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यूपी में धर्म-परिवर्तन: सराहनीय और साहसिक कदमों का बेवजह विरोध बना फैशन

राजभवन से धर्मांतरण के विरूद्ध जारी अध्यादेश की अनुमति मिलने के बाद जैसी की प्रबल संभावना थी, वैसे ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों की ओर से विरोधी प्रतिक्रियों आना शुरू हो गयी हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का कहना है कि यह कानून जनमानस के खिलाफ है और लव जेहाद के नाम पर लोगों को प्रताड़ित करने की बडी साजिश की जा रही है।

Newstrack
Published on: 2 Dec 2020 7:45 PM IST
यूपी में धर्म-परिवर्तन: सराहनीय और साहसिक कदमों का बेवजह विरोध बना फैशन
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यूपी में धर्मपरिवर्तन: सराहनीय और साहसिक कदमों का बेवजह विरोध बना फैशन

लखनऊ: यूपी विधि विरूद्ध धर्म-परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 के कानून को राजभवन की अनुमति मिल गयी है और अब यह कानून विधानमंडल के अगले सत्र में पारित करवाने के लिए विधानमंडल के पटल पर रखा जायेगा। मध्य प्रदेश सहित कई और भाजपा सरकारें इस विषय पर कानून लाने का प्रस्ताव तैयार कर रही हैं। इस नये कानून पर देश के मुस्लिम संगठनों ने बहुत ही सतर्कतापूर्वक अपने विचार रखे तो हैं, लेकिन परोक्ष रूप से विरोध भी किया है।

जनता के बीच परोसी जाती है आधी-अधूरी गलत जानकारियों

वर्तमान समय में भारतीय राजनीति का स्वरूप बहुत ही अधिक विकृत व ओछी मानसिकता की प्रवृत्ति का परिचायक हो गया है। आजकल सरकार को डिगाने के लिये व सरकार की छवि को ध्वस्त करने के लिए भ्रम, अफवाहों व आधी-अधूरी गलत जानकारियों को जनता के बीच परोसा जा रहा है और अपनी राजनीति को चमकाने लिए खुलकर झूठ का सहारा लिया जा रहा है।

एसपी नेता अखिलेश यादव का बयान

राजभवन से धर्मांतरण के विरूद्ध जारी अध्यादेश की अनुमति मिलने के बाद जैसी की प्रबल संभावना थी, वैसे ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों की ओर से विरोधी प्रतिक्रियों आना शुरू हो गयी हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का कहना है कि यह कानून जनमानस के खिलाफ है और लव जेहाद के नाम पर लोगों को प्रताड़ित करने की बडी साजिश की जा रही है। उनका कहना है कि जब सरकार अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह के लिए पैसे देती है, तो फिर इस कानून की जरूरत ही क्या है ? इस प्रकरण पर अभी तक शांत बैठी रही बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अब विरोध दर्ज कराया है और सरकार से अध्यादेश पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

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मायावती का तर्क

मायावती का तर्क है कि देश में कहीं भी जबरन व छल से धर्मांतरण को न तो खास मान्यता है न ही स्वीकार्यता। इस संबंध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हैं। राजस्थान कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयानों से कांग्रेस का रवैया पहले से ही जगजाहिर हो चुका है। कई अन्य छोटे दल तथा आम आदमी पार्टी भी कानून के विरोध में आ गयी है।

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धर्मांतरण कानून संविधान विरोधी

यूपी के एक संगठन रिहाई मंच जो कभी आतंकवादियों की रिहाई की मांग भी करता रहा है, उसका कहना है कि धर्मांतरण कानून संविधान विरोधी है। यह कानून एससी/एसटी और अल्पसंख्यक विरोधी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा के कई नेताओं ने लव जेहाद किया है। आगामी विधानमंडल सत्र में इस बार विधेयक का विरोध होना और गरमागरम बहस होना तय हो गया है। लेकिन विधानमंडल में विधायकों के संख्याबल को देखते हुए यह अध्यादेश विधिवत कानून बन ही जायेगा, लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले और अराजकतावादी दल इस कानून का भी शाहीन बाग की तर्ज पर विरोध कर सकते हैं।

दरगाह-ए-आला हजरत ने जारी किया फतवा

मुस्लिम तुष्टिकरण और जातिवाद की राजनीति करने वाले दलों व संगठनों के विरोध के बावजूद, बरेली के दरगाह-ए-आला हजरत परिसर स्थित रजवी दारूल इफ्ता से इसके समर्थन में फतवा जारी कर कहा गया है कि लालच देकर या जबरन धर्म परिवर्तन कराना नाजायज है। फतवा पाने के लिए सुन्नी उलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना इंतेजार अहमद कादरी ने दारूल इफ्ता में सवाल दाखिल किया था। उन्होंने पूछा था कि लव जेहाद की शरीयत में क्या हैसियत है ? इसके जवाब में जबरन धर्म परिवर्तन कराने को नाजायज ठहराया गया है। इसी तरह शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना जायज नहीं है।

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फतवे में लव जिहाद शब्दों को किया स्पष्ट

फतवे में लव जिहाद शब्दों को स्पष्ट किया गया है। कहा गया है कि लव एक अंग्रेजी शब्द है और जिहाद अरबी का। इसका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है। जो लोग इन्हें एक दूसरे से जोड़कर देखते हैं, वह गलत है। शरीयत की नजर में लव जिहाद शब्द की कोई हैसियत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने अभी से ही इन सभी का सामना करने की तैयारी करते हुए बयान जारी किया है कि धर्मांतरण के विरूद्ध बने नये कानून से समाज में संघर्ष थमेगा और शांति कायम करने तथा लोगों का सम्मान सुरक्षित रखने में सहायता मिलेगी।

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न्यायालय के स्तर तक आये कई प्रकरणों की जांचों व रिपोर्टों से यह तथ्य समाने आया है कि साजिश के तहत उत्पीड़न के लिए लव जेहाद जैसे कुत्सित प्रयास प्रदेश सहित पूरे भारत भर में किये गये हैं। भाजपा की सभी सरकारें विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार महिलाओं के सम्मान गरिमा व उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

बसपा सुप्रीमो का हैरान कर देने वाला बयान

बसपा सुप्रीमो मायावती का बयान हैरान करता है। वह अभी अपनी पार्टी की बुरी दुर्गति राज्यसभा चुनावों से लेकर उपचुनावों और फिर बिहार तथा मध्य प्रदेश आदि के उपचुनावों में देख चुकी है। अगर वह अभी भी नहीं सुधरी, तो आगामी 2022 में शून्य तक पहुंच जायेंगी। बसपा सुप्रीमो मायावती लव जेहादियों की बहुत चिंता कर रही हैं। लेकिन उन दलित परिवारों की चिंता नहीं है, जो इसके शिकार हुए हैं। बहन मायावती को संभवतः इस प्रकार की घटनाओं की गंभीरता की जानकारी नहीं है कि लव जेहाद के सबसे अधिक शिकार दलित और गरीब पिछड़े पविारों के ही लोग हो रहे हैं।

दलित बहन - बेटियों की प्रताड़ना पर ना हो राजनीति

गांवों में ऐसे लोगों को कई विदेशी धन के बल पर चलने वाले संगठन बरगलाकर धर्म परिवत न करवाते हैं और लव जेहाद के लिए प्रशिक्षित करते हैं। दलित बहन - बेटियों की प्रताड़ना के मामले में तुष्टिकरण की राजनीति शोभा नहीं देती। आज तुष्टिकरण की सियासत के चलते सभी विरोधी दल संवेदनहीन हो गये हैं। इन दलो का पर्यटन भी सियासी हो गया है। हाथरस चले जाते है, लेकिन बुलंदशहर नहीं जाते। कानपुर, बलिया, मेरठ और बल्लभगढ़ की घटनाओं पर इन दलों की घटनाओं पर कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आती। राजस्थान में बहन बेटियो पर अत्याचार होते हैं, तो इन दलों की ओर से कोई ट्वीट नहीं आता।

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अनुचित धर्मांतरण का शिकार बनें दलित वर्ग

सभी विरोधी दलों की मानसिक विकृति की विचारधारा से सामाजिक समरसता का ताना बाना बिगड़ चुका है। यह पूरी तरह से सत्य है कि लव जेहाद व अनुचित धर्मांतरण का शिकार सबसे अधिक दलित वर्ग है। समान्य वर्ग की महिलएं भी लव जेहाद का शिकार हो रही हैं। यह महिलाएं उत्पीड़न की शिकार होने के बाद जिस दर्द को बर्दाश्त करती हैं। उसका अनुभव यह दल व नेता क्या जाने, उन्हें तो सिर्फ अपनी राजनीति को ही चमकाना हैं। यह सभी दल केवल और केवल देश में अराजकता का नंगा नाच ही देखना चाहते हैं। इन सभी दलों को प्रदेश का दलित ,पिछड़ा समाज तथा साइलेंट मतदाता अपनी ताकत का एहसास अगले विधान सभा चुनावों में कराने जा रहा है।

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2009 में केरल की 4500 गैर मुस्लिम लड़कियों का हुआ धर्म-परिवर्तन

आज यह लोग लव जेहाद और धर्मांतरण जैसे शब्दों को काल्पनिक और बकवास बताकर कह रहे हैं कि यह अदालत में नहीं टिक पायेगा। लेकिन यह सभी दल कई और तथ्य ,तर्क अपनी अपनी विकृत राजनीति के कारण भूल गये हैं। सिंतबर 2009 में केरल की कैथोलिक बिशप काउंसिल ने कहा कि साढ़े चार हजार गैर मुस्लिम लड़कियों का लव जेहाद के माध्यम से धर्म-परिवर्तन कराया गया। 10 दिसंबर 2009 को केरल हाईकोर्ट ने लव जेहाद पर कानून बनाने की बात कही।

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PFI, SDPI समेत सभी वामपंथी एनजीओ इस अभियान में जुटे

जुलाई 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन ने जो आरोप लगाया, वह भाजपा संघ की ओर से नहीं लगाया गया। उन्होंने कहा था कि गैर-मुस्लिम लड़कियो का धर्म-परिवर्तन कराकर केरल को मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है। आज वह बात सही साबित हो रही है। पीएफआई, एसडीपीआई व लगभग सभी वामपंथी एनजीओ इस अभियान में जुटे हुए हैं। हालात बहुत ही भयावह हैं। लेकिन इस नये कानून का असर अब दिखलाई पड़ेगा।

बरेली समेत अन्य जिलों में मुकदमें दर्ज होना शुरू

बता दें कि बरेली समेत अन्य जिलों में मुकदमें दर्ज होना शुरू हो गया है। यह कानून एक बेहद सराहनीय कानून है, साहसिक कदम है। इसका स्वागत होना चाहिए, विरोध नहीं। इस कानून से सामाजिक समरसता बढेगी और कई परिवार बर्बाद होने से बचेंगे। यह अध्यादेश आज की परिस्थितियों में बेहद आवश्यक हो गया है। इसमें संविधान सम्मत धर्म रक्षण पर कहीं कोई आंच नहीं आ रही। यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे इस बात की सूचना जिलाधिकारी को देनी होगी। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई व्यक्ति लोभ ,लालच या किसी तरह के दबाब में आकर धर्म परिवर्तन नहीं कर रहा है।

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इस कानून के माध्यम से महिला सशक्तिकरण होगा मजबूत

उप्र में लागू की जाने वाली धर्मांतरण की यह व्यवस्था सभी धर्म के लोगों को स्वीकार होनी चाहिए। धर्म-परिवर्तन के विरोध का कोई औचित्य नहीं है, अब विरोध केवल फैशन बन गया है। इस कानून के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का अभियान और मजबूत होगा। विरोधी दल तो सरकार के मिशन शक्ति अभियान और रोमियो स्क्वॉड का भी मजाक बना रहे हैं। सरकार जब युवतियों की सुरक्षा के लिए इस प्रकर के कदम उठाती है, तो यह दल सरकार के कदमों का मजाक बनाते हैं और जब चुनावों में साइलेंट महिला मतदाता इनको अपना जवाब देते हैं, तो ईवीएम का रोना रोने लग जाते हैं।

रिपोर्ट,

मृत्युंजय दीक्षित

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