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अंदर नाश्ते में खोए रहे BJP नेता, बाहर बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को मिलती रही धमकियां

aman
By aman
Published on: 26 Feb 2018 6:47 PM IST
अंदर नाश्ते में खोए रहे BJP नेता, बाहर बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को मिलती रही धमकियां
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अंदर नाश्ते में खोए रहे BJP नेता, बाहर बुजुर्ग कार्यकर्ताओं को मिलती रही धमकियां

मनोज द्विवेदी

लखनऊ: कोई भी राजनैतिक दल कितना भी दम भर ले की वे सबसे अलग, सबसे जुदा हैं लेकिन सत्ता का दंभ है ही ऐसा कि सिर चढ़कर बोलता है। सोमवार (26 फरवरी) को कुछ ऐसा ही नजारा बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में देखने को मिला। प्रदेश के दूर-दराज के जिलों से आए बुजुर्ग पार्टी कार्यकर्ताओं की अपने नेताओं से मिलने की ख्वाहिश तो अधूरी रही ही, साथ में धमकियां और बदतमीजी की नव संस्कृति भी झेलनी पड़ी। अंत में निराश कार्यकर्ता झुके कंधे और नीची गर्दन लिए अपने गंतव्य को रवाना हो गए।

यह है पूरा मामला

सोमवार को हजरतगंज स्थित प्रदेश बीजेपी कार्यालय में युवा मोर्चा के नए अध्यक्ष सुभाष यादव के पदग्रहण का समारोह था। इसमें नोएडा, जेवर, मेरठ, बुंदेलखंड सहित दूर-दराज के जिलों से सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें कुछ कार्यकर्ता ऐसे भी रहे जो प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय और बीजेपी महामंत्री पंकज सिंह से मिलकर अपनी पीड़ा या शिकायत करना चाहते थे। इन्हें पहले कहा गया कि कार्यक्रम के बाद नेताजी मिलेंगे। ये बेचारे 4 घंटे इंतज़ार किए और कार्यक्रम खत्म हुआ। इसके बाद सभी बड़े नेता कार्यालय के दूसरे मंजिल पर जलपान लेने चले गए। साथ ही इनके ख़ास लोग भी भीतर आसानी से चले गए, लेकिन जब बारी कार्यकर्ताओं की आई तो कार्यालय में ताला जड़ दिया गया और कहा गया कि ऊपर महत्वपूर्ण मीटिंग चल रही है इसलिए आज कोई नहीं मिलेगा।

सुरक्षा गार्ड और कार्यालय अधिकारियों ने दी धमकी

अपनी व्यथा सुनाने जेवर से आए उददे सिंह ने बताया, कि उन्हें पता चला की पीछे के दरवाजे से कुछ लोग अंदर जा रहे हैं, तो वे भागकर शौचालय के सामने वाले छोटे गेट के पास पहुंचे। वहां तैनात निजी सुरक्षाकर्मी ने तुरंत गेट में ताला जड़ दिया। जब ये बुजुर्ग 500 किलोमीटर से आने और जरूरी बात करने की दुहाई देने लगे तो गार्ड और एक कार्यालय अधिकारी ने धमकाते हुए उन्हें वहां से भाग जाने को कहा। इतना ही नहीं इन बुजुर्गों से साथ अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया गया। जबकि उसी गेट से जानने वाले लोग बेरोकटोक अंदर बाहर होते रहे। मायूस कार्यकर्ताओं की आंख में आंसू आ गए और वे कंधे झुकाये, गर्दन नीची किए चारबाग रेलवे स्टेशन का रास्ता पूछ आगे बढ़ गए।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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