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Mainpuri News: 22 साल बाद भी अनसुलझा बैंक डकैती और हत्या का मामला, अदालत ने तीन को किया बरी
Mainpuri News: 22 साल बीत चुके हैं पर आज भी यह रहस्य बरकरार है कि आखिर तीन निर्दोष बैंककर्मियों की हत्या और 88 लाख की लूट किसने की?
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Mainpuri News: जिले के भोगांव में साल 2003 की उस खौफनाक शाम को आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं, जब तीन निर्दोष बैंककर्मियों की निर्मम हत्या कर 88 लाख रुपये की लूट को अंजाम दिया गया था। अब 22 साल बाद भी यह सवाल जस का तस बना हुआ है कि आखिर उस भीषण अपराध को अंजाम किसने दिया?
खेत से बरामद हुए नोट, पुलिस ने की गिरफ्तारी
घटना के सात साल बाद, दिसंबर 2010 में भोगांव के अम्हेड़ा गांव में अनेके सिंह के खेत की जुताई के दौरान एक बोरी में रखे 2.90 लाख रुपये बरामद हुए। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अवधेश, सहारोज, आदिल और सतीश को हिरासत में लिया। अवधेश के बयान पर अकबर कुरैशी को भी मामले में नामजद किया गया। पुलिस ने दावा किया कि बरामद राशि 2003 की डकैती से संबंधित है और चारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।
कोर्ट में नहीं टिक सकी पुलिस की थ्योरी
मामले में 2015 में आरोप तय हुए और सुनवाई शुरू हुई। अभियोजन पक्ष ने गवाह और सबूत पेश किए, लेकिन पुलिस कोई स्वतंत्र (आम) गवाह पेश नहीं कर सकी। बरामदगी और घटनास्थल के साक्ष्य भी संदेह के घेरे में रहे। कोर्ट ने माना कि विवेचना में गंभीर खामियाँ थीं। इस कारण तीनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
अब भी अनसुलझा है सबसे बड़ा सवाल
22 साल बीत चुके हैं पर आज भी यह रहस्य बरकरार है कि आखिर तीन निर्दोष बैंककर्मियों की हत्या और 88 लाख की लूट किसने की? क्या इस केस की कभी दोबारा जांच होगी? क्या पीड़ित परिवारों को कभी न्याय मिलेगा? यह सवाल आज भी भोगांव की फिजाओं में तैर रहा है।
खौफनाक मंजर और तत्कालीन कार्रवाई
घटना के दिन बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम के पास शिवराज सिंह की लाश पड़ी थी, जबकि स्टोर रूम में आर.के. गुप्ता और एम.सी. अग्रवाल के शव खून से सने हुए मिले थे। बैंक का लॉकर टूटा हुआ था और चारों तरफ खून बिखरा पड़ा था। इस भयावह वारदात की जानकारी मिलते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने तत्काल खुलासे के आदेश दिए थे। कई जांच टीमें गठित की गईं, लेकिन चार साल की जांच के बावजूद पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। जिसके बाद 6 अगस्त 2005 को पुलिस ने ‘फाइनल रिपोर्ट’ (एफआर) लगाकर मामले को बंद कर दिया।
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