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देखिए! हाईकोर्ट में पैरवी के लिए सरकारी वकीलों की पहली सूची, बीजेपी वाले नाराज
लखनऊ : राज्य सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट की लखनउ बेंच में कार्यरत करीब साढ़े तीन सौ सरकारी वकीलों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया और वहीं 2 सौ सरकारी वकीलों की एक साल के लिए नयी नियुक्ति कर दी। हांलाकि सपा सरकार में बने तमाम पुराने सरकारी वकीलों की चांदी रहीं इनमें से 46 सरकारी वकील अपना नाम सूची में बचाने में सफल रहे। शासन की ओर से प्रेषित नवनियुक्त वकीलों की सूची में कुल 201 नाम है।
इनमें से मुख्य स्थायी अधिवक्ता के पद पर रमेश पांडे की नियुक्ति हुई हैं। वहीं श्रीप्रकाश सिंह व शैलेंद्र कुमार सिंह को मुख्य स्थायी अधिवक्ता प्रथम व तृतीय की श्रेणी में रखा गया हैं। दूसरी ओर अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता के पद पर तैनात रहे विनय भूषण को प्रोन्नत कर मुख्य स्थायी अधिवक्ता द्वितीय बनाया गया है।
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता के पद पर नवनियुक्त 21 सरकारी वकीलों में से सपा सरकार के समय से पहले से तैनात अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता राहुल शुक्ला, अभिनव एन त्रिपाठी, देवेश पाठक, पंकज नाथ, कमर हसन रिजवी, सत्यांशु ओझा व विवेक शुक्ला पर येागी सरकार ने फिर से भरोसा जताया है।
49 स्टैंडिग काउसिंल के पदों पर भी सपा सरकार के पहले से तैनात पंद्रह लोगों को फिर से उसी पद पर नियुक्त किया गया है। इनमें हिमांशु शेखर, शोभित मोहन शुक्ला, नीरज चैरसिया, मनु दीक्षित व के के शुक्ला प्रमुख नाम हैं।
ब्रीफ होल्डर के भी नवनियुक्त 107 पदों में से सपा सरकार के दौरान रहे 21 को फिर से सरकारी वकील बना दिया गया है। कुल 201 में 42 पदों पर पहले से चल रहे सरकारी सरकारी वकीलों को रिपीट कर येागी सरकार ने सपा सरकार के ही वकीलो पर भरेासा जताया है।
सूची में सपा सरकार के तमाम वकीलों को जगह मिलने और भाजपा समर्थित तमाम वकीलों को सूची में जगह में न मिलने पर भारी रोष है और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ येागी व संगठन मंत्री से मिलकर अपना रोष प्रकट करने का निर्णय लिया है।