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किराए के कमरे में रहकर किसान की बेटी ने जीता ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल

Manali Rastogi
Published on: 13 July 2018 12:51 PM IST
किराए के कमरे में रहकर किसान की बेटी ने जीता ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
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लखनऊ: 18 वर्षीय हिमा दास ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता है। यह पहली बार है कि भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है।

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उनसे पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं जीत सकी थी। हिमा ने यह दौड़ 51.46 सेकेंड में पूरी की। Newstrack.com आपको हिमा दास के लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहा है।

आर्थिक तंगी में बीता बचपन

  • हिमा का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के नागांव जिले के ढिंग गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। पिता चावल की खेती करते थे।
  • हिमा के कुल 6 भाई -बहन थे। उनमें वह सबसे छोटी थी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसका मन बचपन से ही खेलकूद में कुछ ज्यादा ही लगता था।
  • वह लड़कों के साथ फुटबाल खेलती थी और हमेशा खेल में अव्वल आती थी। उसका सपना बड़ा खिलाड़ी बनने का था। लेकिन घर में पैसे की तंगी के कारण उसे हमेशा संतोष करना पड़ता था।
  • घरवाले बेटी की इच्छा को जानते थे कि उसकी दिलचस्पी खेलकूद में ज्यादा है। वह अपना करियर भी उसी में बनाना चाहती है। लेकिन वे चाहकर भी उसकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे थे। उसके परिवार में पिता ही अकेले कमाने वाले थे। उनके उपर ही पूरे परिवार के खर्च चलाने की जिम्मेदारी थी।

कोच ने दी थी ये सलाह

  • हिमा पर उनके कोच निपोन की नजर उस वक्त पड़ी जब वह ‘स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर’ के डायरेक्टर के साथ बैठे थे। उस वक्त उन्होंने देखा एक लड़की ने काफी सस्ते स्पाइक्स (किलदार जूते) पहने थे।
  • उसके बाद भी उसने 100 और 200 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया है। कोच ये देख थोड़े देर के लिए हैरान हो गये थे। हिमा की जीत के बाद उन्होंने उसे अपने पास बुलाया था और एथेलेटिक्स में करियर बनाने की सलाह दी थी। कोच की बात से हिमा काफी प्रभावित हुई उसने तभी एथेलेटिक्स में करियर बनाने का निर्णय कर लिया था।

बेटी को घर से दूर भेजने को नहीं थे तैयार

  • कोच ने हिमा के हुनर को देखते हुए उसे अपने गांव से 140 किमी. दूर शिफ्ट करने को कहा था। ताकि वह एथलेटिक्स में ज्यादा फोकस कर सके।
  • हिमा ने जब ये बात अपने घरवालों को बताई तब पहले तो वे इस बात के लिए राजी नहीं थे। वे अपनी सबसे छोटी बेटी को अपने से दूर नहीं भेजना चाहते थे।
  • ये बात जब हिमा के कोच को पता चली तब वे उसके घर आये और उसके मा- बाप को काफी देर तक समझाया। कोच की बात घरवालों को भी समझ में आ गई। उन्होंने हिमा को ट्रेनिंग के लिए कोच के साथ भेज दिया।

किराए के घर से शुरू हुआ ये सफर

  • हिमा दास को उनके कोच ने ट्रेनिंग देना शुरू किया तो वह बहुत जल्द ही बेहतरीन स्पीड पकड़ने में सफल हो गई। कोच ने उसे सरसाजई स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के पास किराया पर रहने के लिए एक कमरा दिलाया था।
  • उसके बाद हिमा के लिए अधिकारियों से बात कर उसे राज्य अकादमी में शामिल करने के लिए रिक्वेस्ट भी की थी। जो कि फूटबाल और मुक्केबाजी के लिए मशहूर था।
  • उस वक्त एथेलेटिक्स के लिए कोई अलग से विंग नहीं था। लेकिन हिमा के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उसे अकादमी का हिस्सा बना लिया गया।

ऐसे किया देश का नाम रोशन

हिमा दास ने गुरुवार को इतिहास रच दिया। उन्होंने IAAF वर्ल्ड अंडर-20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप के 400 मीटर फाइनल में गोल्ड मेडल जीता। वह ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वालीं पहली भारतीय ऐथलीट हैं।

18 वर्षीय दास ने 51.46 सेकंड का समय निकालकर टॉप पोजीशन हासिल की। उसने सेमीफाइनल में भी 52.10 सेकंड का समय निकालकर टॉप किया था। पहले राउंड में भी उन्होंने 52.25 सेकंड का रेकॉर्ड समय निकाला था। उसने अपनी सफलता के लिए श्रेय अपने कोच और घरवालों को दिया है।

हिमा के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

100 मीटर 11.74 सेकेंड

200 मीटर 23.10 सेकेंड

400 मीटर 51.13 सेकेंड

4X400मी.रिले 3:33.61

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