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UP सरकार को HC से बड़ी राहत, समाजवादी स्मार्टफोन योजना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए समाजवादी स्मार्ट फोन योजना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला और न्यायमूर्ति अनंत कुमार की बेंच ने अपने फैसले में एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने का आदेश दिया। यह मामला राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र में मुफ्त उपहार बांटने का जिक्र करने से सम्बंधित था।
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए समाजवादी स्मार्टफोन योजना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला और न्यायमूर्ति अनंत कुमार की बेंच ने अपने फैसले में एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने का आदेश दिया। यह मामला राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र में मुफ्त उपहार बांटने का जिक्र करने से संबंधित था।
क्या कहा कोर्ट ने ?
-कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई भी प्रावधान प्रस्तुत करने में असफल रहा है जो ऐसी घोषणा को प्रतिबंधित करती हो।
-हालांकि कोर्ट ने कहा कि याची चाहे तो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए अपने सुझाव दे सकता है।
याचिका में क्या कहा गया था ?
अजमल खान की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर कहा गया था कि सपा सरकार की यह योजना मतदाताओं को लुभाने के लिए है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बाधक है। याचिका में सूचना और जनसम्पर्क विभाग द्वारा 5 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन को भी खारिज किए जाने की मांग की गई थी। जिसमें शीघ्र समाजवादी स्मार्ट फोन योजना शुरू करने की बात कही गई है।
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कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दिया हवाला
-साल 2006 के तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में डीएमके ने सभी घरों में कलर टेलीविजन बांटने का एलान किया था।
-सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दिए फैसले में कहा था कि आजीविका और जीवनस्तर का स्वरूप समय के साथ बदलता रहता है।
-एक समय जिन्हें विलासिता की वस्तु माना जाता था, वह आज सामान्य जीवन में आवश्यक हो चुकी हैं।
-अब जीवन रोटी, कपड़ा और मकान तक ही सीमित नहीं है।
न्यायिक हस्तक्षेप तभी जब राज्य सरकार का कार्य असंवैधानिक हो
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि हम अपीलार्थी की इस बात से सहमत नहीं हैं कि रंगीन टीवी, मिक्सर ग्राइंडर या लैपटॉप आदि राज्य सरकार द्वारा बांटना लोक प्रयोजन नहीं है।न्यायिक हस्तक्षेप तब हो सकता है जबकि राज्य सरकार का कार्य असंवैधानिक हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे विचार से इस प्रकार के प्रश्न विधान सभा में बहस और निर्णित होने चाहिए।