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भारत हिंदू राष्ट्र और एक राष्ट्र, यही आरएसएस का विचारः अरुण कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त की ओर से आयोजित ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-विचार और कार्य’’ विषयक संगोष्ठी को मुख्यवक्ता के रूप में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में आरएसएस के प्रति अनुकूलता का माहौल है।

राम केवी
Published on: 29 Jan 2020 3:38 PM GMT
भारत हिंदू राष्ट्र और एक राष्ट्र, यही आरएसएस का विचारः अरुण कुमार
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लखनऊ। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने आज यहां कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ- आरएसएस को समझने के लिए इसके करीब आना होगा।उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ संघ ने परिवर्तन को स्वीकार किया है और जरूरत के अनुसार अपना लक्ष्य, भगवा ध्वज और अपना विचार छोड़कर सब कुछ बदल दिया है। भारत प्राचीन राष्ट्र, हिंदू राष्ट्र और एक राष्ट्र है, यही संघ का विचार है। इस विचार में कभी कोई बदलाव नहीं होगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रान्त की ओर से आयोजित ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-विचार और कार्य’’ विषयक संगोष्ठी को मुख्यवक्ता के रूप में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में आरएसएस के प्रति अनुकूलता का माहौल है।

समाज का बहुत बड़ा वर्ग है जो संघ से जुड़ना चाहता है, व्यस्तता के चलते संभव नहीं है। इस प्रकार की संगोष्ठी का आयोजन देशभर में विभिन्न स्थानों पर आरएसएस को बताने व समझाने के लिए किया जा रहा है।

जो एक बार आया संघ का होकर रह गया

साथ ही उन्होंने कहा कि आरएसएस का कितना भी कोई विरोधी क्यों न हो एक बार शाखा में आ गया तो फिर वह संघ का होकर रह जाता है। सन 1964 में बाबू जयप्रकाश नारायण संघ के संपर्क में आए। बिहार में अकाल के समय वह संघ कार्य को देखकर प्रभावित हुए। जयप्रकाश नारायण ने दिल्ली के संघ कार्यक्रम में कहा कि मेरी सम्पूर्ण क्रांति का स्वप्न कोई साकार करेगा तो वह संघ ही होगा। इसलिए हम ऐसे सभी लोगों से आग्रह करते हैं कि वह थोड़ा और नजदीक आएं और संघ को समझने का प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रत्येक स्वयंसेवक में राष्ट्र के प्रति भक्ति, समाज के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति प्रेम, समाज जीवन में अंतिम क्षण तक समर्पण और बिना किसी भेदभाव के लोगों को स्नेहभाव देना, ऐसे चार प्रकार के गुणों को विकसित करता है। इसलिए संघ दुनिया का इकलौता ऐसा अद्भुत संगठन है, जहां कार्यकर्ता को आगे बढ़ते देखकर सुखद अनुभूति होती है।

आरएसएस की इस प्रार्थना में है लक्ष्य

आरएसएस के स्वयंसेवक प्रत्येक दिन शाखा पर प्रार्थना बोलते हैं उसकी अंतिम लाइन में संघ का लक्ष्य क्या है, यह बताया गया है। संघ राष्ट्र को परमवैभव की ओर ले जाना चाहता है। आध्यात्मिक अधिष्ठान और भौतिक समृद्धि से युक्त समतामूलक समाज की स्थापना करना ही संघ का लक्ष्य है। इस दौरान गोष्ठी में आये हुये लोगों की जिज्ञासा व प्रश्नों का भी उत्तर श्री अरूण जी ने दूसरे सत्र में दिये।

इससे पूर्व विषय प्रवेश करते हुए विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष नरेंद्र भदौरिया ने कहा कि संघ जाग्रत समाज से राष्ट्रनिर्माण के कार्य को अंगीकार करता है। जाग्रत समाज से ही अपेक्षा की जा सकती है। सबको साथ लेकर चलना संघ का कार्य व्यवहार है। विश्व को श्रेष्ठ बनाने का संकल्प संघ ने लिया है। 94 वर्षों की अनथक यात्रा को संजोए भारत माता के मान वृद्धि के लिए संघ समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर रहा है। मंच पर अवध प्रान्त के संघचालक प्रभूनारायण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रान्त प्रचार प्रमुख डा.अशोक दुबे ने किया।

राम केवी

राम केवी

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