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जौनपुर: भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाया 41वां स्थापना दिवस
पार्टी का झण्डा रोहण करने के बाद टीवी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सम्बोधन को सुना
जौनपुर: भाजपा की जिला इकाई ने आज पार्टी का 41वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कैम्प कार्यालय खरका कालोनी टी वी हॉस्पिटल रोड पर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में भाजपा का झण्डा रोहण करने के पश्चात टीवी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री मोदी जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा जी के सम्बोधन को सुना गया ।
कार्यकर्ताओं को दी शुभकामनाएं
उक्त अवसर पर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने पार्टी के लिए दशकों तक कड़ी मेहनत करने वालों के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्हीं लोगों के कारण भाजपा को करोड़ों भारतीयों की सेवा का अवसर मिला, भाजपा के स्थापना दिवस पर पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं इस अवसर पर उन सभी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने अपने खून-पसीने से पार्टी को सींचा उनकी वजह से ही भाजपा को आज देशभर में करोड़ों भारतीयों की सेवा करने का अवसर मिला है।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी 2 सीटों से 303 सीटों तक पहुंचने वाली इस भगवा दल की कहानी भी बड़ी रोचक है, पार्टी के नाम से लेकर कमल निशान तक की पूरी कहानी को विस्तार से बताते हुये कहा कि शुरू से ही पार्टी का जोर जनसंघ पर वापस लौटने का नहीं बल्कि एक नई शुरुआत करने का था, पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने नई पार्टी के नाम पर गहन विचार-विमर्श किया, कुछ लोग इसे भारतीय जनसंघ का नाम देना चाहते थे पर बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के दिए गए नाम भारतीय जनता पार्टी को भारी समर्थन मिला। उन्होंने आगे बताया कि झंडे की भी रोचक कहानी है पार्टी जब नई बनी तो एक नया चिह्न और झंडा को भी अपनाया गया जनसंघ के दीये की जगह कमल ने लिया।
कमल निशान मिलने की बताई कहानी
इसका एक तिहाई हिस्सा हरा और दो तिहाई केसरिया था, जनता पार्टी से अलग होने के बाद हमने अपनी पहचान बना ली थी, इसलिए जरूरी था कि हम मतदाताओं के पास जनता पार्टी के हलधर किसान से अलग चुनाव-चिह्न के साथ जाएं। कमल निशान मिलने की कहानी बताई उन्होंने बताया कि हमारे पास पार्टी को चुनाव आयोग के पास पंजीकृत कराने का पर्याप्त समय नहीं था, न ही हम अपने पार्टी चिह्न पर चुनाव लड़ सकते थे क्योंकि हमें अभी तक यह आवंटित नहीं किया गया था।
पार्टी ने लालकृष्ण आडवाणी को तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एस एल शकधर से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए जा रहे प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता करने को कहा, शकधर ने उनसे कहा कि मेरे लिए इस समय एक नई पार्टी को शामिल करना कठिन है, क्योंकि चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और आपकी पार्टी अभी तक पंजीकृत भी नहीं हुई है, फिर भी आप उनमें से कोई चुनाव चिह्न पसंद कर सकते हैं जो स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध हैं, मैं आपके सभी उम्मीदवारों को समान चिह्न अपनाने की अनुमति दूंगा, जिससे कि उनकी एक समान संगठनात्मक पहचान बन सके।
आडवाणी जी ने उपलब्ध चिह्नों को देखा उन्हें देखकर खुशी हुई कि कमल भी उनमें से एक था, उन्होंने चुनाव आयुक्त से पूछा कि क्या वे हमें कमल चिह्न दे सकते हैं? शकधर, जो जानते थे कि हमने कमल इसलिए चुना है कि क्योंकि इसे पार्टी के दिल्ली में हुए स्थापना अधिवेशन में झंडे के लिए चुना गया था, आडवाणी जी की ओर देखकर मुस्कुराए और कहा कि आपका अनुरोध स्वीकार्य है। लेकिन उन्होंने यह भी देखा कि स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध चिह्नों में गुलाब भी था फूलवाले दोनों चिह्न काफी मिलते-जुलते लगते थे। तब उन्होंने शकधर से अनुरोध किया कि क्या वे गुलाब को सूची से हटा सकते हैं, चूंकि मतदाता एक मतपत्र पर दो फूल देखकर दुविधा में पड़ जाएंगे, वे फिर मुस्काराएं और कहा कि अनुरोध स्वीकार है।
उक्त अवसर पर जिला महामंत्री सुशील मिश्र, पीयूष गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, किरण श्रीवास्तव, पूर्व जिला उपाध्यक्ष राम सिंह मौर्य, जिला मंत्री अभय राय, डीसीएफ चेयरमैन धनन्जय सिंह, भूपेंद्र सिंह, मीडिया प्रभारी आमोद सिंह, भूपेन्द्र पाण्डेय, विनीत शुक्ला, अनिल गुप्ता, रोहन सिंह, इन्द्रसेन सिंह, सुधांशु सिंह, प्रमोद प्रजापति, विपिन द्विवेदी, प्रतीक मिश्रा, शुभम मौर्य आदि उपस्थित रहें।