×

Meerut News: लगातार मिल रही लावारिश लाशें, कर रही अपनी शिनाख्त का इंतजार

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में लगातार लावारिस लाशों से मिलने का सिलसिला चला रहा है। बता दें इस साल एक भी लावारिस लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी है।

Sushil Kumar
Written By Sushil KumarPublished By Bishwajeet Kumar
Published on: 5 April 2022 8:51 PM IST
Firozabad News
X

बाइक और ऑटो की भिडंत में मिस्त्री की मौत (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार : सोशल मीडिया)

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में भी आए दिन लावारिस लाश मिलना आम बात हो गई है। महिला या पुरुष के शव को दूर-दूर तक पहचानने वाला कोई नहीं होता। नदी, नाला, नहर, रेलवे ट्रैक, चौराहों और झाड़ी आदि में पाई जाने वाली इन लावारिस लाशों में बहुत कम ऐसी लाशें होती हैं जिनकी शिनाख्त देर-सवेर करने में पुलिस कामयाब हो जाती है। लेकिन, कई ऐसी लाशे भी होती हैं जिनकी जिनकी पहचान कराने में पुलिस पूरी तरह फेल साबित हो रही है। सवाल है जब पुलिस शव की पहचान कराने में फेल हो रही है तो ऐसे में आरोपी कैसे पकड़े जाएंगे?

नहीं है कोई वारदातों के खिलाफ आवाज उठाने वाला

दरअसल, लावारिश लाशों की शिनाख्त इसलिए भी कम हो पाती हैं क्योंकि इन वारदात का पर्दाफाश करने के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं होता है। दूसरा अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए हत्या के बाद शिनाख्त छिपाने के लिए चेहरा बिगाड़ने के साथ ही, लाश जला देता है। वहीं, कई मामलों में सिरकटी लाश भी पुलिस के लिए सिरदर्द बन जाती है।मीडिया भी एक बार खबर देकर लावारिस लाश को भूल जाता है। शिनाख्त न होने के चलते पुलिस उक्त मामले की फाइल भी बंद कर देती है। साथ ही, घटना के पीछे के रहस्य का खुलासा भी नहीं हो पाता है।

इस साल एक भी शव का नहीं हो सका पहचान

मेरठ जनपद में इस साल अब तक हुई घटनाओं में पुलिस एक भी शव की पहचान नहीं कर पाई है। मसलन, बीती 27 मार्च को नौचंदी थाना क्षेत्र के पटेल मंडल में एक अज्ञात युवक का मिला था शव, नहीं हो सकी शिनाख्त। इससे पहले 11 मार्च को मुंडाली के गांव जिसौरा में महिला की हत्या कर शव को जला दिया गया था। बीती 12 फरवरी को थाना रोहटा के गांव दिलावरा जैनपुर मार्ग पर सौ मीटर के अंतराल में दो शव मिले थे। एक के हाथ पर लालटू तो दूसरे के हाथ पर लाल अधिकारी लिखा था। बावजूद इनकी शिनाख्त आज तक नही हो पाई है। इससे पहले 25 जनवरी को परतापुर के गांव काशी में 24 घंटे के अंतराल में तालाब के किनारे पर एक महिला का शव मिला था। इन लाशों को भी अपनी शिनाख्त का इंतजार है।

यह होती है प्रक्रिया

यहां बता दें कि कोई भी शव पुलिस को मिलता है तो पुलिस मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में शव को तीन दिन तक रखती है। तीन दिन के अन्दर शव को पहचान करने के लिए कोई आता है तो पुलिस पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को दे देती है जो शव का अंतिम संस्कार कर देते है। यदि शव की पहचान नहीं होती तो तीन दिन बाद मानव सेवा समिति के द्वारा शव का अंतिम संस्कार या सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाता है। जब भी कोई शव मिलता है तो संबंधित थाने की पुलिस उसका हुलिया देखने के बाद मेरठ शहर और देहात के थानों को वायरलैस करा देती है, जिसके बाद शव की पहचान करने के लोग आते रहते हैं। यदि किसी का शव होता है तो पुलिस नियम अनुसार उसको दे देती है यदि शव की पहचान नहीं होती तो उसका अंतिम संस्कार पुलिस पोस्टमार्टम के बाद करा देती है। मेरठ जिले के अलावा आसपास के जिलों में भी वायरलैस करके शव की पहचान कराने की कोशिश की जाती है। दूसरे राज्यों में शव की पहचान नहीं हो पाती है। यह पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हर शव की पहचान को बड़ी जद्दोजहद की जाती है। यदि थंब मशीन पर अंगूठा लगाने से आधार कार्ड का पूरा रिकार्ड मिला जाए, तब पुलिस अधिकारियों ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर अंगूठा लगाने से पूरा रिकार्ड सामने लाने की अपील की है। लावारिस व्यक्ति व लाश की पहचान कराने के लिए पुलिस ने जिपनेट सॉफ्टवेयर तैयार किया था। इस पर प्रदेश और देश के सभी लावारिस लोगों और शवों के फोटो अपलोड किए जाते हैं।

Bishwajeet Kumar

Bishwajeet Kumar

Next Story