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लखनऊ के प्रथम सभासद ‘भईया जी’ का निधन, सिटी जू को दिलाई थी अंग्रेजियत से आजादी
लखनऊ: राजधानी के वरिष्ठ समाजसेवी राजेंद्र नाथ श्रीवास्तव उर्फ भइया जी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। यह लखनऊ नगर पालिका के पहले सभासद थे। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथी रहे राजेंद्र नाथ ने शहरवासियों के लिए काफी कुछ किया। इसमें लखनऊ के प्राणी उद्यान को अंग्रेजियत से निजात दिलाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।
ऐसे बदला लखनऊ जू का नाम
राजेंद्र नाथ श्रीवास्तव 1935 से राजधानी के नरही इलाके में रह रहे थे। यहीं पर लखनऊ का प्राणी उद्यान भी स्थित है। इसे अपने स्थापना वर्ष 1921 से ‘द प्रिंस ऑफ वेल्स जूलॉजिकल गार्डेन’ के नाम से जाना जाता था। इसके नाम को लखनवी पहचान दिलाने के लिए राजेंद्र नाथ ने अलख जगाई और सरकार को वर्ष 2001 में इसे 'लखनऊ प्राणी उद्यान' करना पड़ा। इस तरह इन्होंने आजादी के 54 सालों बाद लखनऊ प्राणी उद्यान को अंग्रेजियत से आजादी दिलाई।
200 से अधिक सम्मान मिले
राजेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने अपना पूरा जीवन समाजसेवा को अर्पित कर दिया था। इसके चलते उन्हें अपने जीवनकाल में 200 से अधिक सम्मान मिले। यह मदर टेरेसा की संस्था से भी जुड़े रहे। इस संस्था को जमीन दिलवाने में इनकी अहम भूमिका रही। सप्रू मार्ग पर ब्रिटिश ग्रेवयार्ड की जमीन पर कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए मदर टेरेसा होम की स्थापना इनकी ही देन है। सिविल अस्पताल का वास्तविक रूप भी इन्हीं की देन है। वो लखनऊ में 1959 से 1990 पार्षद भी रहे। वे सन 1955 में तत्कालीन राज्यपाल केएम मुंशी की प्रेरणा से लुइसफिशर के सम्पर्क में आये। उनका साक्षरता निकेतन की स्थापना कराने में भी बड़ा योगदान रहा।
समाजसेवा था एक मात्र संकल्प
समाजसेवा के अपने संकल्प के चलते उन्होंने विवाह भी नहीं किया था। इसी माह के पहले सप्ताह में अचानक तबियत खराब होने के बाद से उनको परिजनों ने सिविल अस्पताल में एडमिट कराया था। तब से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। अस्पताल के निदेशक हिम्मत सिंह दानू ने उनके मौत की पुष्टि की। राजेंद्र नाथ श्रीवास्तव को उनके सामाजिक योगदानों के लिए सदैव याद किया जाएगा।