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हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- दयाशंकर को हिरासत में लेना क्यों है जरूरी?

suman
Published on: 28 July 2016 9:36 AM GMT
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- दयाशंकर को हिरासत में लेना क्यों है जरूरी?
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लखनऊ: गालीकांड में दयाशंकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि पूर्व भाजपा नेता से पूछताछ करने के लिए उन्हें हिरासत में लेने की आवश्यकता क्यों है? साथ ही कोर्ट ने सरकार को वह सारा मैटीरियल भी पेश करने का आदेश दिया है जिसके आधार पर दयाशंकर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। कोर्ट ने सरकार को जवाबी हलफनामा पेश कर सारे तथ्यों को 5 अगस्त तक पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।

एफआईआर रद करने की मांग पर

दयाशंकर की ओर से उनके खिलाफ बसपा नेता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस आरएन मिश्रा द्वितीय ने उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील राघवेंद्र सिंह को सुप्रीम कोर्ट की उन नजीरों को पेश करने को कहा है जिनके तहत कोई प्राथमिकी रद की जा सकती है और साथ ही यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने किस आधार पर अपनी याचिका मे यह कहा है कि उक्त एफआईआर रद की जा सकती है।

क्यों है कस्टडी जरूरी ?

बेंच ने सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी और अपर शासकीय अधिवक्ता आरके द्विवेदी ने कोर्ट के पूछने पर दयांशकर को कस्टडी मे लेकर पूछताछ की जरूरत बताई। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि किस तथ्य की पूछताछ के लिए कस्टडी मे लेना आवश्यक है। बाद मे कोर्ट ने सरकार से अपनी बात हलफनामे पर कहने को कहा।

दयाशंकर के वकील ने दिए तर्क

दयांशकर की ओर से इससे पहले कहा गया कि उन्होंने मायावती की तुलना केवल एक ऐसी महिला से की जिसे अच्छा नहीं समझा जाता है। ना कि उन्हें सीधे कुछ कहा था। कहा गया कि यह केवल भाषण का एक तरीका था जिसमें मायावती को कुछ नहीं कहा गया। लेकिन केवल उनके कार्यों के बारे मे कहा गया था। आगे यह भी कहा गया कि इसके बावजूद दयाशंकर ने अपनी स्पीच के लिए माफी भी मांग ली है तो ऐसे में आपराधिक मामले को आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।

बसपा से भी मांगा जवाबी हलफनामा

प्राथमिकी लिखाने वाले बसपा नेता की ओर से कोर्ट में पेश बसपा सांसद और वरिष्ठ वकील एससी मिश्रा कोर्ट को वह मैटीरियल पेश करने को तत्पर हुए जिसके आधार पर उक्त प्राथमिकी लिखाई गई तो कोर्ट ने उनको वह सब जवाबी हलफनामे के जरिए देने को कहा। मिश्रा ने दयाशंकर के खिलाफ लिखाई गई एफआईआर को जायज ठहराया।

क्या है मामला ?

दयाशंकर सिंह की तरफ से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी कि उनके खिलाफ बसपा सुप्रीमों को अपशब्द कहने में मामले में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द किया जाए। उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। दयाशंकर ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनके ऊपर जो भी मामले दर्ज करवाए गए हैं उनका कोई औचित्य नहीं हैं।इसलिए कोर्ट उनपर दर्ज मुकदमा रद्द करे दें।

बीएसपी ने किया था प्रदर्शन

दयाशंकर के बीएसपी सुप्रीमो मायावती को अपशब्द कहने के बाद गुस्साए बसपाइयों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। जगह-जगह बीजेपी के बड़े नेताओं और दयाशंकर के पुतले जलाए गए। बसपा ने कहा कि यह सब बीजेपी के बड़े नेताओं के इशारे पर कहा गया है। वहीं, सपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सपा दयाशंकर को अरेस्ट नहीं करना चाहती, क्योंकि उनपर भी बीजेपी का बहुत दबाव है। बीएसपी के प्रदर्शन में दयाशंकर की मां, पत्नी और बेटी पर भी अश्लील टिप्पणी की गई, जिसके बाद मामले में और तूल पकड़ा लिया।

दयाशंकर की पत्नी ने मायावती पर साधा निशाना

दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह ने प्रदर्शन के बाद मायावती से पूछा कि अगर उनके पति ने उन्हें गाली देकर गलत किया तो क्या बीएसपी ने उनकी बेटी, सास और उन्हें खुलेआम गालियां देकर सही किया। बताइए मायावती जी कि मैं अपनी बेटी और खुद को कहां पेश करूं। स्वाति सिंह की सास ने मायावती, नसीमुद्दीन सिद्दकी, सतीश मिश्रा और बीएसपी वर्कर्स के खिलाफ FIR भी दर्ज करवाई।

हॉस्पिटल में स्वाति से मिलने पहुंचे केशव मौर्या

पिछले दो दिन से दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह की तबियत काफी खराब चल रही है। उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या भी स्वाति सिंह से मिलने हॉस्पिटल पहुंचे। इससे पहले जब उनकी बेटी को बीएसपी कार्यकर्ताओं ने अपशब्द कहे थे तो उसकी भी तबियत काफी खराब हो गई थी। वो कई दिन तक सदमे में थी।

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