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गुरुदेव का लिखा समझ में नहीं आता, कोई नहीं...LU कराएगा बंगाली भाषा का कोर्स
लखनऊ विश्वविद्यालय में अन्य भाषाओं की तरह अब बंगाली भाषा का कोर्स कराया जाएगा। इसके लिए बंगीय समाज ने राज्यपाल रामनाईक का आभार एवं धन्यवाद दिया है। बंगीय समाज ने यह भी मांग की है हनुमान सेतु से लेकर डालीगंज तक के मार्ग का नाम राष्ट्रगीत रचयिता बंकिमचन्द्र चटटोपध्याय के नाम पर रखा जाए।
लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में अन्य भाषाओं की तरह अब बंगाली भाषा का कोर्स कराया जाएगा। इसके लिए बंगीय समाज ने राज्यपाल रामनाईक का आभार एवं धन्यवाद दिया है। बंगीय समाज ने यह भी मांग की है हनुमान सेतु से लेकर डालीगंज तक के मार्ग का नाम राष्ट्रगीत रचयिता बंकिमचन्द्र चटटोपध्याय के नाम पर रखा जाए।
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बंग भाषा के प्रसि़द्व लेखक बंकिम चन्द्र चटटोपध्याय की जयन्ती पर बंगीय नागरिक समाज ने एक कार्यक्रम किया जिसमें उनके योगदान और राष्ट्रभक्ति पर चर्चा की गयी। कार्यक्रम के मुख्य संयोजन प्रकाश कुमार दत्ता ने बताया कि बंकिम चन्द्र चट्टोपध्याय की लेखनी से बंगीय समाज गर्व का अनुभव करता है। चट्टोपाध्याय की लेखनी से बंगाली भाषा का विश्वभर में प्रचार प्रसार हुआ।
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उनका पहला उपन्यास दुर्गेश नन्दिनी का विश्व में प्रचार हुआ। इसके अलावा कपाल कुण्डलिनी मृणालिनी विषवृक्ष आदि खूब लोकप्रिय हुए। बंकिम चन्द्र चट्टोपध्याय को राष्ट्रगीत के कारण ही ज्यादा पहचाना गया।
इस मौके पर बंगीय समाज ने कुछ लोगों को सम्मानित भी किया। जिसमें प्रमुख रूप से अनन्या सिंह शामिल थी।