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देवरिया शेल्टर होम- दो पीड़िताओं को पेश करने का निर्देश, सुनवाई 27 को
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया शेल्टर होम की दो पीड़ित व्हिसिल ब्लोअर लड़कियों को 27 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश के चेम्बर में पेश करने का निर्देश दिया है। मुम्बई के उस्मान अली ने एक लड़की को अपनी पत्नी बताते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अभिरक्षा की मांग की है।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया शेल्टर होम की दो पीड़ित व्हिसिल ब्लोअर लड़कियों को 27 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश के चेम्बर में पेश करने का निर्देश दिया है। मुम्बई के उस्मान अली ने एक लड़की को अपनी पत्नी बताते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अभिरक्षा की मांग की है। दूसरी लड़की के परिवार में हुई घटना को लेकर उसे घर जाने की छूट देने की एसएसपी प्रयागराज की रिपोर्ट पर पेश किये जाने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि संभव हो तो पीड़िता तृतीय की मां को भी कोर्ट में लाया जाए।
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मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमसेरी की खण्डपीठ ने एसआईटी को निर्देश दिया है कि संयुक्त निबंधक (न्यायिक) (गोपनीयता) के मार्फत पीड़िता को पेश करे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जानना चाहा कि जब पीड़िता को कोर्ट के आदेश पर गोपनीय स्थान पर रखा गया है। बिना कोर्ट की अनुमति के किसी को उनसे मिलने की छूट नहीं है तो याची ने कैसे संपर्क किया, और कब निकाह किया जिससे वह पीड़िता को अपनी पत्नी होने का दावा कर रहा है। यह भी सवाल उठा कि धर्म परिवर्तन किये बगैर पीड़िता से कैसे निकाह किया गया।
कोर्ट ने इससे पहले उस्मान अली की पारिवारिक स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी थी। उस्मान अली ने बालिग पत्नी को निरुद्धि को अवैध बताते हुए उसे स्वतंत्र किये जाने की प्रार्थना की है और मांग की है कि पीड़िता को कोर्ट में तलब कर उसकी मर्जी देखी जाए और उसे उसकी इच्छानुसार अपने पति के साथ जाने की छूट दी जाए। मामले की सुनवाई 27 फरवरी को होगी। मालूम हो कि देवरिया शेल्टर होम की चार लड़कियों ने पुलिस को होम की लड़कियों को बाहर ले जाकर यौन शोषण का आरोप लगाया। वरिष्ठ अधिवक्ता जी.एस.चतुर्वेदी के पत्र को जनहित याचिका कायम कर दोषियों को न बसाने का आदेश दिया। सरकार ने एसआईटी जांच बैठायी है। कई पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही की गयी है। 26 लड़कियों को बरामदगी कर उन्हें सुरक्षित किया गया है। व्हिसिल ब्लोअर को कोर्ट ने इलाहाबाद -वाराणसी में गुप्त शेल्टर होम में रखा है। उन्हीं में से दो को पेश किया जाना है।
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डीएम को हैसियत प्रमाण पत्र जारी करने का निर्दश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल के जिलाधिकारी को दो हफ्ते में हैसियत प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। याची का कहना है कि काननू के तहत आवदेन दाखिल होने से 30 कार्यदिवस में प्रमाण पत्र जारी किया जाना अनिवार्य है। तीस दिन से अधिक अवधि बीत जाने के बावजूद हैसियत प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है जबकि याची ने अनापत्ति भी दाखिल कर दी है। यह आदेश न्यायामूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार की खण्डपीठ ने भूपेन्द्र सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अरविन्द कुमार मिश्र ने बहस की। याची ने 29 अक्टूबर 18 को अर्जी दी है। अनापत्ति के बाद भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट बार कार्यकारिणी का शपथ आज
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की 28 सदस्यीय कार्यकारिणी 26 फरवरी को तीन बजे शपथ के साथ कार्यभार संभालेगी। एल्डर कमेटी के चेयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता वी.सी.मिश्र ने सभी अधिवक्ता सदस्यों को समारोह में उपस्थित रहने की अपील की है। कार्यक्रम का आयोजन हाईकोर्ट स्थित क्रिकेट मैदान में बने पण्डाल में किया जायेगा। अध्यक्ष राकेश पाण्डेय, महासचिव जे.बी.सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश कुमार मिश्र गांधी सहित सभी नवनिर्वाचित 28 पदाधिकारी कार्यभार संभालेंगे। इनका कार्यकाल कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से एक साल का होगा।
सेवा नियमावली में पेंशन तो प्रशासनिक आदेश से कैसे हो सकता है बदलाव, सुनवाई 27 को
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों की नये पेंशन स्कीम पर राज्य सरकार से पूछा है कि जब कर्मचारी सेवा नियमावली में पेंशन की व्यवस्था है तो सरकार क्या इसे प्रशासनिक आदेश से बदल सकती है। क्या सरकार केन्द्र की योजना को कर्मचारियों की इच्छा के विपरीत अपना सकती है। जब सुप्रीम कोर्ट ने अंशदान को वेतन का हिस्सा माना है तो सरकार उसे शेयर मार्केट में बिना कर्मचारियों की सहमति के कैसे लगा सकती है और शेयर डूबने की स्थिति में क्या सरकार न्यूनतम पेंशन तय करने पर विचार करेगी। कोर्ट ने इन तमाम बिन्दुओं पर राज्य सरकार को अपना रूख स्पष्ट करने का आदेश दिया है और 27फरवरी को हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने हड़ताल के दो दिनों का वेतन पुलवामा शहीदों के परिवार के सहायतार्थ देने पर हामी भरने के बाद कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों को हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार की खण्डपीठ ने कर्मचारी हड़ताल से न्यायिक कार्यवाही में व्यवधान को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि नयी पेंशन स्कीम केन्द्र सरकार की है जिसे 2004 में लाया गया। राज्य सरकार ने इस योजना को 2005 के बाद नियुक्त कम्रचारियों पर लागू करते हुए अपनाया है। केन्द्र की योजना में राज्य सरकार को बदलाव करने का अधिकार नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि योजना बाध्यकारी नहीं थी तो बिना कर्मचारियों की सहमति के राज्य सरकार ने क्यों अपनाया। क्या सरकार अन्य विभागों के अधिकारियों, सांसदों, विधायकों के अंशदान को शेयर मार्केट में लगाया जाना है। सरकार का मानना है कि शेयर में उछाल होने पर सीधा लाभ कर्मचारियों की पेंशन पर पड़ेगा किन्तु कर्मचारी इससे सहमत नहीं है और विरोध कर रहे हैं।
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आबकारी इंस्पेक्टरों की भर्ती रोकने के मामले में आयोग से जानकारी तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2016 की 405 आबकारी पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिवक्ता के.एस.कुशवावहा से सात मार्च तक जानकारी मांगी है। याची का कहना है कि 25 सितम्बर 16 को परीक्षा हो चुकी है किन्तु बिना कारण परिणाम रोक दिया गया है। याचिका में परीक्षा परिणाम घोषित करने तथा चयन प्रक्रिया पूरी करने की मंाग की गयी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने आजमगढ़, गोरखपुर, गाजीपुर व चंदौली के आशुतोष दुबे व आठ अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी ने बहस की। याची का कहना है कि उ.प्र. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ ने 405 आबकारी कांस्टेबलों की भर्ती का 2016 में विज्ञापन निकाला जिसमें लिखित परीक्षा के बाद शारीरिक दक्षता टेस्ट व साक्षात्कार से भर्ती की जानी है। लिखित परीक्षा हुए दो साल छह माह बाद भी परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया जा सका है। याचीगण ने भी आवेदन दिया है। बेरोजगार याचीगण को नौकरी पाने की उम्मीद है। बिना ठोस कारण के भर्ती रोकी गयी है। याचिका की सुनवाई सात मार्च को होगी।
किस अधिकार से सीज किया गेस्ट हाउस, सिटी मजिस्ट्रेट व कोतवाली इंचार्ज से जानकारी तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिटी मजिस्ट्रेट गौतमबुद्ध नगर व थाना इंचार्ज कोतवाली सेक्टर- 24 नोएडा, गौतमबुद्ध नगर से पूछा है कि उन्होंने किस अधिकार से प्रकाश गेस्ट हाउस को जब्त किया है।
याची का कहना है कि अधिकारियों को उसके गेस्ट हाउस को सीज करने का कानूनी अधिकार नहीं है। याचिका में सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश की वैधता को चुनौती दी गयी है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस.एस.शमशेरी की खण्डपीठ ने प्रकाश गेस्ट हाउस व अन्य की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि सराय एक्ट के तहत उस पर कार्यवाही की गयी है जबकि याची ने डीएम को आश्वासन दिया है कि वह गेस्ट हाउस नहीं चलायेगा। इसके बावजूद बिना कानूनी अधिकार के याची के गेस्ट हाउस को सीज कर दिया गया है। याचिका की सुनवाई 26 फरवरी को होगी।