TRENDING TAGS :
UP: दो जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफे की बताई ऐसी वजह...कि सभी चौंक गए
कानपुर: गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज के दो जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफे की जो वजह बताई उससे सीनियर डॉक्टर हैरान रह गए। जीएसवीएम के दो जूनियर डॉक्टरों ने कहा, 'सर जब घायल मरीज इमरजेंसी में आते हैं तो उनका दर्द मुझसे देखा नहीं जाता। और अगर मरीज की मौत हो गई, तो उनके परिजनों की चीत्कार मेरे कानों में गूंजती है। यह सब देखकर मुझे अपने पेरेंट्स की याद आने लगती है। यह सब मुझसे नहीं देखा जाता। सर प्लीज, मेरा इस्तीफा एक्सेप्ट कर लें।
जूनियर डॉक्टरों की इस बात से सीनियर डॉक्टर हैरान रह गए। दोनों जूनियर डॉक्टरों की काउंसलिंग भी कराई गई, लेकिन इसका उनके फैसले पर कोई असर नहीं पड़ा और इस्तीफा दे दिया।
एनेस्थीसिया विभाग में लिया था एडमिशन
गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के दो स्टूडेंट नीरज और अंकित ने 2017 बैच के एनेस्थीसिया विभाग में एडमिशन लिया था। मेडिकल कॉलेज संबद्ध हैलट अस्पताल से अपनी समस्या बताकर बीते शनिवार को इस्तीफा दे दिया। हैलट अस्पताल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब जूनियर डॉक्टरों ने घायलों और उनकी मौत से परेशान होकर इस्तीफा दिया हो।
इन डॉक्टरों का ये होता है काम
एनेस्थीसिया विभाग के सीनियर डॉक्टरों के मुताबिक, नीरज और अंकित एमडी प्रथम वर्ष के छात्र थे। दरअसल, इसमें यह होता है कि जब घायल या बीमार मरीज आपतकालीन सेवाओं में लाए जाते हैं और यदि किसी मरीज का ज्यादा खून बह रहा हो तो उसे रोकना, मरीज के बीपी और उसके पल्स को नॉर्मल रखना, इसके साथ ही दिमाग तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए नली डालना। इस तरह के कई तुरंत निर्णय इस विभाग के डॉक्टर लेते हैं। ज्यादा गंभीर मरीजों का जब ऑपरेशन किया जाता है तो उस दौरान इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
ये कहना है एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष का
एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष अनिल कुमार के मुताबिक, 'ये दोनों स्टूडेंट इमरजेंसी व आईसीयू की ड्यूटी करने में घबराते थे। जब उनसे इसकी वजह पूछी गई, तो उन्होंने हैरत भरी बात बताई। उन्हें इस समस्या से उबारने के लिए उनकी काउंसिलिग भी कराई गई, लेकिन इसका उन पर कोई असर नही पड़ा। दोनों ने इस्तीफा दे दिया है।'