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पट्टे की जमीन से माफियाओं द्वारा खनन के मामले में हस्तक्षेप से कोर्ट का इंकार
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर में बालू खनन ठेके का वर्कआर्डर मिलने तक खनन माफियाओं द्वारा बालू खोदकर उठा ले जाने के कारण जमा दो करोड़ राशि वापसी मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है और कहा है कि याची इस मुद्दे को लेकर सिविल वाद दायर कर सकता है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता की खण्डपीठ ने जयकरन सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर उदय करन सक्सेना ने बहस की। याची का कहना था कि 2014 में खनन पट्टे की नीलामी हुई। उच्चतम बोली के कारण याची को खनन पट्टा दिया गया। याची ने पूरी राशि जमा कर दी किन्तु 15 मई 2015 को वर्कआर्डर दिया गया। इससे पहले ही याची को आंवटित क्षेत्र से खनन माफियाओं ने सारी बालू खोद ली। कहीं बालू बची ही नहीं थी।
याचिका का प्रतिवाद अपर महाधिवक्ता एम.सी.चतुर्वेदी ने किया। इनका कहना था कि आन स्पाट निरीक्षण के बाद खनन पट्टा दिया गया था। याची ने स्वयं स्थल देखकर बोली लगायी थी, वर्कआर्डर मिलने पर याची को खनन करना चाहिए। कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।