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'मासूम से हुई दरिंदगी लेकिन... नहीं जागा लखनऊ प्रशासन', सड़क किनारे बेटियों के साथ सो रहे दर्जनों परिवार, क्या नए हादसे का इंतजार!

Girls Safety in Lucknow: योगी सरकार में महिला सुरक्षा के दावों की देखिए हकीकत...

Hemendra Tripathi
Published on: 9 Jun 2025 2:16 PM IST
मासूम से हुई दरिंदगी लेकिन... नहीं जागा लखनऊ प्रशासन, सड़क किनारे बेटियों के साथ सो रहे दर्जनों परिवार, क्या नए हादसे का इंतजार!
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Lucknow Girls Safety: लखनऊ के आलमबाग में बीते दिनों मां बाप के साथ सो रही ढाई साल की मासूम के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया था। घटना के बाद एक ओर लखनऊ पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले दीपक नाम के दरिंदे को एनकाउंटर में ढेर किया तो वहीं, दूसरी ओर दरिंदगी का शिकार हुई पीड़िता का इलाज अभी भी KGMU के चल रहा है। घटना के बाद इस मामले पर जिला प्रशासन कितना सख्त व गंभीर हुआ, उसकी पड़ताल करने के लिए रविवार व सोमवार की मध्य रात्रि Newstrack की टीम शहर के प्रमुख इलाकों में पहुंची। जहां जिला प्रशासन की ओर से सड़क पर सो रहे निराश्रित परिवारों, गरीबों व भिक्षावृत्ति करने वालों को लेकर किए जा रहे दावों की पोल खुल गयी।

चारबाग से हजरतगंज जाने वाले मार्ग पर मासूम बच्चियों के साथ सोते मिले दर्जनों परिवार

Newstrack की टीम चारबाग से होते हुए हजरतगंज की ओर से बढ़ी। इस दौरान नेहरू मार्ग पर बने मोतीलाल नेहरू होम्योपैथीक हॉस्पिटल के बाहर डिवाइडर पर सैंकड़ों परिवार सोते हुए मिले। इन लोगों में महिलाओं और पुरुषों के साथ 2 साल से लेकर 10 साल तक की मासूम बच्चियां भी दिखीं। स्थानीय दुकानदारों में बताया कि बीते कई दिनों से भारी संख्या में ये परिवार के लोग ऐसे ही यहां रोते हैं, ऐसे में इनके साथ सड़क हादसे व अन्य हादसे का खतरा बना रहता है लेकिन जिला प्रशासन व पुलिस की ओर से इनपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

आलमबाग रेप कांड से नहीं जागा प्रशासन, हुआ हादसा तो कौन होगा जिम्मेदार?

आपको बता दें कि आलमबाग में ढाई साल की मासूम के साथ हुए रेप कांड में बताया गया था कि वह अपने माता-पिता के साथ सो रही थी कि देर रात एक युवक उसका मुंह दबाकर मासूम को उठाकर ले गया और फिर उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। ऐसे में नेहरू मार्ग पर भी सो रहे परिवार के साथ भी ऐसे हादसे का खतरा बना रहता है। जैसे-जैसे रात अपने चरम पर होती है, यह इलाका सुनसान हो जाता है। ऐसे में पूरे दिन की मेहनत के बाद गहरी नींद में सो रहे परिवार की किसी मासूम के साथ अगर आलमबाग जैसी कोई घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि देर रात पुलिस भी इस जगह पर गश्त करती है लेकिन इस स्थान पर सोने के लिए ना इन्हें कोई रोकने वाला है और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी इनके लिए ठहरने का इंतजाम करने वाला है।



सड़क पर सो रहे परिवारों के ठहरने का इंतजाम कर रहा प्रशासन तो कैसे दिख रही ये तस्वीर?

आपको बता दे कि बीते लंबे समय से लखनऊ जिला प्रशासन की ओर से लगातार सड़कों पर अभियान चलाकर सड़क किनारे सो रहे निराश्रित परिवारों को आश्रय दिलाने का दावा किया जा रहा है। साथ ही साथ भिक्षावृत्ति में लिप्त परिवारों को भी इस दलदल से निकलकर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने का काम किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है जिला प्रशासन के अफसरों सड़कों पर उतरकर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। यदि उनका दावा सही है तो नेहरू मार्ग समेत अन्य मार्गों में ये तस्वीर किस प्रकार देखने को मिल रही है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। आलमबाग जैसी घटना के बाद यदि सड़क के किनारे इस प्रकार मासूम बच्चियां बिना किसी सुरक्षा के सो रही हैं तो भविष्य में किसी अनहोनी की जिम्मेदारी कौन लेगा। क्या जिला प्रशासन आलमबाग जैसी घटना का इंतजार कर रहा है।



अलग अलग जिलों से आकर मजदूरी करते हैं परिवार, नहीं है कोई आसरा

इन्हीं परिवारों में शामिल कुछ लोगों से Newstrack की टीम ने बातचीत की तो भदोही के रहने वाले विजय ने बताया कि वो अपने परिवार के साथ यहां आए हैं। दिन भर मेहनत मजदूरी करते हैं और रात में कमरे हुए पैसों से परिवार का पेट पालकर डिवाइडर पर ही सो जाते हैं। वहीं, प्रयागराज के रहने वाले रामसहारे ने बताया कि उनके परिवार के साथ अन्य परिवार भी यहां मौजूद हैं, जो अलग अलग जिलों से आये हैं। ये सभी यहां कबाड़ का काम करने के साथ साथ लेबर मजदूरी, कॉलोनियों में जाकर शौचालय की साफ सफाई का काम करते हैं और अपने परिवार का पेट पालते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक पुलिस या प्रशासन की ओर से यहां सोने को लेकर कोई रोकटोक नहीं हुई है। लेकिन आलमबाग में हुई घटना से परिवार की बेटियों को लेकर चिंता बनी रहती है। बावजूद इसके पेट पालने के लिए रिस्क लेना पड़ता है।

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Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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