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पुलिसकर्मियों ने स्थापित कर दी केदार धाम में ब्रह्म वाटिका

Manali Rastogi
Published on: 9 Aug 2018 10:54 AM GMT
पुलिसकर्मियों ने स्थापित कर दी केदार धाम में ब्रह्म वाटिका
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लखनऊ/रुद्रप्रयाग: प्रकृति से ही जीवन है। जीवन है तब मोक्ष है। जीवन और मोक्ष के बीच अनगिन पड़ाव हैं, यात्राएं हैं। जागतिक प्रपंच हैं। रास्ते कठिन भी है और दुरूह भी। इन दुर्गम रास्तो में से एक है बद्री केदार के दर्शन। यहाँ दर्शन के साथ ही एक और विराट से साक्षात्कार की व्यवस्था बना दे है यहाँ तैनात पुलिस के लोगों ने।

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अब तक पुलिस की चर्चा सिर्फ नकारात्मक रूप में ही होती रही है लेकिन केदार घाटी में पुलिस के लोगो द्वारा तैयार ब्रह्म वाटिका में ब्रह्मकमल, रुद्राक्ष, भृंगराज, बुग्याली समेत अनेक दुर्लभ वनस्पतियो को देख कर हर किसी दर्शनार्थी का मन प्रसन्न हो जाता है।

मुकेश अंबानी और राजनाथ सिंह भी देखने गए

बताया जा रहा है कि इस अनूठी पहल की सराहना उद्योगपति मुकेश अंबानी के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी कर चुके हैं। केदारनाथ मंदिर से लगभग डेढ़ किमी पहले रुद्रा प्वाइट के पास दो नाली (400 वर्ग मीटर) भूमि में तैयार यह ब्रह्मवाटिका देश-दुनिया से आने वाले यात्रियों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींचती है।

यह नजारा ही अद्भुत है। जानकार बता रहे हैं कि समुद्रतल से 11,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में जहा दूर-दूर तक पेड़-पौधे नजर नहीं आते, वहा आपदा के बाद स्थानीय पुलिस की ओर से तैयार की गई ब्रह्मवाटिका देश-दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही है।

केदारपुरी की परिस्थितिया काफी विकट

इस ब्रह्मवाटिका को कल्पना से जमीन पर उतारा है केदारनाथ पुलिस चौकी के प्रभारी एसआइ बिपिन चंद्र पाठक ने। पाठक खुद बताते हैं कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण केदारपुरी की परिस्थितियां काफी विकट हैं। शीतकाल की तो छोड़िए, गर्मियों में भी यहा तापमान शून्य से नीचे रहता है।

ऐसे में यहा ब्रह्मवाटिका स्थापित करना किसी चुनौती से कम नहीं था। पाठक बताते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती तो रोपे गए पौधों को बचाने की थी। लेकिन, खुशी की बात है कि हमारी टीम इस जिम्मेदारी को निभाने में सफल रही।

प्रकृति का तांडव देखने के बाद आया विचार

बताते हैं कि आपदा के बाद वर्ष 2014 में पाठक ने ही केदारनाथ चौकी की जिम्मेदारी संभाली। आपदा के दौरान भी वह केदारनाथ में ही तैनात थे। तब प्रकृति का ताडव देखने के बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों न पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ किया जाए। इसी भावना से उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर इस ब्रह्म वाटिका की स्थापना की।

पाठक ने बताया कि यात्रा के मुख्य सीजन में तमाम पुलिस कायरें के चलते उनकी टीम ब्रह्म वाटिका को संवारने में कम ही समय दे पाती है, लेकिन ऑफ सीजन में पुलिस टीम के पास पर्याप्त वक्त होता है।

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