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Gorakhpur News Today: पूर्वांचल में जमे पीएम नरेन्द्र मोदी के पांव, इसके सियासी मायने समझिये

Gorakhpur News Today: आखिर विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल में पीएम मोदी का पाव जमाने का कारण क्या है? योगी के गढ़ में इतनी मेहरबानी क्यों?

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Chitra Singh
Published on: 20 Oct 2021 5:06 AM GMT (Updated on: 20 Oct 2021 5:10 AM GMT)
Narendra Modi
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कुशीनगर पहुंचे पीएम मोदी (फोटो- सोशल मीडिया)

Gorakhpur News Today: पीएम नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) मंगलवार को कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Kushinagar International Airport) का तोहफा दे रहे हैं। इसके बाद 25 अक्टूबर को तथागत की धरती सिद्धार्थनगर से वह प्रदेश को सात मेडिकल कॉलेज का तोहफा देंगे। वहीं 15 से 20 नवम्बर के बीच वह गोरखपुर में खाद कारखाना और एम्स का लोकार्पण कर सकते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल में पीएम मोदी का पाव जमाने का कारण क्या है? योगी के गढ़ में इतनी मेहरबानी क्यो?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चलते गोरखपुर सियासत का अहम केन्द्र बनकर उभरा है, इसमें शायद की किसी को संदेह होगा। इसीलिए कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी भी 31 अक्टूबर को गोरखपुर पहुंच रही हैं। जहां वह चंपा देवी पार्क में विशाल जनसभा को संबोधित करेगीं। इसके साथ ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी अगले 30 दिनों में पूर्वांचल में दौरा प्रस्तावित है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भाजपा, कांग्रेस, सपा से लेकर बसपा के लिए पूर्वांचल इतना अहम क्यों हो गया है।

राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि लखीमपुर कांड और पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के चलते भाजपा को यह अहसास हो चला है कि यूपी में दोबारा सत्ता वापसी करनी है तो इसका रास्ता पूर्वांचल ही है। क्योंकि यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसा किसानों में विरोध नहीं है। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ मंडल में खासा दखल है। भाजपा जातीय आधार पर भी क्षेत्रीय क्षत्रपों को साधने में कामयाब है। इसीलिए सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही पीएम मोदी के भी ताबड़तोड़ दौरे पूर्वांचल में हो रहे हैं।

नरेंद्र मोदी- योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

पीएम मंगलवार को कुशीनगर में होंगे तो उनके निशाने पर दो फीसदी बौद्ध भी होंगे। इसके साथ ही वह दलित वोटरों पर भी निशाना साधेंगे। इसके संदेह नहीं है कि दलितों का पिछले कुछ वर्षों में बौद्ध धर्म के प्रति झुकाव काफी बढ़ा है।

सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेज के बहाने सुधारेंगे भाजपा की सियासी सेहत

कुशीनगर के बाद पीएम मोदी 25 अक्टूबर को तथागत की धरती सिद्धार्थनगर में होंगे। यहीं से पीएम प्रदेश के छह अन्य नए मेडिकल कॉलेजों का वर्चुअल शुभारंभ करेंगे। सिद्धार्थनगर के नवनिर्मित माधव प्रसाद त्रिपाठी राज्य स्वशासी मेडिकल के लोकार्पण के बहाने पीएम योगी जातीय समीकरण को भी दुरूस्त करेंगे। सिद्धार्थनगर मेडिकल कॉलेज जनसंघ की स्थापना काल से जुड़े रहे लोकप्रिय सेनानी, राजनीतिज्ञ एवं उत्तर प्रदेश भाजपा के पहले अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी 'माधव बाबू' के नाम से जाना जाएगा। यहां ब्राह्मण वोटरों को लेकर भाजपा की बेचैनी साफ दिखती है। यहीं से पीएम मोदी देवरिया, एटा, हरदोई, गाजीपुर, मिर्जापुर व प्रतापगढ़ के मेडिकल कॉलेजों का भी उद्घाटन करेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप सभी जिलों में बने मेडिकल कॉलेज उस जिले की महान विभूति, सेनानी या महापुरुष के नाम से संचालित होंगे। देवरिया का मेडिकल कॉलेज महर्षि देवरहा बाबा के नाम से, गाजीपुर का मेडिकल कॉलेज महर्षि विश्वामित्र के नाम से, मिर्जापुर का मेडिकल कॉलेज मां विंध्यवासिनी के नाम से, प्रतापगढ़ का मेडिकल कॉलेज डॉ सोनेलाल पटेल के नाम से, एटा का मेडिकल कॉलेज वीरांगना अवंतीबाई लोधी के नाम से संचालित होगा।

स्वशासी मेडिकल कॉलेज सिद्धार्थनगर (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

इसलिए पूर्वांचल पर भाजपा कर रही फोकस

भाजपा के रणनीतिकार अच्छी तरह समझ रहे हैं कि जाट और मुस्लिमों में कम हुई दूरी और किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी की जमीन खिसकी है। इसीलिए मिशन 2022 में जुटी भाजपा अवध से लेकर पूर्वांचल में ही पूरा जोर लगा रही है।

पूर्वांचल में छोटे जोत के किसान हैं, इसलिए कृषि कानूनों को लेकर पश्चिम जैसा मुखर विरोध नहीं है। इसीलिए पूर्वांचल में अपनी जमीन को बरकरार करने की कोशिश में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकार्पण-शिलान्यास में तो हर सप्ताह दिख ही रहे हैं।

पिछले दिनों गोरखपुर में प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास और गुरु गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम में जिस प्रकार संबैधानिक पद पर आसीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मौजूदगी रही वह भाजपा की बेचैनी को साफ दिखा रही है।

भारतीय जनता पार्टी ने भी यह मान लिया है कि किसान आंदोलन के प्रभाव की वजह से उसे विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम-से-कम सीटें ही मिल पाएंगी। गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी का गृह जनपद है। यहीं से वह सांसद और विधायक चुने जाते रहे हैं। वहीं वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। अयोध्या भाजपा की सियासत का केंद्र बिंदु है।

पिछले तीन महीने में योगी के दौरों का 60 फीसदी समय इन्हीं तीन जिलों में गुजरा है। वैसे, भाजपा का मिशन पूर्वांचल फरवरी महीने से चालू है जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वाराणसी में पार्टी कार्यालय के लोकार्पण के बहाने कार्यकर्ताओं को मंत्र दिया और प्रधानमंत्री मोदी ने 16 फरवरी को बहराइच के चित्तौरा में महाराज सुहेलदेव के जरिये 'मिशन पूर्वांचल' का आगाज किया था। यह भी सच है कि भाजपा ने जब पूर्वांचल में बेहतर प्रदर्शन किया है, तब ही उसे यूपी की सत्ता मिली है।

पीएम मोदी-सीएस योगी (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार पूर्वांचल के 28 जिलों के 162 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 115 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि नब्बे के दशक की रामलहर में भाजपा को पूर्वांचल में 82 सीटें ही मिली थीं। इसलिए एक बार फिर मुख्यमंत्री का फोकस वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और आम्बेडकरनगर आदि जिलों पर है।

पूर्वांचल के प्रोजेक्ट पर धनवर्षा भी भाजपा के

चिंताओं को बता रही है। बजट में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिए 1,107 करोड़ रुपये और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के लिए 860 करोड़ रुपये आवंटित हुए। 22,494 करोड़ से लखनऊ से आजमगढ़ होते हुए गाजीपुर तक बन रहे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और 5,876 करोड़ की लागत से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से गोरखपुर को जोड़ने के लिए लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। वाराणसी के साथ गोरखपुर में लाइट मेट्रो के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। पूर्वांचल के गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा करके प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू कराने की योजना है। इसके लिए बजट में 960 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

Chitra Singh

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