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कोरोना महामारी ने छीन ली आजीविका: डॉ. संजय सिंह

इस बस्ती में रहने वाली रूपा ने बताया कि इस लॉकडाउन के बाद से आजीविका का संकट है उनके द्वारा बनायी गयी लौहे की चीजे अब लोग खरीद नहीं रहे है।

Rahul Joy
Published on: 23 Jun 2020 1:38 PM IST
कोरोना महामारी ने छीन ली आजीविका: डॉ. संजय सिंह
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झाँसी। ग्वालियर रोड पर पहाड़ी के पीछे जौहर नगर नाम की एक मलिन बस्ती है, इस बस्ती में 150 से अधिक परिवार रहते है, जिनमें से अंधिकाश लौह पीटा और बैण्ड बजाने, कबाड़ बीनने का काम करते है। कोरोना महामारी के बाद झाँसी रोज खाने और कमाने वालों की आजीविका छीन ली है। यह बात परमार्थ संस्था के संयोजक डॉ. संजय सिंह ने कही है।

इस बस्ती में रहने वाली रूपा ने बताया कि इस लॉकडाउन के बाद से आजीविका का संकट है उनके द्वारा बनायी गयी लौहे की चीजे अब लोग खरीद नहीं रहे है। इसी बस्ती के अर्जुन ने बताया कि वह झाँसी शहर के बीकेडी चैराहे पर हस्तनिर्मित लौहे के औजारों को बेचने की दुकान लगाते है पिछले 10 दिन से दुकान में बिल्कुल बिक्री नहीं हुयी है, अब उनके सामने खाने के लाले पड़े है, तीन दिन से उनके घर में आटा नही है।

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कई दिनों तक भूखा रहना पड़ रहा

इसी बस्ती के अनवर ने बताया कि अब शादियों में बैण्ड बजना बंद हो गया है जिससे उनकों कोई मजदूरी नहीं मिल रही है, अब वह घर का खर्चा नहीं चला पा रहे है, भुखमरी का हालात है, घर में दवाई के लिए भी पैसे नही है। झाँसी के पहुज के किनारे अछन्ना रोड पर घुमन्तु समाज के 100 परिवार जो झाड़ू बनाकर गांव-गांव में बेचने का काम करते है, इस बस्ती के अवधेश ने बताया कि अब वह जब झाड़ू बेचने जाते है तो लोग झाड़ू तो खरीदते ही नहीं है बल्कि गांव में भी नहीं घुसने देते है कहते है कि आप कोरोना लेकर आये हो।

पूरी तरह से उनका झाडू बेचने का आजीविका का संसाधन प्रभावित हो गया है। ऐसे में इन सबसे के सामने दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल है। छोटे बच्चे जिनके लिए ना तो कपड़े खरीद पा रहे है किसी भी तरह से अपना पेट भर रहे है। लेकिन कई-कई दिनों भूखा रहना पड़ रहा है।

नियमित तनख्वाह देना कर दिया बंद

टैक्सी ड्राइवर रईस ने बताया कि मालिक ने नियमित तनख्वाह देना बंद कर दिया है, जितने दिन बुकिंग आयेगी, उतने दिन ही पैसे देगे, पिछले तीन महिनों से घर में बैठे में थे अब पेट भरने के लाले पडे हुए है। लॉकडाउन के कारण आयी आर्थिक मंदी के कारण बड़े पैमाने पर लोगों के रोजगार छिन गये है, निजी क्षेत्र के संस्थानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर दी है, नौकरी छिन जाने के कारण लोगो के सामने आर्थिक संकट बढ गया है।

अब आत्महत्या जैसी घटनाओं में होगी वृद्धि

आरटीआई एक्टविस्ट मुदित चिरवारिया का कहना है कि सरकार को ऐसे लोगों के लिए आर्थिक पैकेज घोषित करने की जरूरत है, जिन लोगों की आजीविका छिन गयी है, उनकों अन्य सम्मानजनक आजीविका के संसाधन उपलब्ध कराये जाये, वरना आने वाले समय में गरीबी के कारण अवसाद और अधिक बढेगा जिससे आत्महत्या जैसी घटनाओं में वृद्धि होगी।

जरुरतमंद लोगों की मदद की जानी चाहिए

परामर्शदाता ललिता वर्मा कहती है कि इस आर्थिक तंगी का असर महिलाओं के ऊपर पड रहा है जिसके कारण महिला एवं बच्चे कुपोषित हो रहे है, एक तरफ सरकार एम्यूनिटी बढाने की बात कर रही है वही दूसरी तरफ आर्थिक संकट है। इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार और समाज दोनों को जरूरतमंद लोगों मदद की जानी चाहिए।

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