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सदानंद बने हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष, रविंद्र को भाषा संस्थान की जिम्मेदारी
लखनऊ। हिंदी दिवस के दो दिन पहले गोरखपुर और झांसी के नाम एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है। प्रो.सदानंद गुप्त को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इसी क्रम में प्रदेश के पूर्व मंत्री रविंद्र शुक्ल को भाषा संस्थान की जिम्मेदारी सौपी गयी है।
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प्रो.गुप्त ने 11 फरवरी 1980 को गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में बतौर प्रवक्ता ज्वाइन किया। जून 2013 में प्रोफेसर के पद से रिटायर हुये। मंगलवार को उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का अध्यक्ष बनाये जाने की सूचना आने से थोड़ी देर पहले संयोग से वह गोरखपुर विवि के हिंदी विभाग में ही थे। वह वहां आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में 12 प्रदेशों से आये हिंदी के शिक्षकों के बीच निर्मल वर्मा पर व्याख्यान दे रहे थे। भाषा संस्थान के लिए पूर्व मंत्री रविंद्र शुक्ल को जिम्मेदारी दी गयी है जो झांसी से आते हैं।
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प्रतिष्ठित पुरस्कारों के निर्णायक मंडल में रहे हैं प्रो.गुप्त
प्रो.गुप्त, बिड़ला पुरस्कार, व्यास सम्मान, सरस्वती सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के निर्णायक मंडल में रहे हैं। प्रोफ गुप्त आरएसएस से लम्बे समय से जुड़े रहे प्रो.गुप्त मूलत: झारखंड के रहने वाले हैं लेकिन एक बार गोरखपुर आये तो फिर यहीं के होकर रह गये। आरएसएस की साहित्यकारों की संस्था अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सदस्य रहे प्रो. गुप्त साहित्यिक पत्रिका 'समन्वय' का संपादन करते हैं।
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पहले से हैं कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां
वह भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य हैं। गीताप्रेस से निकलने वाली प्रसिद्ध 'कल्याण' पत्रिका, गीतावाटिका और समाजसेवी हनुमान प्रसाद पोद्दार से भी जुड़े रहे हैं। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष और सरस्वती शिशु मंदिर हॉयर सेकेंड्री के प्रबंधक रहे।
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ईमानदारी और आत्मस्वाभिमान के लिये जाने जाने वाले प्रो.गुप्त के बारे में लंबे से माना जा रहा था कि उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। मंगलवार को उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का अध्यक्ष बनाये जाने पर प्राे.अनिल राय, डा.प्रदीप राव सहित कई वरिष्ठ शिक्षकों ने उन्हें बधाई दी।
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हिंदी भाषा की उन्नति के लिए जो करना होगा, करेंगे : प्रो. गुप्त
अपनी नियुक्ति के बाद अपना भारत/ न्यूज़ ट्रैक से बातचीत में प्रो.सदानंद गुप्त ने कहा कि वह हिंदी के उत्तरोत्तर विकास के लिए पूरे मनोयोग से काम करेंगे। हिंदी की उन्नति ही हमारी प्राथमिकता होगी। उन्होंने बताया की वह दो बार संस्थान के सदस्य रह चुके हैं। इसलिये तमाम बातों से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि जिन कमियों को वह जानते हैं उन्हें दूर करना प्राथमिकता होगी। इसके साथ ही जो नई चुनौतियां सामने आयेंगी उनका भी त्वरित गति से समाधान किया जायेगा। उन्होंने कहा की यह संयोग ही है कि हिंदी दिवस से ठीक पहले उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है, इससे हिंदी के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
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प्रो.सदानंद गुप्त को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने की सूचना मंगलवार दोपहर मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली। भाषा सचिव ने भी उन्हें फोन पर इसकी जानकारी दी। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भाषा विभाग के तहत काम करता है। अन्य कार्यक्रमों के अलावा हिंदी का प्रचार प्रसार इसकी प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल है। मुख्यमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं। वही इसके कार्यकारी अध्यक्ष और निदेशक की नियुक्ति करते हैं।