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Gorakhpur Hatyakand: अब सीबीआई पूछेगी सवाल, 'जब चंद मीटर पर था अस्पताल तो दो किमी दूर क्यों ले गए मनीष को?
Gorakhpur Hatyakand: हत्यारोपी पुलिस वालों को सीबीआई को ऐसे सवालों का जवाब देना होगा जो आसान नहीं होगा।
Gorakhpur Hatyakand: अब जब कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या (Manish Gupta ki hatya) का मामला सीबीआई (CBI) को चला गया है तो पुलिस को उन सभी करतूतों का जवाब देना पड़ेगा जो उसने साक्ष्य मिटाने के साथ ही अपनी अकड़ में किया था। मेडिकल कॉलेज के दस्तावेज बता रहे हैं कि मनीष की मौत 2.30 बजे के बाद हुई। जबकि पुलिस होटल के कमरे में रात 12.05 बजे के आसपास पहुंची थी। इसके बाद पुलिस ने कागजात के नाम पर जांच के बाद पीटा। मनीष की हालत को बिगड़ता देख पुलिस वाले चंद मीटर दूर अस्पताल के बजाए दो किमी दूर मानसी अस्पताल पहुंचे। जहां 10 मिनट में चिकित्सकों ने गम्भीर हालत देख मेडिकल कॉलेज (Medical college) रेफर कर दिया। बड़ा सवाल यही है कि जब चंद मीटर पर नामी अस्पताल थे तो पुलिस मानसी अस्पताल क्यो ले गई? अब हत्या के आरोपी पुलिस वालों को इन सवालों का जवाब सीबीआई को देना होगा।
मनीष हत्याकांड (Manish Hatyakand) में एक और खुलासा हुआ है। मनीष की पिटाई के बाद स्थिति बिगड़ी तो पुलिस ने न तो एंबुलेंस बुलाया न ही चिकित्सकों को। खुद अपनी गाड़ी में बेसुध मनीष को लाद कर होटल से दो किलोमीटर दूर मानसी अस्पताल पहुंची। पुलिस की गाड़ी मनीष को लेकर अस्पताल पहुंची तो उस समय 12.36 मिनट हो रहे थे। यह बात अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज से साफ है। इसके दस मिनट बाद ही यानी 12.46 बजे पुलिस मनीष को लेकर वापस लौटती दिखती है। यह तस्वीर भी सीसीटीवी फुटेज (cctv footage) में दिख रहा है। तारामंडल स्थित अस्पताल से बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचने में पुलिस को डेढ़ घंटे से अधिक का समय लग गया। जबकि रात के सुनसान रास्ते पर 30 मिनट में आसानी से मेडिकल कॉलेज पहुंचा जा सकता है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिस डेढ़ घंटे तक कहां थी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के दस्तावेज गवाही दे रहे हैं कि मनीष रात 2.30 बजे तक जिंदा थे। अस्पताल के स्टॉफ ने उन्हें सर्जरी वार्ड में शिफ्ट किया था। ऑक्सीजन देने की तैयारी चल रही थी, इसी दौरान मनीष का दम निकल गया।
हत्यारी पुलिस से सीबीआई पूछेगी ये सवाल
हत्यारोपी पुलिस वालों को सीबीआई को ऐसे सवालों का जवाब देना होगा जो आसान नहीं होगा। गोरखपुर के तारामंडल क्षेत्र के जिस कृष्णा पैलेस होटल (Krishna Palace Hotel) में मनीष गुप्ता और दोस्तों के साथ पुलिस ने मारपीट की, उसके इर्दगिर्द 15 से अधिक नामी अस्पताल हैं। तो ऐसे में पुलिस आसपास के अस्पतालों में मनीष को इलाज के लिए क्यो नहीं ले गई? जबकि पुलिस कप्तान की माने तो उनके ही आदेश पर पुलिस को होटलों की जांच का टास्क दिया गया था। पुलिस दो किमी दूर मानसी अस्पताल में मनीष को लेकर क्यो गई? क्या पुलिस की इस अस्पताल से पहले से कोई सेटिंग थी? मानसी अस्पताल से मेडिकल कॉलेज आसानी से 30 मिनट में पहुंचा जा सकता है तो पुलिस को डेढ़ घंटे का समय क्यो लगा? इस दौरान पुलिस ने इस वाकये की जानकारी अपने कप्तान यानी एसएसपी को क्यो नहीं दी? पुलिस ने होटल के सबूतों को क्यो मिटा दिया? वह अपने साथ होटल के सीसीटीवी फुटेज क्यो लेकर चली गई थी? मीनाक्षी ने तहरीर में छह पुलिस वालों का नाम दिया तो सिर्फ 3 के खिलाफ ही नामजद मुकदमा क्यो दर्ज हुआ? शेष तीन पुलिस वालों के नाम किसके दवाब में हटाए गए? पुलिस कप्तान और जिलाधिकारी अपने विवेक से मुकदमा दर्ज नहीं कराने का दबाव डाल रहे थे या फिर किसी ऊपर वाले के कहने पर ऐसा कर रहे थे?