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हाईकोर्ट ने पूछा- न्यायालयों के फुल प्रूफ सुरक्षा के इंतजाम कब तक होंगे?

कोर्ट ने अधिकारियों से अदालतों में मूलभूत सुविधाओं , भूमि अधिग्रहण अधिकरण, कमर्शियल कोर्ट और ग्राम अदालतों के गठन पर भी जानकारी मांगी है और तय समय सीमा के अंदर कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट इस मामले पर अब 12 फरवरी को सुनवाई करेगी।

Shivakant Shukla
Published on: 11 Jan 2019 8:54 PM IST
हाईकोर्ट ने पूछा- न्यायालयों के फुल प्रूफ सुरक्षा के इंतजाम कब तक होंगे?
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कोर्ट में मौजूद प्रदेश के मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव गृह को हाईकोर्ट व अन्य अधीनस्थ न्यायालयों की फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट की 7 जजों की बृहदपीठ ने अधिकारियों से पूछा कि, वे कब तक फुल प्रूफ सुरक्षा के इंतजाम करेंगे।

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कोर्ट ने अधिकारियों से अदालतों में मूलभूत सुविधाओं , भूमि अधिग्रहण अधिकरण, कमर्शियल कोर्ट और ग्राम अदालतों के गठन पर भी जानकारी मांगी है और तय समय सीमा के अंदर कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट इस मामले पर अब 12 फरवरी को सुनवाई करेगी। अदालतों में मुलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कायम जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ , न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति भारती सप्रू ,न्यायमूर्ति पंकज मित्तल , न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति वी के नारायण की वृहदपीठ सुनवाई कर रही है।

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जिला अदालतों की सुरक्षा के तहत बाउंड्री बनाने के लिए कोर्ट ने 6 माह का समय दिया है। जेलों से विचाराधीन कैदियों को कोर्ट तक लाने में खर्च कम करने के लिए कोर्ट ने सभी जेलों में लीज इंटरनेट लाइन के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की भी व्यवस्था करने का निर्देश है। साथ ही सभी जिला अदालतों में 30 अप्रैल तक स्वतंत्र पावर फीडर लगाने व वीडियो कांफ्रेंसिंग की तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

वृहदपीठ ने 2008 में बने ग्राम अदालतों के गठन के कानून के तहत अदालतें गठित न हो पाने पर सरकार की खिंचाई की और कहा कि कानून ही अर्थहीन हो गया है। राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 113 ग्राम अदालतों के गठन की मंजूरी दी है। लेकिन चार अदालतें ही क्रियाशील हो सकी हैं। जबकि, अन्य राज्यों में ग्राम अदालतें गठित हो गयी हैं।

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मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि, भू अध्याप्ति अधिकरण सहित ग्राम अदालतों के भवन 30 जून से पहले व्यवस्था हो जायेगी। भवन न मिलने पर किराये पर अदालत भवन लिए जाएंगे। वित्तीय वर्ष 2019 में बनकर अदालतें तैयार हो जाएंगी। उन्होंने हर जिले में कमर्शियल कोर्ट के भवन के लिए दो माह का समय मांगा। इस पर वृहदपीठ ने कोर्ट स्टाफ व् जिला अदालतों में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने का निर्देश दिया। अदालत भवन के साथ वकीलों के चेम्बर बनाने का भी आदेश दिया। कहा कि, बहुमंजिले भवनों में स्केलेटर व् लिफ्ट लगाए जाएं। कोर्ट ने कहा कि, जजों के लिये रिहायशी कालोनी बनायी जाए।

कोर्ट ने हाईकोर्ट में वाहन पार्किंग पर प्रमुख सचिव विधि ने बताया कि, 3400 पार्किंग स्लॉट, 1500 लायर्स चेम्बर, 12 मंजिली पार्किंग के लिए 690 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार है। वित्त विभाग की सहमति लेकर कैबिनेट की मंजूरी के बाद निर्माण होगा। इस पर कोर्ट ने अधिकारियों से निर्देशों की कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट में मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय , प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव विधि कोर्ट में हाजिर थे। कोर्ट ने कहा कि, सरकार अपनी जिम्मेदारी पर सुरक्षा दे। इस पर प्रमुख सचिव गृह ने एक माह का समय मांगा।

Shivakant Shukla

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