्त रुख अपनाया है।
लखनऊ: पिछले दिनों यूपी सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में नियुक्त किए गए 201 सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर उठ रहे सवालों के बीच अब हाईकोर्ट की लखनउ बेंच ने भी इस पर सख्त रुख अपनाया है।
कोर्ट ने कहा कि जब से सरकार ने नए वकीलों का पैनल बनाया है, तभी से योग्य सरकारी वकीलों की अनुपल्ब्धता का कोर्ट को सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि जबसे सरकारी वकीलों का नया पैनल आया है अक्सर देखने में आता है कि जब किसी स्टैंडिग काउसिलं या ब्रीफ होल्डर से किसी केस के बावत पूछा जाता है तो उसे कुछ पता ही नहीं होता है।
कोर्ट ने जानना चाहा है कि आखिर सरकार ने इलाहाबाद या लखनउ में नए पैनल बनाने के लिए क्या योग्यता निर्धारित की और किस प्रकार से नियुक्त सरकारी वकीलों की येाग्यता का आंकलन किया था। कोर्ट ने इस संबंध में इंचार्ज प्रमुख सचिव, विधायी विभाग एलआर को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है।
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यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस आरएन मिश्रा (द्वितीय) की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ही एक सेवा संबंधी याचिका पर दिया। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा कि स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्युनल के आदेश में क्या गलती है जो उसके आदेश को यहां चुनौती दी गई है। इस पर वकील का कहना था कि स्थाई अधिवक्ता ने अपना ओपिनियन उक्त याचिका फाइल करने का विरोध किया था लेकिन विधि विभाग ने अप्रूवल दे दिया।
इस पर कोर्ट ने इंचार्ज प्रमुख सचिव, विधायी विभाग एलआर को पिछली सुनवाई पर तलब कर लिया। कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उपस्थित हुए एलआर एमए अब्बासी की मौजूदगी में कोर्ट ने कहा कि कोर्ट पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से जब से नए पैनल का गठन हुआ है, मामलों पर बहस के लिए योग्य वकीलों की अनुप्लब्धता का सामना कर रही है।
स्थाई अधिवक्ता और ब्रीफ होल्डर जो पेश हो रहे हैं, वे कोर्ट को सहयोग करने के लिए केसों के बारे में दक्ष नहीं हैं। कई बार तो उनके पास केस की फाइल तक नहीं होती। इस पर अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह ने कहा कि स्थाई अधिवक्ताओं के नए पैनल में से अपर महाधिवक्ता और महाधिवक्ता को भी प्रत्येक कोर्ट के लिए योग्य वकील तय करने में समस्या होती है।
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वहीं कोर्ट ने एलआर से पूछा कि लखनऊ और इलाहाबाद में राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिए क्या मापदंड रखे गए थे। इस पर एलआर ने जवाब दिया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि पूर्व एलआर के समय ये नियुक्तियां हुई थीं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे। इस पर कोर्ट ने उन्हें हलफनामा दाखिल कर ब्यौरा देने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने स्थाई अधिवक्ताओं के विपरीत राय के बावजूद हाईकोर्ट में केस दाखिल करने के बाबत भी फाइलिंग प्रक्रिया का विवरण देने का निर्देश दिया है। मामले की अग्रिम सुनवाई 24 जुलाई को होगी।