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कोर्ट ने जारी किया जौहर यूनिवर्सिटी को नोटिस, जांच टीम से कहा- करते रहिए इंवेस्‍टीगेशन

sudhanshu
Published on: 12 July 2018 8:47 PM IST
कोर्ट ने जारी किया जौहर यूनिवर्सिटी को नोटिस, जांच टीम से कहा- करते रहिए इंवेस्‍टीगेशन
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इलाहाबाद: प्रदेश के कद्दावर सपा नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खां के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर जौहर विश्वविद्यालय को गुरूवार को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार तथा आजम खां सहित जौहर विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि पिछले एक साल में विश्वविद्यालय परिसर से घिरे गेस्ट हाउस में कितने वी.आई.पी. रूके और गेस्ट हाउस, झील सहित कोसी नदी किनारे के सुन्दरीकरण के लिए सरकार ने कितने धन खर्च किए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच टीम को जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया है। आजम खां के अधिवक्ता से कोर्ट ने पूछा है कि विश्वविद्यालय को कितनी जमीन पट्टे पर दी गयी है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल सलाम की जनहित याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता अनिल तिवारी का कहना है कि 2005 में प्राइवेट ट्रस्ट ने जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण कराया। जिसके आजम खां आजीवन कुलाधिपति हैं। रामपुर शहर की विकास योजनाओं जैसे स्टेडियम, झील, वीआईपी गेस्ट हाउस को विश्वविद्यालय की बाउण्ड्री के भीतर कर लिया गया है। सरकारी फण्ड से कोसी नदी के किनारे का सुन्दरीकरण किया गया। 10 किलोमीटर तक विश्वविद्यालय का कब्जा है। लगभग 400 एकड़ क्षेत्र में सरकारी निर्माणों को विश्वविद्यालय ने घेर लिया है। आम लोगों की पहुंच से दूर करते हुए विश्वविद्यालय ने सरकारी सम्पत्ति को हथिया लिया है। गेस्ट हाउस का निर्माण पी.डब्लू.डी. ने दो करोड़ 28 लाख में कराया है। जिसमें विश्वविद्यालय की अनुमति से ही प्रवेश किया जा सकता है। सरकार की करोड़ों की योजनाओं को विश्वविद्यालय ने अपने कब्जे में ले लिया है। नदी किनारे झील पर कब्जा कर मछली पालन से आय विश्वविद्यालय ले रहा है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ए.के.गोयल ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच जिलाधिकारी द्वारा की गयी थी। सरकार इस मामले में बेहद गंभीर है और विशेष टीम गठित की है, जो पूरे घटनाक्रम की जांच करेगी। लोक निर्माण विभाग ने लगभग दो हजार करोड़ रूपये का विकास कार्य किया है। तेरह सौ एकड़ जमीन विश्वविद्यालय ने बाउण्ड्रीवाल से घेर ली है। चांसलर के घर तक सीवर लाइन बिछी है। इसकी वैधता पर जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जायेगी। भारत के अपर सालीसीटर जनरल शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को बताया कि शत्रु सम्पत्ति (सरकारी सम्पत्ति) पर भी अवैध कब्जा कर लिया गया है। आजम खां की तरफ से अधिवक्ता कमरूल हसन सिद्दीकी व सफदर अली काजमी ने याचिका में लगाये गये आरोपों को निराधार बताया और कहा कि वह विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे। उन्होंने याचिका की पोषणीयता पर यह कहते हुए आपत्ति की कि याची पहले से ही विपक्षी से राजनैतिक वैमनस्यता रखता है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया और राज्य सरकार से पूछा कि विभिन्न योजनाओं में कितना सरकारी धन खर्च हुआ है और सरकारी सम्पत्ति पर प्राइवेट संस्था का कैसे नियंत्रण है।

कोर्ट की अन्‍य खबरें

अन्तरजनपदीय तबादला नीति में प्रदेश सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब तलब

इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों के लिए लागू अन्तरजनपदीय तबादला नीति में आठ जिलों को शामिल नहीं करने पर प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग से जवाब मांगा है। इन जिलों को अति पिछड़ा मानते हुए यहां तैनात शिक्षकों पर तबादला नीति नहीं लागू करने के निर्णय को याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गयी है। रंजना सिंह और कई अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति एस.पी केसरवानी सुनवाई कर रहे हैं। याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता राधा कान्त ओझा, सीमांत सिंह, शैलेन्द्र आदि ने पक्ष रखा। याचीगण का कहना है कि प्रदेश सरकार ने 13 जून 2018 को अन्तर जनपदीय तबादले का परिणाम घोषित किया। इसी दिन एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि प्रदेश के आठ जिलों सिद्धार्थ नगर, बहराइच, सोनभद्र, चन्दौली, फतेहपुर, श्रावस्ती, चित्रकूट और बलरामपुर अति पिछड़े जिले हैं। इसलिए यहां से किसी भी शिक्षक का अन्तर जनपदीय तबादला नहीं किया जायेगा। मगर यदि कोई शिक्षक इन जिलों में आना चाहता है तो उसका स्थानांतरण कर दिया जायेगा।

याचीगण का कहना था कि स्थानांतरण नीति जून 2017 में जारी की गयी इसके बाद ही उन्होंने ऑनलाइन आवेदन कर दिया था। सरकार का आदेश 13 जून 2018 को आया है। इसलिए उन पर लागू नहीं होगा। क्योंकि वह आदेश आने से पूर्व आवेदन कर चुके थे। कोर्ट ने जानना चाहा है कि 13 जून का आदेश क्या किसी नीति के तहत जारी किया गया है या इसके लिए कोई वैधानिक नियम है। याचिका पर 23 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।

सपा सांसद कमलेश के खिलाफ याचिका, केस डायरी तलब

इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने गोरखपुर के सपा सांसद कमलेश पासवान के खिलाफ याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है, साथ ही इनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की केस डायरी तलब की है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति डी.के सिंह की खण्डपीठ ने अदील अहमद खां की याचिका पर दिया है। याचिका पर स्थानीय पुलिस पर निष्पक्ष विवेचना न करने का आरोप लगाते हुए स्वतंत्र जांच एजेन्सी से जानलेवा हमले की घटना की जांच कराने की मांग की गयी है। याची का कहना है कि उसके भाई की सांसद के इशारे पर फायर कर जान से मारने की कोशिश की गयी। गोली लगने से घायल याची का भाई अस्पताल में भर्ती है। सांसद द्वारा याची को अपनी जमीन उन्हें सौंपने के लिए दबाव डाला जा रहा है। बात न मानने पर जान से मारने की कोशिश की गयी।

मनी लांड्रिंग केस में 25 जुलाई को होगी सुनवाई

लखनऊ: जिला जज नरेंद्र कुमार जौहरी ने मनी लांड्रिंग के एक मामले में यूपीएसएसआईसी, कानपुर के तत्कालीन एमडी अभय कुमार वाजपेई, मेसर्स सर्जिकान मेडेक्विप प्राइवेट लिमिटेड व इस कम्पनी के एमडी नरेश ग्रोवर और पंकज ग्रोवर के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान के लिए 25 जुलाई की तारीख तय की है। मनी लांड्रिंग का यह मामला प्रदेश की सरकारी अस्पतालों में एफआरयू व आईयूडी किट की सप्लाई के लिए एनआरएचएम फंड से जारी धनराशि में करोड़ों के घोटाले से जुड़ा है। वर्ष 2009-10 के दौरान एनआरएचएम फंड के इस घोटाले में सरकार को 21 करोड़ 20 लाख 87 हजार 617 रुपए की आर्थिक क्षति हुई थी।

ईडी के विशेष वकील कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक दो जनवरी, 2012 को सीबीआई ने एनआरएचएम फंड के इस घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की थी। 25 जनवरी, 2013 को उसने इस मामले में यूपीएससी, कानपुर के तत्कालीन एमडी अभय कुमार वाजपेई, तत्कालीन चीफ मार्केटिंग मैनेजर सुनील चौहान, परिवार कल्याण के तत्कालीन एमडी डॉ. राजाराम भारती के साथ ही गाजियाबाद की कम्पनी मेसर्स सर्जिकान मेडिडिप प्राइवेट लिमिटेड व इसके एमडी नरेश ग्रोवर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।

14 फरवरी, 2012 को ईडी ने भी करोड़ों के इस घोटाला मामले में मनी लांड्र्रिग एक्ट के तहत सूचना दर्ज कर जांच शुरु की। विवेचना के बाद यूपीएसआईसी, कानपुर के तत्कालीन एमडी अभय कुमार वाजपेई के साथ ही मेसर्स सर्जिकान मेडिकिप प्राइवेट लिमिटेड व इस कम्पनी के एमडी नरेश ग्रोवर एवं पंकज ग्रोवर के खिलाफ मनी लांड्र्रिग एक्ट के तहत मुकदमा कायम किया। विवेचना के दौरान ईडी ने अभियुक्तों की 23 करोड़ 54 लाख 42 हजार की संपति जब्त की। इनमें दिल्ली स्थित नरेश ग्रोवर का एक मकान, हरियाणा के सोनीपत में इसकी कम्पनी की एक फैक्ट्र्री व अभय कुमार वाजपेई का कानपुर स्थित एक मकान शामिल है।

उन्नाव केस: बीजेपी एमएलए के भाई की न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ी

लखनऊ: सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सपना त्रिपाठी ने उन्नाव रेपकांड मामले की पीड़िता के पिता को मारपीट कर फर्जी मुकदमे में जेल भेजने के आरोप में निरुद्ध विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत सभी अभियुक्तों की न्यायिक हिरासत की अवधि 26 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है। गुरुवार को कुलदीप सिंह सेंगर को सीतापुर जबकि अन्य अभियुक्तों को लखनऊ जेल से अदालत में पेश किया गया था। इस मामले में थाना माखी के तत्कालीन एसओ अशोक सिंह भदौरिया तथा एसआई कामता प्रसाद सिंह भी न्यायिक हिरासत में निरुद्ध हैं।

सीबीआई ने इस मामले में आईपीसी की धारा 193, 201, 218 व 120बी के साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 3/25 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।

बसंत कुंज आश्रयहीन आवास योजना से हटाएं अवैध कब्जेदार: कोर्ट

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जिलाधिकारी एवं एसएसपी को आश्रयहीनों के लिए हरदोई रोड पर बनाई गयी बसंत कुंज योजना में अवैध कब्जेदारों को हटाने के लिए कार्यवाही करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस योजना में अवैध रूप से रह रहे कब्जेदारों को हटाकर मूल आवंटियों को कब्जा दिलाया जाए। कोर्ट ने सरकारी वकील से 17 जुलाई को कृत कार्यवाही की रिपेर्ट मांगी है।

यह आदेश जस्टिस डी के उपाध्याय एवं जस्टिस आर एन पांडे की बेंच ने पुष्पा देवी की ओर से चार साल पहले दाखिल रिट याचिका पर बुधवार को सुनवायी करते हुए पारित किया है। याची के वकील अनु प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि याची को आश्रयहीन भवन संख्या एस 1/ 501 सेक्टर एच बसंत कुज हरदोई रोड योजना आवंटित हुआ है। परंतु उसे कब्जा नहीं दिलाया जा रहा है। कोर्ट ने एलडीए के स्वयं के आदेशों को देखने से पाया कि याची को कब्जा दिलाया जाना चाहिए और वहां रह रहे अवैध कब्जेदारों को हटाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पुलिस व स्थानीय प्रशासन के असहयेग के कारण अवैध कब्जेदारों को नहीं हटाया जा पा रहा है।

कोर्ट के कहा कि इस केस के तथ्य बहुत ही गंभीर है कि एक आश्रयहीन महिला को आवास तो आवंटित कर दिया गया है परंतु उसे कब्जा नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने एलडीए को भी खरी खरी सुनायी कि जब उसने आवास बनाये हैं तो किस प्रकार लोग उनमें अवैध कब्जा करके रह रहे हैं।

सारे हालातों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा कि डीएम व एसएसपी रणनीति बनाकर उस योजना में रह रहे अवैध कब्जेदारों को हटायें व मूल आवंटियों को कब्जा दिलायें।

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