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कुलभूषण मामले में भारत को मिली बड़ी जीत, ICJ ने अंतिम फैसला आने तक लगाई फांसी पर रोक
भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ बहुत बड़ी जीत मिली है। साथ ही भारत ने दुनिया को यह संदेश देने में भी कामयाबी हासिल कर ली है कि पकिस्तान के लिए मानवाधिकार महत्वहीन मुद्दा
प्रो. रजनीकांत पांडेय
लखनऊ : भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ बहुत बड़ी जीत मिली है। साथ ही भारत ने दुनिया को यह संदेश देने में भी कामयाबी हासिल कर ली है कि पकिस्तान के लिए मानवाधिकार महत्वहीन मुद्दा है। ऐसा कर के भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर दुनिया से अलग-थलग कर दिया है। भले ही यह मामला कुलभषण जाधव के बहाने सामने आया हो, लेकिन भारत की यह जीत बहुत मायने रखती है।
-नीदरलैंड्स स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर आखिरी फैसला आने तक रोक लगा दी है।
- कोर्ट ने जाधव को कॉन्स्यूलर एक्सेस देने को कहा। कोर्ट ने कहा, जाधव को दया याचिका दायर करने का हक है और सिविलाइज्ड सोसायटी में हर देश को पहले से तय नतीजे पर सजा देने का अधिकार नहीं है।
- पाकिस्तान कोर्ट को ये बताए कि उसने कोर्ट के दिए ऑर्डर पर क्या एक्शन लिए। इस केस की मैरिट के आधार पर सुनवाई होगी।
- दोनों देशों की सरकारों को आगे के लिए अपने जवाब कोर्ट को देने होंगे। पिछले महीने पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने इंडियन नेवी के पूर्व अफसर जाधव को जासूसी के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। इसी के खिलाफ भारत ने अपील की। 18 साल बाद दोनों देश इंटरनेशनल कोर्ट में आमने-सामने हैं।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के चीफ जस्टिस रोनी अब्राहम और बाकी 10 जज 3.24 मिनट (भारतीय वक्त के मुताबिक) पर कोर्ट रूम पहुंचे। भारत और पाकिस्तान की टीमें भी कोर्ट रूम में मौजूद थीं। सबसे पहले जज ने आरोप पढक़र सुनाए। बताया कि जाधव को पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। भारत ने वियना कन्वेंशन के वॉयलेशन का आरोप लगाया है। जज ने कहा, मैं पूरा केस पढक़र नहीं सुनाउंगा। सिर्फ इसकी समरी बताऊंगा।
3 मार्च 2016 को गिरफ्तार हुआ था कुलभूषण
- जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था। इसकी जानकारी 25 मार्च को दी गई। भारत ने कॉन्स्यूलर एक्सेस मांगा और कई बार इसे दोहराया।
- 23 जनवरी 2017 को पाकिस्तान ने भारत को कुछ सबूत दिए। 4 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान के फॉरेन कोर्ट ने प्रेस रिलीज में बताया कि जाधव को वहां की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
- भारत ने विरोध किया। जाधव को पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, 40 दिन में सजा के खिलाफ अपील करनी थी लेकिन ये हुआ या नहीं? कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं है।
- अब्राहम के मुताबिक, जाधव की गिरफ्तारी को लेकर डिस्प्यूट हैं। इसे ध्यान में रखना होगा। भारत और पाकिस्तान दोनों वियना कन्वेंशन का हिस्सा हैं।
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पुख्ता नहीं पाक के ऑब्जेक्शंस
- कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान के ऑब्जेशंस पुख्ता नहीं हैं लिहाजा इन पर विचार नहीं किया जा सकता।
- लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि इस मामले में दोनों देशों के बीच म्युचुअल ट्रीटी (आपसी समझौता) है।
- इसे 2008 में रिव्यू भी किया जा चुका है। वियना कन्वेंशन के मुताबिक, ये जरूरी है कि सभी सदस्य देश एक-दूसरे नागरिकों को हर हाल में कॉन्स्यूलर एक्सेस मुहैया कराएं।
- अब्राहम ने कहा कि भारत को ये अधिकार है कि वह कॉन्स्यूलर एक्सेस के लिए अपील करे।
- पाकिस्तान कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक जाधव को सजा नहीं दे सकता। कोर्ट ने कहा, जाधव को दया याचिका दायर करने का हक है और सिविलाइज्ड सोसायटी में हर देश को पहले से तय नतीजे पर सजा देने का अधिकार नहीं है।
- पाकिस्तान कोर्ट को ये बताए कि उसने कोर्ट के दिए ऑर्डर पर क्या एक्शन लिए। इस केस की मैरिट के आधार पर सुनवाई होगी।
- दोनों देशों की सरकारों को आगे के लिए अपने जवाब कोर्ट को देने होंगे।
जाधव मामले में 15 मई को सुनवाई हुई थी। भारत और पाकिस्तान ने अपनी दलीलें पेश की थींं। भारत ने कहा था कि पाक ने जाधव तक डिप्लोमैटिक पहुंच न देकर वियना संधि का वॉयलेशन किया है। वहीं, पाक ने इसे नेशनल सिक्युरिटी का मुद्दा बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए थे।
-भारत की तरफ से हरीश साल्वे ने कहा कि हमें आशंका है कि पूरी सुनवाई होने या फैसला आने से पहले ही पाक जाधव को फांसी पर न चढ़ा दे।
- अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में गलत मैसेज जाएगा। दुनियाभर में ऐसे मामलों में ह्यूमन राइट्स बेसिक प्रैक्टिस माने जाते हैं, पाक इन्हीं को हवा में उड़ा देता है।
-पाकिस्तान ने जाधव को जासूस बताने के लिए उनके कबूलनामे का वीडियो दिखाने की कोशिश की।
-लेकिन इंटरनेशनल कोर्ट ने पाकिस्तान के वकीलों को ऐसा करने से मना कर दिया। पाकिस्तान यह जोर देता रहा कि जिस वियना संधि का हवाला देते हुए भारत जाधव की फांसी रोकने की मांग कर रहा है, वह संधि जासूसों के मामलों में लागू नहीं होती।
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जाधव जासूस है
- जाधव जासूस है, यह उसके वीडियो से साबित होता है। पाकिस्तान वही वीडियो दिखाने पर जोर दे रहा था, जिसमें प्रोफेशनल इंटेरोगेशन नहीं हुआ था।
- ऐसा लगता था कि इसे अलग-अलग एंगल से कैमरे और लाइटिंग अरेंजमेंट कर प्लानिंग के तहत शूट किया गया।
- वीडियो किसी इंटरव्यू की तरह लग रहा था। शायद इसे पाकिस्तान के किसी जर्नलिस्ट और कैमरामैन ने आईएसआई के सेफ हाउस में शूट किया था।
- इस पूरे मामले को समझने के लिए कुछ तथ्य जान लेना जरूरी है। पाक की मिलिट्री कोर्ट ने जाधव को जासूसी और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है।
- भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था।
- इंडियन नेवी से रिटायरमेंट के बाद वे ईरान में बिजनेस कर रहे थे।
- हालांकि, पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को बलूचिस्तान से 3 मार्च 2016 को अरेस्ट किया गया था।
- पाकिस्तान ने जाधव पर बलूचिस्तान में अशांति फैलाने और जासूसी का आरोप लगाया है।
- इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने 8 मई को पिटीशन दायर की थी।
भारत ने यह मांग की थी कि भारत के पक्ष की मेरिट जांचने से पहले जाधव की फांसी पर रोक लगाई जाए।
- यहां यह बात बेहद महत्वपूर्ण है कि 18 वर्ष बाद ऐसा मंजर सामने आया जब भारत और पकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में आमने-सामने आये।
- इससे पहले 10 अगस्त 1999 को इंडियन एयरफोर्स ने गुजरात के कच्छ में पाकिस्तान नेवी के एक एयरक्राफ्ट एटलांटिक को मार गिराया था।
- इसमें सवार सभी 16 सैनिकों की मौत हो गई थी। पाकिस्तान का दावा था कि एयरक्राफ्ट को उसके एयरस्पेस में मार गिराया गया।
-उसने इस मामले में भारत से 6 करोड़ डॉलर मुआवजा मांगा था। अंतर्राष्ट्रीय अदालत की 16 जजों की बेंच ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया।
इस बार दूसरा मौका है जब पाकिस्तान बुरी तरह कानूनी लड़ाई में भी पिटा है। हलांकि खुद पाकिस्तान के भीतर ही कुलभूषण के प्रकरण को लेकर कई दिन से विरोधाभासी बहस चल रही है। पाकिस्तानी मीडिया तो लगातार इस बात को लेकर चिल्ला रहा था कि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में भारत की दलीलें बहुत भरी पडऩे वाली हैं क्योंकि पाकिस्तान की तैयारियां बहुत कमजोर हैं।
अब जब की फैसला आ चुका है, ऐसे में पाकिस्तान के भीतर एक नए घमासान की स्थिति भी बन सकती है। भारत ने फिर साबित किया कि यहां देश किस तरह दलों से बहुत ऊपर होता है।
इस मुकदमे के वकील हरीश साल्वे ने मात्र एक रुपये फीस लेकर जी-जान से मुकदमे की पैरवी की, तो वहीं भारत की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट में रखे जाने वाले रिजाल्यूशन को ड्राफ्ट करने की जिम्मेदारी कांग्रेस नेता शशि थरूर की थी। इस पूरे मामले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम इंडिया को वैश्विक महत्ता दिलाई है।