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अपने देश लौटे बागपत के दो युवक, धोखे से सऊदी बुलाकर बनाया था बंधक, पासपोर्ट जब्त कर लूटी भारी रकम
सऊदी अरब में बंधक बनाए गए बागपत जिले के बड़ौत क्षेत्र निवासी मोहम्मद नफीस अहमद और शाहिद अली सकुशल अपने देश लौट आए हैं। सऊदी अरब
बागपत: सऊदी अरब में बंधक बनाए गए बागपत जिले के बड़ौत क्षेत्र निवासी मोहम्मद नफीस अहमद और शाहिद अली सकुशल अपने देश लौट आए हैं। सऊदी अरब की राजधानी रियाद में लगभग ढाई महीने तक बंधक रहे दोनों भारतीय युवकों को भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद मुक्त कराया जा सका।
दशहत के ढाई माह
- बड़ौत निवासी सादिक अली और उनके दोस्त नफीस अहमद इंटरनेट पर निकले सऊदी अरब में एल्युमिनियम फेब्रिकेशन की आवश्यकता है, के एक विज्ञापन के माध्यम से गिरोह के चुंगल में फंसे।
- उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर मुंबई की एमजी घी वाला ग्लोबल एजेंसी की तरफ से दिए गए विज्ञापन में एजेंट प्रदीप बुल्लेयान का फोन नंबर दिया गया था, जिस पर संपर्क किया तो एजेंट ने मुंबई बुलाया और एक मोटी रकम लेकर सऊदी अरब जाने की व्यवस्था की।
- एजेंट ने सऊदी अरब की कंपनी लामासात के नाम एक एग्रीमेंट तैयार कर दिया, जिसमें प्रतिमाह 2000 रियाल (लगभग 36000 रुपये) और रहना-खाना फ्री का आफर शामिल था।
इसके बाद इसी साल 26 मार्च को दोनों फ्लाइट से सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे और संबंधित कंपनी के पते पर जाकर मिले और वहां के कर्मचारियों को मुंबई एजेंट द्वारा दिए गए एग्रीमेंट लेटर सौंपा। इसके बाद लामासात कंपनी ने एक महीने तक उनसे काम कराकर 800 रियाल का भुगतान किया। इस पर दोनों भारतीयों ने उन्हें एग्रीमेंट के मुताबिक 2000 रियाल देने पर ही आगे काम करने की बात कही। इसके बाद दो दिनों तक काम पर नहीं गए और मुंबई एजेंट को फोन पर इसकी शिकायत की। एजेंट उन्हें झांसा देने लगा। दोनों भारतीय युवक एग्रीमेंट की काफी लेकर लामासात कंपनी के कार्यालय पर गए तो वहां उनका एग्री फाड़कर उनके पासपोर्ट जब्त कर मारपीट की गई और उन्हे एक कमरे में बंद कर दिया गया।
- दोनों भारतीय युवक किसी तरह वहां से भागने में सफल रहे और कई किलोमीटर पैदल चलकर शहर में पहुंचे, जहां उन्हे उप्र के शामली जिले के जलालाबाद के रहने वाले टैक्सी ड्राइवर हाजी खुशनूर मिले।
- हाजी खुशनूर को दोनों ने आपबीती सुनाई तो उन्होंने चोरी छिपे 25 दिन अपने घर में पनाह दी।
- यहां रहते हुए गत 24 मई को भारतीय दूतावास में संपर्क किया। दूतावास में लेबर मामले देखने वाले मोहम्मद इमदाद आलम ने उन्हें दूतावास बुलाया और लामासात कंपनी को जब्त किए गए पासपोर्ट वापिस करने को कहा, जिसके बाद गत सात जून के कंपनी ने उनके पासपोर्ट वापिस किए। भारतीय दूतावास के सहयोग से वो भारत वापिस लौटे।