फैजाबाद: रामजन्मभूमि के प्रमुख पक्षकार और निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत भास्कर दास का लंबी बीमारी के बाद अयोध्या में शनिवार सुबह को 89 साल की उम्र निधन हो गया। जिससे अयोध्या फैजाबाद में शोक की लहर दौड़ गई। बीते मंगलवार को ही उन्हें सांस लेने में तकलीफ और ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। इनका अंतिम संस्कार अयोध्या में तुलसी घाट पर होगा। महंत के निधन की सूचना के बाद उनके शिष्यों का जमावड़ा अयोध्या स्थित मंदिर में लगने लगा है।
यह भी पढ़ें ... अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी का बीमारी से निधन
सीएम योगी ने जताया शोक
सीएम योगी ने निर्मोही अखाड़े के महंत भास्कर दास के निधन पर शोक जताया। सीएम योगी ने ट्वीट किया, 'निर्मोही अखाड़े के महंत भास्कर दास जी महाराज का निधन, समाज के लिए अपूरणीय क्षति। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।'
महंत भास्कर दास गोरखपुर के रहने वाले थे। 1986 में भास्कर दास के गुरु भाई बाबा बजरंग दास का निधन हो गया, जिसके बाद इन्हें हनुमान गढ़ी का महंत बना दिया गया। 1993 में महंत भास्कर दास निर्मोही अखाड़े के उपसरपंच बन गए थे। फिर 1993 में ही सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के बाद उनके स्थान पर भास्कर दास को निर्मोही अखाड़े का सरपंच बना दिया गया। तब से यही निर्मोही अखाड़े के महंत रहे।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास तथा विहिप ने निर्मोही अखाड़ा के सरपंच और श्रीराम जन्मभूमि विवाद मे पक्षकार वयोवृद्ध महंत भाषकर दास के निधन पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुये इसे धार्मिक जगत को गहरा अघात बताया ।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के श्रीमहंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने दुख व्यक्त करते हुये कहा महाराज भाषकर दास जी का साकेतवाश धार्मिक सामाजिक जीवन की छति है। संत महापुरुषो का अवतरण ही लोक कल्याण के लिये होता है। राम जन्मभूमि की लड़ाई मे सभी हिन्दू पक्ष एक है। भाषकर दास जी ने न्यायालय की विधिक लड़ायी मे उन्का सहयोग अतुलनीय है।
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री चम्पतराय ने वयोवृद्ध संत के निधन को अपूर्णीय क्षति बताते कहा श्रीराम जन्मभूमि के न्यायिक संघर्ष मे भाषकर दास जी का सहयोग सदैव स्मरणीय रहेगा। उन्हो ने कहा मृदुलभाषी व्यक्तित्व के धनी महाराज जी का सानिध्य सदैव स्मरणीय रहेगा।
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री संगठन दिनेशचंद्र ने अपनी संवेदना मे कहा माननीय अशोक सिंहल के साथ हुई वार्ताओ के संस्मरण मे भाषकर दास जी महाराज का उल्लेख रहता था कि वह राम जन्मभूमि पर मंदिर के लिये संवेदनशील रहे है। चाहते थे कि संघर्षरत जीवन मे मंदिर निर्माण हो जाए। हिंदू समाज और संगठन भिन्न-भिन्न होकर भी एक है ऐसा उन्के सानिध्य मे बैठकर ही महसूस किया। ऐसे संत के निधन से गहरा दुख पहुँचा।
विहिप केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम नारायण सिंह, प्रान्तीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ,रामलला विराजमान के सखा पक्षकार त्रिलोकी नाथ पांडेय ने कहा न्यायालय मे नियमित सुनवाई के लिए सदैव प्रयत्नशील रहने वाले भाषकर दास जी विहिप के साथ सदैव आत्मीय रूप से जुड़े रहे दास का अंतिम संस्कार सरयू तट पर साधु-संतों की भीड़ के बीच किया गया। दास की शव यात्रा नाका हनुमानगढ़ी से निकलकर मकबरा फतेहगंज चौक होते हुए अयोध्या सरजू तक पहुंची थी। इस बीच उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का सैलाब निकल पड़ा था रास्ते में उनकी सो यात्रा पर पुष्प वर्षा की जा रही थी।