TRENDING TAGS :
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन वजहों से टूटी 60 मासूमों के सांसों की डोर
गौरव त्रिपाठी
गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अब तक हुए 60 मरीजों की मौत से हड़कंप मचा है। दो दिन पूर्व यानी 9 अगस्त को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां का दौरा किया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित बिहार और नेपाल से आने वाले मरीजों के लिए इस मेडिकल कॉलेज 'लाइफ लाइन' कहा जाता है। लेकिन, इन मौतों के आंकड़ों ने अधिकारियों और चिकित्सकों के भी होश उड़ा दिए हैं। मरने वालों में अधिकतर नवजात हैं।
वहीं यह भी कहा जा रहा है, कि मरीजों की मौत का कारण ऑक्सीजन खत्म होना है। लेकिन, मेडिकल कॉलेज और जिला प्रशासन इससे इंकार कर रहा है। वहीं इन मौतों की सूचना मिलने के बाद मेडिकल कॉलेज पहुंचे बांसगांव सांसद कमलेश पासवान ने चिकित्सकों से बातचीत कर वार्ड का दौरा किया। उन्होंने सरकार से जांच के बाद सख्त कार्रवाई की बात भी कही।
डीएम का अपना ही तर्क
गोरखपुर के इस मेडिकल कॉलेज में हर रोज इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीजों के साथ अन्य मरीज भी सैकड़ों की संख्या में भर्ती होते हैं। लेकिन, तीन दिन में हुई मौतों में इंसेफेलाइटिस हीं नहीं, नवजात और अन्य मरीज भी हैं। डीएम राजीव रौतेला ने बताया, कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं थी। टेंडर खत्म होने और रुपए बकाया होने की बात थी। लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो रहा था लेकिन, समय के पहले उसकी व्यवस्था कर ली गई थी। उन्होंने बताया कि 9 अगस्त से अभी तक 30 मरीजों की मौत हुई है।
आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर ...
इन मौतों के जिम्मेदार पर हो कार्रवाई
वहीं, बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे बांसगांव सांसद कमलेश पासवान ने चिकित्सकों से बातचीत के बाद बताया, कि 'पिछले 36 घंटे में 30 मरीजों की मौत हुई है। उन्होंने कहा, कि मरने वालों में अधिकतर नवजात हैं और मौत ऑक्सीजन खत्म होने के कारण हुई या फिर किसी और वजह से यह जांच के बाद ही पता चलेगा। उन्होंने कहा, कि जांच के बाद जो भी दोषी लोग होंगे और जिनकी ओर से भी लापरवाही बरती गई है उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।'
कंपनी ने चेताया था
सूत्रों की मानें, तो मेडिकल कॉलेज कालेज में पुष्पा सेल्स कंपनी लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करती है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कंपनी का लगभग 69 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया। पिछले दो महीने से कंपनी प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा को पत्र लिखकर भुगतान के बारे में चेताती रहीं, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जिससे कंपनी ने कॉलेज को ऑक्सीजन सप्लाई करने से मना कर दिया। हालांकि जिलाधिकारी राजीव रौतेला इस बात को नकार रहे हैं।
जूं तक न रेंगी
बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज के लिक्विड ऑक्सीजन पंप संचालक ने इस पूरे मामले की जानकारी गुरुवार को ही मेडिकल कालेज के प्राचार्य, प्रमख चिकित्सा अधीक्षक, नोडल अधिकारी एनएचएम को दी थी. फिर भी इन अधिकारियों पर इस गंभीर मामले को लेकर भी जूं तक न रेंगी, जिससे शुक्रवार को हालात बद से बदतर हो गए।
दूसरी कंपनी ने भी नहीं दिया ऑक्सीजन
अचानक लिक्विड ऑक्सीजन खत्म होने पर प्रशासन ने ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली गोरखपुर की कंपनी मयूर से संपर्क किया। संपर्क करने पर उसने नकद पैसे पर 50 सिलेंडर देने की सहमति दी। वार्ड 100 प्रभारी कफील खान ने 10 हजार रुपए देकर सिलेंडर लेने के लिए गाड़ी भेजी तो कंपनी ने सिलेंडर देने से मना कर दिया। मेडिकल कॉलेज में हर रोज 150 ऑक्सीजन सिलिंडरों की खपत है। एक बार में 16 सिलिंडर लगाए जाते हैं। इन सिलिंडरों की सबसे अधिक जरूरत इंसेफेलाइटिस वार्ड में पड़ती है। एक बार में लगाए गए 16 सिलेंडर मात्र एक घंटे 15 मिनट ही चलती है।
योगी सरकार की किरकिरी तय
प्रशासनिक अधिकारी और मेडिकल कॉलेज के अधिकारी और चिकित्सक चाहे लाख दावे करें, लेकिन इन मौतों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में योगी सरकार की किरकिरी होना भी तय है। वह भी तब जब उनके दौरे के दिन 9 अगस्त से 11 अगस्त के बीच यह मौतें हुई हैं।
गायब हो गए थे प्रिंसिपल
वहीं, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जब मौत मरीजों के सिर पर मंडरा रहा था तो प्रिंसिपल राजीव मिश्रा गोरखपुर छोड़कर फरार हो चुके थे। तहकीकात में यह बात सामने आई है कि जब वेंडर पुष्पा सेल्स उन्हें ऑक्सीजन सप्लाई के बदले पेमेंट का रिमाइंडर भेज रहा था तो प्रिंसिपल ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। 10-11 अगस्त की रात जब ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने की कगार पर थी तो प्रिंसीपल राजीव मिश्रा दिल्ली जा चुके थे। यह बात तो तय है कि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को भुगतान के अभाव में ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने की बात कई दिनों पहले पता लग चुकी थी, लेकिन वे इस मामले में मीडिया को मैनेज करने में लगे थे। यही नहीं अपनी पोल खुलने के डर से राजीव मिश्रा ने मेडिकल कॉलेज कैंपस में अघोषित बैन लगा रखा था।