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नेपाल के गैंडों को रास आ गया कतर्निया का जंगल, खुश हो रहे हैं टूरिस्ट
बहराइच: नेपाल के गैंडों को कतर्नियाघाट का जंगल रास आ रहा है। यहां आने वाले टूरिस्ट भी उन्हें देखकर काफी खुश हो रहे हैं। यही वजह है कि नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क के ये गैंडें यहीं के होकर रह गए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो कतर्नियाघाट के गेरुआ पार के जंगल की आबोहवा इन गैंडों के अनुकूल है।
नेपाल सीमा से सटे कतर्नियाघाट वन क्षेत्र को बाघ, तेंदुओं और हाथियों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां पर कुछ दिनों से गैंडों का मूवमेंट दिख रहा है। इस समय गेरुआ नदी सूख गई है। ऐसे में घने जंगल के बीच रहने वाले यह गैंडे ग्रास लैंडों में भी दिखाई पड़ रहे हैं।
टूरिस्टों को दी गई हिदायत
-वन रक्षक कबीरुल हसन ने गैंडा परिक्षेत्र में न जाने की हिदायत दी है।
-पहली बार गैंडा सामान्य तरीके से ग्रास लैंड में दिखायी पड़ा।
-इसे वनाधिकारी भी काफी अच्छा संकेत मान रहे हैं।
क्या कहना है वन अधिकारी का ?
-कतर्नियाघाट के प्रभागीय वनाधिकारी आशीष तिवारी का कहना है कि एक साल पहले चार गैंडों का मूवमेंट मिला था।
-कुछ दिनों से गेरुआ पार के पांच गैंडें चूही पाताल जंगल और उससे सटे ग्रासलैंडो में दिखाई पड़ रहे हैं।
- खाता कारीडोर के रास्ते गैडों का झुंड अक्सर कतर्नियाघाट आता था और फिर वापस लौट जाता था।
-साल 2002 के बाद से गैंडों का ठहराव भी होने लगा है।
-इस समय तीन वयस्क और दो शिशु गैंडे इस जंगल में प्रवास कर रहे हैं।
एक खास गैंडा अक्सर आता है कतर्नियाघाट
-डीएफओ आशीष तिवारी ने बताया कि रॉयल नेशनल बर्दिया पार्क के एक गैंडे में रेडिया टैग लगा हुआ है।
-इसके चलते जीपीएस सिस्टम के जरिए इस गैंडे के मूवमेंट पर वनकर्मियों की नजर रहती है।
-प्रत्येक दो से तीन महीने के अंतराल पर यह गैंडा यहां आता है और फिर वापस चला जाता है।
गैंडों के अनुकूल है जंगल
-डीएफओ के मुताबिक, गेरुआ पार घने जंगल के बीच छोटे-छोटे तालाब हैं।
-इनमें शैवाल, कवक और मुलायम घासें हैं।
-गैंडा पूरी तरह शाकाहारी होता है। शैवाल उसे खासतौर पर पसंद होता है।