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विशेष रिपोर्ट : जब पुलिस अधिकारी ही करेंगे भ्रष्टाचार, तो रोकेगा कौन ?
शारिब ज़ाफरी की विशेष रिपोर्ट
लखनऊ : यूपी में पुलिस अफसरों की मनमानी कहीं ठेकेदारों पर तो कहीं विभाग के जवानो पर भारी पड़ रही है। उन्नाव में चुनाव के दौरान टेन्ट-कुर्सियां उपलब्ध कराने वाले ठेकेदारों का भुगतान करने के बजाये एसपी ने 20 लाख की धनराशि वापस मुख्यालय को भेज दी है, तो रायबरेली में बड़ा घपला सामने आने के आसार बढ़ते नज़र आ रहे हैं। यहाँ चुनाव में ड्यूटी करने वाले जवानो को 150 रुपया ड्यूटी भत्ता नहीं दिया गया और ना ही ये धनराशि मुख्यालय को वापस की गई।
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डीआईजी के निरीक्षण के दौरान 8 लाख का घपला पकड़ा गया है। विधान सभा चुनावों के दौरान उन्नाव पुलिस प्रशासन को बैठने के लिए कुर्सियां और छांव के लिए टेन्ट उपलब्ध कराने वाले ठेकेदारों का भुगतान नहीं किया गया। पुलिस अधीक्षक उन्नाव नेहा पांडेय ने 20 लाख रूपए मुख्यालय को इस नोटिंग के साथ वापस भेज दिए हैं, कि टेन्ट और कुर्सियां उपलब्ध कराने वालों ने बिल उपलब्ध नहीं कराया है, इस कारण भुगतान नहीं किया जा सका है। जिस के बाद ठेकेदारों ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के यहाँ चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं।
दरअसल पुलिस विभाग में भुगतान के लिए जहाँ वर्षों चक्कर लगाने पड़ते हैं। वही चुनाव आयोग ने चुनावी प्रबंधन के लिए समय से धनराशि उपलब्ध करा दी थी। इस मामले में पुलिस उपमहानिरीक्षक लखनऊ प्रवीण कुमार ने एसपी उन्नाव से ठेकेदारों का भुगतान नहीं करनी की वजह पूछते हुवे जवाब तलब किया है।
उन्नाव के अलावा रायबरेली में भी 8 लाख रूपए के गड़बड़झाले का मामला सामने आया है। उन्नाव में जहाँ एसपी ने भुगतान नहीं कर मार्च के आखिर में 20 लाख रूपए वापस मुख्यालय को भेज दिए, वही रायबरेली में बड़े गड़बड़ झाले की बू महसूस की जाने लगी है, यहाँ वित्तीय वर्ष 2015-2016 समाप्त हो जाने के बाद भी 8 लाख की धनराशि न तो खर्च हुई और न ही वापस मुख्यालय को भेजी गई। दरअसल ये धनराशि पुलिस के उन जवानो को दी जानी थी, जिन्हो ने चुनाव के दौरान ड्यूटी की थी। लेकिन 150 रूपए का तय भत्ता जवानो को नहीं दिया गया, इस गड़बड़ झाले का खुलासा आज उस वक़्त हुवा जब पुलिस उपमहानिरीक्षक लखनऊ प्रवीण कुमार निरीक्षण करने रायबरेली पहुंचे।
इस मामले में डीआईजी ने एसपी रायबरेली अब्दुल हमीद से जवाब तलब किया है। साथ ही निर्देश जारी किये हैं कि जवानो को आयोग के निर्देशों के तहत 150 रूपए का भुगतान किया जाए, इस से पहले रायबरेली के ही एक ठेकेदार ने डीजीपी से लेकर सीएम तक एसपी की शिकायत की थी। ठेकेदार ने एसपी रायबरेली अब्दुल हमीद पर 3 लाख का कमीशन नहीं देने पर ठेका निरस्त करने का आरोप लगाया था।