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REALITY CHECK: भगवान भरोसे मरीज, अस्पतालों में आग से निपटने के इंतजाम नाकाफी
गोरखपुर: शनिवार को KGMU के ट्रामा सेंटर में आग लग जाने से कई मरीजों की मौत हो गई। हालांकि वहां पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं लेकिन पूर्वांचल के बड़े चिकित्सा केंद्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोई हादसा हो जाता है तो मरीजों को भगवान ही बचा सकता है। यहां ना तो पर्याप्त संसाधन है और ना ही प्रशिक्षित स्टॉप फायर हाइड्रेंट क्रियाशील है।
वहीं जिला अस्पताल या महिला अस्पताल की बात की जाए तो यहां पर रोगियों को आग से बचाने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में यदि आग लग जाए तो लोगों की जिंदगी बचाना मुश्किल हो जाए। अस्पतालों में आग के बचाव के प्रबंध न होने को लेकर सवाल खड़ा हो गया है ।
मेडिकल कॉलेज का ट्रामा सेंटर हो या अन्य विभाग सभी जगहों पर फायर सिस्टम, फायर फाक्स और अलार्म लगा दिए गए हैं। सूत्रों की मानें तो सिस्टम लग जाने के बाद उसे शुरू नहीं करवाया गया है। यदि आग लगी तो ऊंची इमारतों में भर्ती मरीजों को निकल पाना मुश्किल हो जाएगा। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 1800 से 2000 की ओपीडी होती है। लेकिन यहां किसी भी डॉक्टर के कक्ष में अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए हैं। इतना ही नहीं न्यू बिल्डिंग में सिर्फ स्टाफ नर्स कक्ष में दो सिलेंडर फाक्स लगाए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि वर्तमान में विभिन्न वार्डो में लगभग 225 मरीज भर्ती हैं और आग से निपटने के लिए अस्पताल प्रशासन के पास सिर्फ दस फायर फाक्स सिलेंडर है। इस दशा में यदि बड़ी आग लगी तो अस्पताल तो मरीजों को कैसे बचाया जाएगा? यह सवाल सामने खड़ा हैं। ल्ट्रासाउंड, एक्सरे कक्ष में भी अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था नहीं है। दवा भंडार कक्ष में यंत्र लगाया गया है। जो महज शोपीस बना है. जिन वार्डों में रोगी भर्ती हैं, वहां पर भी आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
जिला व महिला अस्पताल में नहीं है हाईड्रेंट
जिला व महिला अस्पताल में आग से निपटने के लिए हाईड्रेंट सिस्टम नहीं है। आलम यह है कि किसी भी वार्ड में आग बुझाने के लिए फायर पाइप लाइन तक नहीं बिछाई गइ्र्र है। कुछ ही जगहों पर फायर फाक्स लगाए गए हैं। लेकिन न्यू बिल्डिंग के फिमेल मेडिसीन, मेल मेडिसीन, चिल्ड्रेन वार्ड, मेल सर्जिकल व जनरल वार्ड में फायर फाक्स सिस्टम तक नहीं लगाए गए हैं।
महिला अस्पताल में सिर्फ दो फायर फाक्स
महिला अस्पताल में यदि आग लग गई तो उनके पास मरीजों को बचाने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। चौकाने वाली बात यह है कि ऑपरेशन थियेटर में एक फायर फाक्स लगा है। जो एक्सपायर कर चुका है। इतना ही नहीं लेबर रूम समेत पीएनसी वार्ड, एनएनसी सर्जिकल, व न्यू बिल्डिंग वार्ड में एक भी फायर फाक्स सिलेंडर और सिस्टम नहीं लगाया गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर आग लगी तो भर्ती मरीजों को बाहर निकालने की बात तो दूर आग पर काबू कर पाना मुश्किल होगा।
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