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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को दिया अल्टीमेटम, निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाए अंकुश
यूपी में योगी सरकार ने आते ही निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने को अपनी प्राथमिकता के कार्यों में रखा था। इस बार फिर से शैक्षिक सत्र शुरू हो चुके हैं। लेकिन निजी स्कूलों पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
लखनऊ : यूपी में योगी सरकार ने आते ही निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने को अपनी प्राथमिकता के कार्यों में रखा था। इस बार फिर से शैक्षिक सत्र शुरू हो चुके हैं। लेकिन निजी स्कूलों पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
यूपी का माध्यमिक शिक्षा विभाग भी इस मामले पर कोई ठोस कदम उठाता नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूपी के माध्यमिक शिक्षा विभाग को पत्र देकर अल्टीमेटम देना पड़ रहा है।
फीस वृद्धि पर बनाए स्पष्ट नियमावली
यूपी के स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन की ओर से लखनऊ के सांसद और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह को कुछ दिन पहले एक पत्र भेजा गया था। जिसमें निजी और मिशनरी स्कूलों की बढ़ती फीस पर अंकुश लगाने और एक स्पष्ट फीस नियमावली का यूपी में अभाव बताया गया था। इसके अलावा एसोसिएशन की ओर से निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर को गुजरात मॉडल के आधार पर नियमावली के तहत स्पष्ट करने की मांग की गई थी।
दिए नियमावली बनाने के निर्देश
इसके अलावा स्कूल परिसर में चल रही स्टेशनरी की अवैध दूकानों को बंद करवाने और स्टेशनरी व्यापार को हो रहे आर्थिक नुकसान से बचाने की गुहार लगाई गई थी। इस पत्र का संज्ञान लेकर केंद्रीय गृह मंत्री के निजी सचिव केपी सिंह की ओर से यूपी के माध्यमिक शिक्षा विभाग को इस संबंध में स्पष्ट नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
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मनमाने तरीके से इन स्कूलों में फीस बढ़त्तरी
-निजी स्कूलों की ओर से एडमशिन के टाइम पर मनमाने तरीके से फीस बढ़त्तरी की जाती है।
-गोमतीनगर स्थित सीबीएसई स्कूल स्टडी हॉल में इस साल 7 प्रतिशत फीस बढ़त्तरी की गई।
-इसमें प्राइमरी सेक्शन की एक साल की फीस पहले 66, 860 रुपए थी, जिसको बढ़ाकर 71,560 कर दिया गया।
-इसके अलावा जयपुरिया के प्री प्राइमरी सेक्शन में एक साल में जहां 45,950 रुपए लिए जाते थे, वहीं इसको 50,550 रुपए कर दिया गया।
-दिल्ली पब्लिक स्कूल में भी प्राइमरी सेक्शन की फीस 52,400 रुपए हर साल कर दी गई, जो पिछले साल की अपेक्षा 10 प्रतिशत अधिक है।
-वहीं जीडी गोयनका की प्राइमरी की एक साल की फीस 96,000 से सीधे एक लाख रुपए कर दी गई।
-सिटी मांटेसरी स्कूल की प्राइमरी सेक्शन की फीस भी पिछले साल जहां 43,060 रुपए थी। वहीं इसे 14.9 प्रतिशत बढ़ाते हुए 49 हजार 500 रुपए कर दिया गया।
-इसके अलावा न्यू वे सीनियर सेकंडरी स्कूल, अलीगंज में कक्षा 3 की एक साल की फीस 22,150 रुपए से बढ़ाकर सीधे 33,870 रुपए कर दिया गया।
-मिलेनियम स्कूल में प्राइमरी की फीस 60,916 से बढ़ाकर 71,300 रुपए कर दी गई है।
-सेंट फ्रांसिस स्कूल में केजी की फीस 30, 400 रुपए से 14.4 प्रतिशत बढ़ाकर 34 हजार 800 रुपए वार्षिक कर दी गई।
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पैरेंट्स की जेब पर डाका
इसके अलावा पैरेंट्स से स्कूल द्वारा बताई गई दुकान से स्टेशनरी, ड्रेस आदि खरीदने का दबाव बनाने से लेकर स्कूल की बिल्डिंग में एसी लगवाने, कंप्यूटर फीस, लाइब्ररी फीस, स्विमिंग फीस, आउटडोर टूर फीस सहित कई माध्यम से पैरेंट्स की जेब पर डाका डाला जाता है।
जैसा कि तालिका में देख सकते हैं कि जब प्राइमरी और प्री प्राइमरी की फीस का ये हाल है तो हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में वसूली का स्तर क्या होता होगा। ऐसी हालत में पैरेंट्स का बजट बिगड़ना स्वाभाविक ही है।
लखनऊ के बड़े प्राइवेट स्कूलों में सालाना बढ़ोत्तरी
स्कूल | कक्षा | फीस(वार्षिक) | % बढ़ोत्तरी |
सिटी मांटेसरी स्कूल | 1 | 49,500 | 14.9 |
स्टडी हॉल | 1 | 71,560 | 7 |
जयपुरिया | KG | 50,550 | 10 |
दिल्ली पब्लिक स्कूल | 1 | 52,400 | 10 |
जीडी गोयनका | 1 | 1,00,000 | 4.1 |
न्यू वे सीनियर सेकंडरी | 3 | 33,870 | 52 |
मिलेनियम | 1 | 71,300 | 18.4 |
सेंट फ्रांसिस | KG | 34,800 | 14.4 |
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स्कूल की मनमानी के आगे हम बेबस
एसकेडी गोमतीनगर में अपने बच्चों को पढ़ा रहे शराफत अली ने बताया कि स्कूल वाले बहुत मनमानी करते हैं। एक तो फीस बढ़ा दी है, दूसरा स्कूल के पास स्थित एक निजी दुकान से किताबें आदि खरीदने के लिए निर्देशित भी करते हैं। कोर्स में कुछ ऐसी किताबें शामिल कर देते हैं, जिसके चलते एक निश्चित दुकान से ही उन्हें खरीदना पड़ता है।
अभिभावकों से तगड़ी वसूली
एसकेडी के ही एक अन्य अभिभावक राजेंद्र यादव ने बताया कि फीस को लेकर कोई ठोस आदेश जारी नहीं हुआ है। यदि सरकार फीस बढ़ाने की दरों को निश्चित कर दें तो स्कूलों पर शिकंजा कसा जा सकता है। इसके अभाव में निजी स्कूलों की मनमानी रोकना संभव नहीं लग रहा है। इसके अलावा राजधानी के कई निजी स्कूल परिसर के अंदर और पास में ही अपनी खुद की एक दुकान संचालित करवाते हैं, जिसमें उनके यहां चलने वाली किताबों से लेकर स्टेशनरी सहित अन्य सामान खरीदने के नाम पर अभिभावकों से तगड़ी वसूली की जाती है।