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जानिए आखिर क्यों रखते हैं नवरात्रि में नौ दिन का व्रत, क्या है महत्व

चिकित्सकों का कहना है कि सिंघाड़े के आटे का प्रयोग करें, सिंघाड़ा अनाज नहीं बल्कि फल होता है।

Chitra Singh
Published By Chitra Singh
Published on: 15 April 2021 3:23 AM GMT (Updated on: 15 April 2021 8:58 AM GMT)

मैनपुरी। क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि में नौ दिन का व्रत क्यों रखा जाता है? धार्मिक महत्व के साथ ही साथ व्रत रखने से शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलने से शरीर का शुद्धिकरण भी हो जाता है। कम कैलोरी और कम मसालों वाला भोजन खाने से शरीर को वह अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती जो वह आम दिनों में करता है। जब हमारी टीम ने इस विषय पर मैनपुरी के कुछ जाने माने चिकित्सकों से बात की तो डॉक्टरों ने बताया कि नवरात्रि में लोगों के पास खाने की चीजों के बहुत सीमित विकल्प होते हैं। जिनमें बस कुट्टू और सिंघाड़े का आटा ही शामिल होता है। जो लोग व्रत रख रहे हैं उन्हें अत्याधिक मात्रा में तरल आहार लेने की सलाह दी जाती हैं ताकि ऊर्जा बनी रहे और डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।

डॉक्टरों ने बताया कि पिछले साल के बचे हुए कुटू और सिंघाड़े के आटे का प्रयोग कदापि न करें, क्योंकि वह दूषित हो सकता है और उसे खाने से डायरिया होने की संभावना होती है। व्रत में फल काफी मात्रा में खायें, लेकिन बर्फी, लड्डू और आलू फ्राई जैसी तली और अत्याधिक चीनी वाली चीजें खाने से दस्त हो सकते हैं।

क्या कहते हैं चिकित्सक

चिकित्सकों का कहना है कि सिंघाड़े के आटे का प्रयोग करें, सिंघाड़ा अनाज नहीं बल्कि फल होता है जो यह सूखे हुए सिंघाड़ों से बनाया जाता है इसलिये इसे नवरात्रि में अनाज की जगह प्रयोग किया जा सकता है। प्रति 100 ग्राम में यह 115 कैलोरी देता है इसलिये यह उर्जा का बेहतरीन स्रोत है। सिंघाड़े के पौधे में विशेष आकार के फल लगते हैं, जिसके बहुत बड़े बीज होते हैं। यह बीज या मेवे उबाल कर या कच्चे ही स्नैक्स की तरह खाये जा सकते हैं। सिंघाड़े का आटा बनाने से पहले इसे उबाल कर, छील कर और सुखा कर बनाया जाता है। इस वजह से इसके दूषित होने की संभावना नहीं बचती।

सिंघाड़े का आटा (फोटो- सोशल मीडिया)

साल के बचे हुए आटे से हो सकती है फूड पॉयजनिंग

सिंघाड़ों में कार्बोहाईड्रेट्स की शुद्ध मात्रा बहुत कम होती है। इसे कम कार्बोहाईड्रेट्स वाली कई खुराकों में शामिल किया जाता है। इसमें आम मेवों जैसी चर्बी भी नहीं होती। इनमें सफेद आटे की तुलना में भी कम कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। सिंघाड़ा के आटे से बनने वाली तली हुई पूरियां या परांठे से परहेज करें। अच्छे ब्रांड का उच्च गुणवत्ता का आटा ही लें, पिछले साल के बचे हुए आटे से फूड पॉयजनिंग हो सकती है। सिंघाड़े की रोटी बनाते वक्त उच्च ट्रांस फैट वाला तेल प्रयोग न करें। जितने ज्यादा हो सके फल खायें, व्रत रखने वालों के लिये फल सबसे बेहतर विकल्प होते हैं। शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाये रखने के लिये पानी और फलों का रस अत्याधिक मात्रा में पीते रहें।

रिपोर्ट- प्रवीण पाण्डेय

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