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Sonbhadra News: लखनऊ में फ्लैट देने के नाम पर 35 लाख की ठगी: रेणुकूट कैंप से की गई थी शुरुआत, खंडहर निकला अपार्टमेंट
लखनऊ में अपार्टमेंट के फ्लैट देने के नाम पर एक परियोजना कर्मचारी से लाखों की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित कर्मचारी को पांच फ्लैट देने का झांसा देकर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और फाइनेंस के माध्यम से करीब 35 लाख रुपये हड़प लिए गए।
Sonbhdra News: Photo-Social Media
Sonbhadra News: राजधानी लखनऊ में अपार्टमेंट के फ्लैट देने के नाम पर एक परियोजना कर्मचारी से लाखों की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित कर्मचारी को पांच फ्लैट देने का झांसा देकर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और फाइनेंस के माध्यम से करीब 35 लाख रुपये हड़प लिए गए। जब सालों इंतजार के बाद भी फ्लैट नहीं मिला, तो मौके पर जाकर देखा कि जहां अपार्टमेंट होना था, वहां एक खंडहरनुमा अधबना ढांचा खड़ा है।
पीड़ित की शिकायत पर पुलिस जांच में भी यह पुष्टि हुई है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए उसे ठगा गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आलोक यादव की अदालत ने पिपरी थाना प्रभारी को पोलार्स ग्रुप के डायरेक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है।
2015 में रेणुकूट में लगाए गए कैंप से की गई थी शुरुआत, 18 लाख की हेराफेरी
पीड़ित हिण्डाल्को कर्मचारी दिनेश कुमार सिंह ने अधिवक्ता विकास शाक्य के माध्यम से न्यायालय में प्रार्थनापत्र दाखिल किया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पोलार्स ग्रुप ने रेणुकूट में एक प्रचार कैंप लगाया था। वहां दिनेशमणि तिवारी नामक व्यक्ति ने खुद को लखनऊ के गोमती नगर स्थित आशियाना कॉलोनी का निवासी बताते हुए फ्लैट बुकिंग का प्रस्ताव दिया। उन्होंने प्राजस टावर अपार्टमेंट में फ्लैट नंबर 309 और 311 की कीमत 25 लाख बताई और दो लाख रुपये की बुकिंग राशि ली।
इसके बाद 21.95 लाख रुपये का लोन स्वीकृत कराया गया। फाइनेंस से मिले 13.13 लाख रुपये आरोपी ने हड़प लिए, जबकि बाकी 8.82 लाख रुपये की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई। इसके अतिरिक्त 4.80 लाख रुपये नकद लिए गए। कुल 17.93 लाख रुपये लेकर दोनों फ्लैट का एग्रीमेंट दिया गया, जो बाद में फर्जी पाया गया। जब तक दस्तावेजों के फर्जी होने की जानकारी मिलती, तब तक आरोपी ने ज्यादा निवेश पर ज्यादा मुनाफा का झांसा देकर 23.35 लाख रुपये और ऐंठ लिए। साथ ही एक प्रतिशत सालाना ब्याज और फ्लैट की चाबी सौंपने का वादा किया गया, जो झूठा निकला। इतना ही नहीं, चार साल में पैसा दोगुना करने का लालच देकर 12 लाख रुपये और ले लिए गए। इस तरह कुल ठगी की रकम करीब 35 लाख रुपये पहुंच गई।
अपार्टमेंट निकला खंडहर, पुलिस ने की पुष्टि
वहीं लंबे समय तक इंतजार और टालमटोल के बाद जब पीड़ित मौके पर पहुंचा, तो देखा कि जिस अपार्टमेंट में फ्लैट मिलना था, वह तो एक अधबना खंडहर है। आरोपियों से संपर्क करने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और पैसे भी वापस नहीं किए गए। इसके बाद पीड़ित ने न्यायालय का रुख किया। अदालत के निर्देश पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई, जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि आरोपी पक्ष ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ठगी की है और प्रथम दृष्टया मामला संज्ञेय अपराध का है।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने इस आधार पर पिपरी थाना पुलिस को पोलार्स ग्रुप के निदेशकों दिनेशमणि तिवारी, उषा तिवारी और ब्रजेश त्रिपाठी के खिलाफ मामला दर्ज कर गहन जांच करने का आदेश दिया है।
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