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नर्क भोग रहा PM का संसदीय क्षेत्र बनारस, ऐसी है सड़कों की हालत..
गोदौलिया के पास सडक़ धंसने का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। एक सप्ताह में तीसरी बार सड़क का बड़ा हिस्सा फिर धंस गया। मंगलवार को
आशुतोष सिंह
वाराणसी : गोदौलिया के पास सड़क धंसने का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। एक सप्ताह में तीसरी बार सड़क का बड़ा हिस्सा फिर धंस गया। मंगलवार को अचानक सड़क धंसने की घटना को जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने काफी गंभीरता से लेते हुए जल निगम के अधिशासी अभियंता बर्मन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए शासन को लिखा है।
शहर में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई एवं जल निगम द्वारा जगह-जगह सीवर पाइपलाइन बिछाने के बाद कई स्थानों पर सडक़ धंसने की घटना हो रही हैं। गोदौलिया के पास पिछले एक सप्ताह के अंदर तीन स्थानों पर सड़क धंसी। सड़कों की मरम्मत में लंबा खेल हो रहा है। इसकी जानकारी पिछले दिनों आला अफसरों को मिली थी तो उन्होंने अल्टीमेटम दिया था। मरम्मत में शिथिलता बरते जाने पर मंगलवार को जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अख्तियार किया।
सिस्टम पर खड़े हुए सवाल
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोग जान हथेली पर लेकर चलने के लिए मजबूर हैं। हालत यह है कि बारिश के इस मौसम में कौन सी सड़क कब धंस जाए, ठिकाना नहीं। पिछले पंद्रह दिनों के अंदर शहर के अलग-अलग इलाकों में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर सडक़ धंसने की घटनाएं हो चुकी हैं।
खासतौर से बनारस के दिल कहे जाने वाले गोदौलिया इलाके में एक हफ्ते के अंदर तीन बार सडक़ धंसने से पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या सडक़ धंसने की घटना महज इत्तेफाक है या फिर कोई बड़ी चूक?
अबूझ पहेली बना सड़कों का धंसना
गोदौलिया सहित नगर के अन्य क्षेत्रों में सड़क धंसने की घटनाओं को लेकर महापौर रामगोपाल मोहले ने लोकनिर्माण विभाग और जल निगम के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। इसमें महापौर ने अधिकारियों से सड़क धंसने पर सवाल पूछा तो सभी ने चुप्पी साध ली।
मेयर ने कहा कि सड़कों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बाबत लोक निर्माण के अधिकारियों का कहना था कि गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है, लेकिन सडक़ धंसने का सटीक पता नहीं चल रहा है। मेयर ने अधिकारियों पर नाराजगी जताई और कहा कि ठोस कारण बताए बगैर हास्यास्पद दलीलें दी जा रही हैं। कारणों की गहराई से वैज्ञानिक पड़ताल की जाए।
इस बीच महापौर ने आनन-फानन में नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि गोदौलिया-गिरजाघर मार्ग का पुराना नक्शा निकालकर पता लगाया जाए कि वहां पुराना नाला अथवा ध्वस्त सीवरलाइन तो नहीं है। वहीं दूसरी ओर गंगा प्रदूषण नियंत्रण ईकाई के अफसर भी चिंतित हैं। प्राथमिक तौर पर जो जांच की गई है उसमें सडक़ के नीचे प्राकृतिक नाला बहने की आशंका हो रही है। सडक़ पाटने का ढंग बदला जा सकता है।
अफसरों को कोस रहे हैं स्थानीय लोग
सड़कों को लेकर होने वाली इस जानलेवा लापरवाही से काशी का हर शख्स हैरान है। लोग कह रहे हैं कि पीएम काशी को क्योटो बनाने का सपना देख रहे हैं और यहां हालत यह है कि जान को खतरा हो गया है। लोगों के मुताबिक परियोजनाओं के नाम पर शहर को नर्क में ढकेला जा रहा है।
गोदौलिया के रहने वाले पवन यादव कहते हैं कि आईपीडीएस और गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पहले सड़क की खोदाई की गई और जब काम पूरा हुआ तो अधिकारी सिर्फ गड्ढा भरने की रस्मअदायगी करके चले गए। न तो ठीक से गिट्टी और बालू को पाटा गया और न ही तारकोल डाली गई। वहीं रथयात्रा के रहने वाले संदीप कहते हैं कि सिर्फ गोदौलिया ही नहीं बल्कि पूरे शहर में यह समस्या बनी हुई है। हल्की सी बारिश में जगह-जगह जलजमाव और सडक़ धंसने की समस्या सामने आ रही है। नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सडक़ की गुणवत्ता का ध्यान नहीं दे रहे हैं।
आंकड़ों में सड़कों की स्थिति
जिले की 2347 किमी सडक़ पीडब्ल्यूडी के अधीन है। वहीं 1121 किमी सडक़ नगर निगम के जिम्मे है। बजट के मुताबिक सडक़ों की मरम्मत के लिए 38 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी को दिया गया है, जबकि 43 करोड़ रुपये नगरनिगम को। इसके बावजूद इन दोनों विभागों के अधीन अधिकांश सडक़ें अभी भी गड्ढे से पटी पड़ी हैं। जलजमाव के चलते इन सडक़ों पर चलना जान को आफत में डालने जैसा हो गया है।
बाबा दरबार के कारण उमड़ती है भक्तों की भीड़
बाबा विश्वनाथ का दरबार गोदौलिया इलाके में ही पड़ता है। सावन की वजह से इस इलाके में प्रतिदिन लाखों लोग पहुंचते हैं। यह इलाका पूरे माह कांवडिय़ों से पटा रहता है। बाबा के दर्शन के लिए सडक़ों पर लंबी लाइन लगी रहती है। अब जरा महसूस कीजिए कि जिस सडक़ पर लाखों कांवडि़ए लाइन में खड़े हो, वही सडक़ अगर अचानक दस फुट धंस जाए तो क्या होगा? बारिश ने कहर ढाया तो एक हफ्ते में एक बार नहीं बल्कि दो बार सड़क भरभरा के धंस गई।
दोनों बार करीब दस फीट के व्यास में 20 फीट गहरा गड्ढा हुआ। संयोग था कि जिस वक्त घटना घटी उस वक्त बारिश के कारण सडक़ों पर भीड़ कम थी वरना बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था। खास बात यह है कि पहली घटना के बाद दो दिन की मेहनत कर गड्ढे को पाटा गया था, लेकिन एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार सडक़ धंसने से लोग गुस्से में हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक बारिश जलजमाव व सीवर पाइपलाइन के कारण सडक़ नीचे से खोखली हो चुकी है।
बताया जा रहा है कि जहां थी वहां पर 21 दिन पहले भूमिगत केबलिंग और सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा था। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्यदायी संस्था ने काम पूरा होने पर सतही ढंग से गड्ढे को पाट दिया और चलते बने।