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एवरेस्ट फतह करने वाली IPS अपर्णा ने कहा-मौका मिला तो फिर छुएंगे आसमान
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लखनऊ: ''इतनी आसानियां दोगे तो ठहर जाऊंगा, मुझे फिर से कठिनाइयों के हवाले कर दे।'' किसी शायर की ये पंक्तियां यूपी पुलिस की महिला आईपीएस अपर्णा कुमार पर फिट बैठती हैं। अपर्णा ने अपनी मंजिल पाने के लिए सरल रास्ते को छोड़ दुर्गम रास्ता चुना। फिर भी अपर्णा काे सफलता मिली उन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा और यूपी पुलिस का झंडा गाड़कर इतिहास रच दिया है। वह एवरेस्ट फतह करने के वाली पहली महिला आईपीएस हैं। अपर्णा कुमार ने इसी साल 21 मई को एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था। newztrack ने अपर्णा कुमार से खास बात-चीत की आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।
आगे की स्लाइड्स में देखिए आईपीएस अपर्णा कुमार ने क्या कहा...
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क्या कहा महिला आईपीएस अपर्णा कुमार ने
यूपी पुलिस की पहली महिला एवरेस्ट फतह करने वाली अधिकारी अपर्णा कुमार ने बताया कि एवरेस्ट पर चढ़ने के दो रास्ते हैं। पहला रास्ता नेपाल(साउथ साइड) से और दूसरा रास्ता तिब्बत चीन(नार्थ साइड) से। साउथ साइड के रास्ते में बर्फ ज्यादा है चट्टाने कम और नार्थ साइड में चट्टानें ज्यादा हैं और बर्फ कम। सबसे बड़ी दुश्वारी नार्थ साइड के साथ यह है कि यहां फ़सने पर हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू करने की सुविधा नहीं है। तमाम खतरों के बाद भी अपर्णा कुमार ने नार्थ साइड से ही जोखिम उठाते हुए एवरेस्ट फ़तेह करने की ठानी।
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एवरेस्ट पर चढ़ती आईपीएस अपर्णा कुमार
कठिन रास्ता चुनने के सवाल पर अपर्णा ने क्या कहा
एक साल पहले के हादसे के बारे में बताते हुए अपर्णा कुमार ने कहा कि बीते साल अप्रैल में हम नार्थ साइड से ही एवरेस्ट के मिशन पर थे, लेकिन नेपाल में आए भूकंप के बाद सब कुछ तबाह हो गया। हमें अपने पैर वापस खींचने पड़े। तब बस हालात बदले थे इरादे नहीं। इसलिए उस रास्ते को चुना। इसके अलावा अपर्णा ने बताया कि इस रास्ते से बहुत कम लोग जाते हैं, इसलिए भीड़ नहीं रहती और नजारे भी दिलकश हैं, इसके अलावा वीजा और परमिशन का इशू भी नार्थ साइड से क्लाइम्बिंग करने में आड़े आता है। इसलिये इसी रास्ते को चुना, हालांकि उन्होंने कहा कि मौका मिलेगा तो फिर नेपाल के रास्ते से चढ़ाई करूंगी।
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आईपीएस अपर्णा कुमार ने एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा
शिखर पर पहुंचकर हुई दिव्य अनुभूति
अपर्णा ने बताया कि जब हम एवरेस्ट पर पहुंचे तो उसकी एक अलग अनुभूति हुई, जिसे बयान नहीं कर सकते हैं। उस पर्वत शिखर से हम सबसे ज्यादा शुक्र गुजार थे चोमालिंगमा देवी का(तिब्बत में एवरेस्ट की देवी को चोमालिंगमा कहा जाता है जिसका अर्थ पर्वतों की रानी)।
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जार्ज मैलरी का वहीं मिला था 50 साल बाद शव
अपर्णा ने बताया कि जिस रास्ते से हम गए थे उस रास्ते में ब्रिटिश पर्वतारोही जार्ज मैलरी के बारे में बहुत सुना था। वह 1924 में एवरेस्ट मिशन पे अपने एक साथी के साथ गए थे लेकिन कभी लौट कर नहीं आए 50 साल बाद उनकी डेड बॉडी पर्वता रोहियों को डीप फ्रोजेनस्टेज में मिली। लेकिन उनके साथी का अब तक पता नहीं चल पाया है। यह बातें बहुत ज्यादा रोमांचित करती हैं।
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अपने परिवार के साथ आईपीएस अपर्णा कुमार
7 समिट्स का माउंट डेनाली है अगला पड़ाव
अपर्णा ने बताया की पर्वतारोहियों की दुनिया में 7 समिट्स मतलब सातों महाद्वीपों के सबसे बड़े पर्वत शिखर पर चड़ने से है। एवरेस्ट के साथ उन्होंने 6 पढ़ाव पूरे कर लिए हैं अब अलास्का का माउंट डेनाली उनका अगला टारगेट है। वह 2017 में माउंट डेनाली मिशन की शुरुवात करेंगी, क्योंकि वहां पर सिर्फ मई जून में ही चढ़ाई होती है।
एवरेस्ट की रुहानी कहानियों ने बनाया दीवाना
अपर्णा ने बताया बतौर आईपीएस जब वे मुरादाबाद में 9वीं पीएसी बटालियन में तैनात थी उस समय उनका पहाड़ों से आमना सामना हुआ। वहां से नैनीताल और अन्य पहाड़ी इलाकों में आना जाना हुआ तो पहाड़ों को समझना शुरू किया। इस दौरान एवरेस्ट और अन्य पहाड़ियों से जुड़ी रुहानी कहानियां सुन सुन कर वे पहाड़ों से आकर्षित होने लगी। फिर मनाली से पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया और बाद में ए ग्रेड आने के बाद एडवांस कोर्स किया। फिर तो जैसे पहाड़ों से दोस्ती हो गई।
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अपने वजन के बराबर सामान और स्वास्थ्य का ध्यान दोनों चैलेंजिंग थे
अपर्णा ने बताया कि एवरेस्ट की फतह के लिए मैंने 40 किलो वजन का सामान लेकर चलना पड़ता है। जबकि मेरा खुद का वजन ही 50 किलो है। वहीं सबसे ज्यादा ध्यान अपनी सेहत का रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोई भी गलती बहुत बड़ी कीमत ले सकती है। एवरेस्ट मिशन 2016 के दौरान हुए एक हादसे के बारे में बताया कि हमारे साथ का एक सह यात्री था जिसकी आंख में तेज हवा के चलते कोई पत्थर लग गया और उसे अपना मिशन बीच में ही रोकना पड़ा।
अपनों से दूर अपनों का मोटिवेशन ही उत्साह देता है
अपनी इस सफलता का श्रेय अपने लोगों को देते हुए अपर्णा कहती हैं कि जब हम अपनों से दूर होते हैं तो हमें उनका मोटिवेशन ही आगे बढ़ने का साहस देता है। इस यात्रा के लिए मैं अपने पति संजय कुमार, मां, बेटे नील और बेटी स्पन्दना के साथ—साथ सभी की आभारी हूं, जिन्होंने मुझमे यकीन रखा और इस बात का हैसला दिया कि मैं कर सकती हूं। इसके साथ ही साथ सीनियर्स का भी शुक्रगुजार हूं। जिन्होंने मेरे सामने कोई कठिनाई नहीं आने दी।
सीएम ने भी किया सम्मान वीरता
अपर्णा कुमार की इस उपलब्धि पर उन्हें सीएम अखिलेश यादव ने भी सम्मानित किया। उन्हें यश भारती, रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार और डीजी कमेंडेशन डेस्क से नवाजा जा चुका है।
कौन है अपर्णा कुमार
अपर्णा कुमार यूपी पुलिस की 2002 बैच की आईपीएस हैं। वह मूल रूप से केरला की रहने वाली हैं लेकिन अब लखनऊ की निवासी हैं। उनके पति संजय कुमार भी आईएएस हैं। वे फिलहाल टेक्नीकल सर्विसेज में डीआईजी के पद पर कार्यरत हैं।
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