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Kannauj News: कन्नौज के लाल की छुट्टी हुई कैंसिल, भारत पाकिस्तान युद्ध को लेकर आया संदेश
Kannauj News: भारत पाकिस्तान युद्ध को लेकर उनको वापस बुलाने का संदेश भेज दिया गया। संदेश पाते ही पूरे परिवार ने उनको युद्ध के लिए तैयार कर फूल मालाओ से हौसला अफजाई कर बॉर्डर पर जाने की अनुमति गई।
कन्नौज के लाल की छुट्टी हुई कैंसिल (photo: social media )
Kannauj News: कन्नौज जिले के मझपुर्वा गांव के रहने वाले शकील अहमद जो कि राजपूत रेजिमेंटल में हवलदार पद पर तैनात है। अभी वह छुट्टी पर घर आए हुए थे कि भारत पाकिस्तान युद्ध को लेकर उनको वापस बुलाने का संदेश भेज दिया गया। संदेश पाते ही पूरे परिवार ने उनको युद्ध के लिए तैयार कर फूल मालाओ से हौसला अफजाई कर बॉर्डर पर जाने की अनुमति गई। बहन रजिया बेगम बोली मेरा एक ही भाई है, अगर इसकी जगह और 4-5 भाई होते तो मै उनको भी जंग में देश के लिए भेज देती । भाई बोला हम चार भाई फौज में हैं, तीन रिटायर हो चुके है। एक को बुलावा आ गया है।
भाई ने रक्षामंत्री को लिखा कि वह रिटायर होने के बाद भी अगर लड़ाई के लिए बुलाया जाए तो वर्दी पहन कर सबसे पहले जाने को तैयार हूँ।
शकील के भाई सूबेदार मेजर जावेद खां ने बताया कि मै मझपुर्वा का रहने वाला हूँ और हम चार भाई फौज में है। जिसमें से तीन रिटायर हो चुके है। दो कजिन भाई, दो सगे भाई। सबसे पहले हमारे रिटायर सूबेदार बसीउद्दीन जो सबसे बड़े भाई हैं, दूसरे कैप्टर एम0ए0 परवेज जो मेरे सगे भाई है और मै आनरेवल सूबेदार मेजर जावेद खां रिटायर हूँ। अभी कल फोन आया था बटालियन से शकील अहमर के लिए जो हवलदार है, 31 राजपूत में अभी तैनात है। बिटिया की कुछ तबियत खराब है, इसलिए आया था और अचानक उसकी बटालियन ने उसको काॅल किया। वह 8-10 बजे सुबह अपनी बटालियन के लिए रवाना हो गया।
कारगिल की जंग
हम लोगों को आज बहुत फक्र हो रहा है कि आज हमारा छोटा भाई कम से कम युद्ध लड़ने जा रहा है। तीन भाई तो रिटायर हो गये है, लेकिन हम में अभी भी जज्वा है कि आज अगर बटालियन कभी भी हमारी जरूरत पड़े तो तीनों भाई आज भी सरहद पर जाकर दुश्मन के दांत खट्टे कर देंगे। 1999 की जंग हुई थी, कारगिल की जंग जिसे हम लोग बोल रहे है। उसमें मैने ढाई महीने भाग लिया है और उस जंग को मैने देखा है । ढाई महीना वह जंग लड़ी और हम लोग यह भूल जाते है कि गांव गली और घर क्या होता है, सिर्फ जंग और अपनी डियूटी याद रहती है ।
जो मेरा भाई बार्डर पर गया है, उसके लिए मैने एक शेर भी लिखा है - चलो वतन की आबरू आज बचाना है, वतन से अपने दुश्मनों को अब भगाना है। कफन को बांध लो सर पर अब आ गया वह दिन, वतन के लिए अब अपनी जान को भी लुटाना है। तो इससे अच्छा पल अब हमारे लिए क्या हो सकता है। कि अगर देश के लिए हम कुर्बान भी हो जाते है।
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