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पश्चिमी उत्तर प्रदेश से अधिक पूर्वांचल पर फोकस, मोदी-योगी लगातार कर रहे हैं दौरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पूर्वांचल के दौरे पर हैं। योगी आदित्यनाथ एक महीने में तीन से चार चक्कर लगा रहे हैं ।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Chitra Singh
Published on: 25 Oct 2021 7:28 AM GMT
UP Election 2022
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पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

लखनऊ: पिछले तीन चुनावों से भाजपा के लिए विजय पथ बनता रहा पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस बार सूना पड़ा है। जबकि पूर्वांचल क्षेत्र से पार्टी इस बार अपने अपने विजय रथ को लेकर अभी तक बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) लगातार पूर्वांचल के दौरे पर हैं। योगी आदित्यनाथ एक महीने में तीन से चार चक्कर लगा रहे हैं । जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चार महीने में तीसरा दौरा है।

अगर पिछले चुनावों को याद करें तो 2013 में मुजफ्फरनगर कांड के बाद से भाजपा ने इस पूरे क्षेत्र पर अपना सिक्का जमाना शुरू किया। जिसके बाद इस पूरे क्षेत्र का गुर्जर और जाट रालोद छोड़कर भाजपा के साथ हो लिया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से वोटों का जो ध्रुवीकरण शुरू हुआ वो पूर्वांचल तक पहुंचा और भाजपा को प्रदेश में अपने सहयोगी दलों के साथ 324 सीटें मिली और प्रदेश की सत्ता उसे 14 वर्षो बाद हासिल हुई।

लेकिन इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के बडे़ आंदोलन को देखते हुए फिलहाल इस पूरे क्षेत्र में भाजपा के बडे़ नेता अभी कार्यक्रमों को अधिक महत्व नहीं दे रहे हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि जल्द ही भाजपा इस पूरे क्षेत्र को मथने का काम करेगी और नाराज किसानों को मनाने के लिए कोई बड़ी घोषणा कर सकती हैं।

नरेंद्र मोदी- किसान (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

भाजपा के लिए पूर्वाचल क्षेत्र में छोटे दलों की ताकत को देखते हुए हमेशा समझौता करना पड़ा है। इस बार सुहेलदेव राजभर भी उनके साथ नहीं है । लेकिन संजय निषाद को अपने साथ जोड़ने का काम किया है। साथ ही अपना दल से भी उसे बड़ी उम्मीद है। भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना दल (एस) के अलावा निषाद पार्टी से भी गठबंधन किया था। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद भाजपा के चुनाव चिन्ह पर लोकसभा का चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे थें। उपचुनावों में भी संजय निषाद भाजपा के साथ खुलकर दिखे। इस लिए इस बात की पूरी उम्मीद काफी दिनों से दिख रही थी कि इस बार फिर वह भाजपा के साथ ही नजर आएगें।

पूर्वांचल में 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाके के विकास के लिए भाजपा सरकार की जरूरत का मुद्दा बनाया। इसका नतीजा भी काफी उत्साह जनक रहा। भाजपा को 2017 में इस इलाके में आने वाली विधानसभा की 124 सीटों में से ज्यादातर पर सहयोगी पार्टियों अपना दल और तत्कालीन सहयोगी सुभासपा के साथ सफलता मिली।

नरेंद्र मोदी-योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

दरअसल, यूपी की राजनीति में छोटे दलों का काफी असर रहा है। अगर इन राजनीतिक दलों पर गौर करें तो सबसे अधिक छोटे दलों की उपजाऊ जमीन पूर्वांचल का क्षेत्र रहा है। यहां जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर खूब दल पनपे हैं। यही कारण है कि मुख्य दलों में बसपा को छोड़कर, भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस छोटे दलों को मिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। मायावती पहले ही अकेले चुनाव लड़ने की बात कह चुकी हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को 2017 में लोगों की सेवा का अवसर मिला और सबसे बड़ा काम हुआ कि आम जीवन को भयभीत कर विकास में बाधक बना माफिया अब नेस्तानाबूत हो चुके है। अपराधी एवं गुंडा तत्व जेल की सलाखों के पीछे है। प्रदेश में सड़कों का जाल विछ रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और गंगा एक्सप्रेस-वे जैसी सड़कों की सौगात मिली है।

Chitra Singh

Chitra Singh

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