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HC ने कहा- तात्कालिक सहायता के लिए दिया जाता है मृतक आश्रित को नौकरी, लंबे समय बाद मांग अनुचित
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने शुक्रवार (10 मार्च) को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि 'मृतक आश्रित नियुक्ति योजना' परिवार पर अचानक आए संकट से उबरने के लिए परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की है। इसका आशय यह नहीं है कि आश्रित अपनी सुविधानुसार जब चाहे नियुक्ति की मांग कर सकता है। यदि मृतक कर्मचारी की संतान नाबालिग है तो उसकी पत्नी की नियुक्ति की जा सकती है ताकि वह परिवार को आर्थिक संकट से बचा सके।
कोर्ट ने कहा, कि कर्मचारी की मौत के 8 साल बाद आश्रित सेवा नियमावली के तहत नियुक्ति योजना के उद्देश्य को अर्थहीन बना देगी। यह योजना परिवार को तात्कालिक राहत पहुंचाने के लिए है। आठ साल बाद आश्रित की नियुक्ति की मांग उचित नहीं है। वरन यह बिना खुली प्रतियोगिता के नौकरी पाने के प्रयास है जो कि अनुच्छेद 14 के विपरीत है।
कोर्ट ने केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, इलाहाबाद के कृष्णा पाठक के बेटे को नौकरी पर रखने के आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति दयाशंकर त्रिपाठी की खण्डपीठ ने भारत संघ की तरफ से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।