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Ramadan 2023 news: कल से रमजान का मुबारक महीना, इबादत करने से मिलता है 70 गुना सबाब

Ramadan 2023: तराबी और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है। जिससे रोजेदार की रूह पाक-साफ रहती है।

Afsar Haq
Published on: 23 March 2023 5:48 PM IST
Ramadan 2023 news: कल से रमजान का मुबारक महीना, इबादत करने से मिलता है 70 गुना सबाब
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प्रतीकात्मक फोटो रमजान 2023. pic: social media

Jalaun news: गुनाहों से तौबा करने का माह रमजान मुबारक कल यानी 24 मार्च से शुरू हो रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोग एक माह तक रोजे रखकर अल्लाह की इबादत और गुनाहों से तौबा करेंगे। कहा जाता है कि खासकर रमजान में की गई इबादत से 70 गुना सबाब (पुण्य) हासिल होता है। रमजान मुबारक का पहला रोजा कल से शुरू होगा जबकि और तरावीह आज से शुरू हो जाएगी।

यह है रमजान का महत्व

रमजान का महीना खुदा की इबादत का महीना माना जाता है। माह-ए-रमजान में रोजेदारों पर अल्लाह की खास रहमत बरसती है। यह पाक महीना अल्लाह की राह में इबादत करने और बुराई से दूर रहने की सीख देता है। रमजान बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला है। साथ में जाने-अनजाने में हुए गुनाहों को माफ और गुनाहों से तौबा कराने का पाक महीना रमजान माना जाता है।

क्या कहते हैं इमाम

जामा मस्जिद पेश इमाम हाफिज आरिफ काजी ने बताया कि पाक महीना रमजान मे बड़ी ही फजीलतें होती हैं। सिर्फ भूखे रहने के लिए नहीं बल्कि रमजान का महीना संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना माना जाता है। इस माह में लोग अपनी ख्वाहिशों को काबू में रखते हैं और रब की बारगाह में अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए पांचों वक्त की नमाज अता करते हैं। इसके साथ ही तरावीह पढ़ना, कुरान शरीफ की तिलावत करने साथ-साथ खुदा की बारगाह में एक माह में तक ख़ास इबादत की जाती है। बाजार वाली मस्जिद के पेश इमाम हाफिज इकलाख शाह ने बताया कि रमजान के महीने में की गई खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इन दिनों की गई इबादत का 70 गुना सबाब मिलता है। एक महीना नमाज के साथ रात के वक्त तरावीह पढ़ने का मौका मिलता है, जिसमें हाफिज एक माह तक रोज कुरान शरीफ सुनाते हैं।

रमजान में ये है ख़ास हिदायत

बाजार वाली मस्जिद के पेश इमाम हाफिज इकलाख शाह ने बताया कि जो लोग किसी वजह से रोजे नहीं रख पाए हैं, उनको भी अल्लाह ने सख्त हिदायत दी है कि वह रोजदारों और नमाजियों का एहतराम करें। उनके सामने खान-पान बिल्कुल भी ना करें। वहीं मुस्लिम रोजेदार अगर रोजा रखने के बाद भी कोई बुरे काम करता है, तो उसका रोजा बेकार हो जाता है। तराबी और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है। जिससे रोजेदार की रूह पाक-साफ रहती है। रमजान के पाक महीने में अपनी गलतियों के लिए तौबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने का सुनहरा मौका मिलता है।

Afsar Haq

Afsar Haq

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