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Sonbhadra News: खनन के साथ क्रशर प्लांटों की स्थापना में बड़ा खेल आया सामने, तथ्यों को छिपाकर जारी की गई थी NOC

Sonbhadra News: वर्ष 2000 में सोनभद्र में नए स्टोन क्रशर प्लांटों के स्थापना पर लगाई गई रोक के बावजूद, तथ्यों को छिपाकर एनओसी जारी किए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 11 Jun 2025 10:45 AM IST
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Sonbhadra News: ओबरा क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी में जहां दो पत्थर खदानों को वर्ष 2021 से डीएम-एसडीएम स्तर से अवैध ठहराए जाने के बाद, उसे वैध बताए जाने का मामला सुर्खियों में है। वहीं, वर्ष 2000 में सोनभद्र में नए स्टोन क्रशर प्लांटों के स्थापना पर लगाई गई रोक के बावजूद, तथ्यों को छिपाकर एनओसी जारी किए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

दो वर्ष पूर्व के इस मामले में भी तत्कालीन डीएम की तरफ से तत्कालीन प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी और वैज्ञानिक सहायक केके मौर्या को जिम्मेदार ठहराते हुए, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन को पत्र भेजकर कार्रवाई की संस्तुति की गई थी। वहीं, विभागीय स्तर पर भी, दी गई एनओसी को निलंबित कर दिया गया था। कहा जा रहा है कि एक बार फिर से संबंधित क्रशर प्लांट की एनओसी बहाल किए जाने की कथित कवायद शुरू कर दी गई है। इसको लेकर सामने आई चर्चा के साथ ही, यह प्रकरण फिर से सुर्खियां बटोरने लगा है।

बतातें चलें कि प्रकरण में कार्रवाई के लिए चार दिसंबर 2023 को तत्कालीन डीएम चंद्र विजय सिंह की तरफ से अपर मुख्य सचिव पर्यावरण को पत्र भेजा गया था। शासन स्तर पर मामला संज्ञान में आने के बाद तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी टीएन सिंह को जहां सोनभद्र से हटा दिया गया था। वहीं वैज्ञानिक सहायक केके मौर्या को भी मुख्यालय से अटैच करते हुए विभागीय कार्यवाही संस्थित किए जाने की बात कही गई थी लेकिन जहां कुछ दिन बाद यह मामला ठंडा पड़ गया। वहीं, वर्ष 2024 में डीएम के तबादले के साथ ही, प्रकरण को लेकर चल रही कथित कार्रवाई भी दब सी गई। अब जब एक बार फिर से यह प्रकरण सुर्खियों में छाने लगा है तो इस मामले में विभागीय तौर पर किस तरह के एक्शन लिए गए, इसको सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी है।

यह था मामला, जिस पर डीएम को लेना पड़ा एक्शन

जुलाई 2023 में किसी ने तत्कालीन डीएम को जानकारी दी कि सिंदुरिया में संचालित एक फर्म की तरफ से क्रशर प्लांट को बिल्ली-मारकुंडी में स्थापित किया जा रहा है। तथ्यों को छिपाकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से, सहमति (जल एवं वायु) की निर्गत कर दी गई थी। इस पर उन्होंने एडीएम नमामि गंगे को जांच सौंपी।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक यूपीपीसीबी से 14 सितंबर 2015 को जारी सहमति आदेश, प्रश्नगत उद्योग की निरीक्षण आख्या 05 नवंबर 2016, अंतर्विभागीय समिति की सत्यापन आख्या, क्षेत्रीय कार्यालय के जरिए गठित संयुक्त समिति की स्थलीय जांच आख्या छह मार्च 2019, ऑनलाईन प्रेषित आवेदन के साथ अपलोड 28 मई 2022 को निष्पादित नोटिरियल साझेदारी अनुबंध पत्र, निरीक्षण आख्या चार जुलाई 2022 के परीक्षण से सामने आया कि तत्कालीन वैज्ञानिक सहायक ने चार जुलाई 2022 की निरीक्षण आख्या में जानबूझ तथ्यों को छिपाया गया और तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी की तरफ से, इससे पूर्व के आख्या-दस्तावेजों में वर्णित तथ्यों का परिशीलन किए बगैर निरीक्षण आख्या स्वीकृत कर ली गई और संबंधित फर्म राजीव ग्रामोद्योग को 06 जुलाई 2022 को सहमति (जल एवं वायु) आदेश जारी कर दिया गया।

एनजीटी के निर्देशों की भी पाई गई थी अनदेखी

डीएम की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट से जो चीजें सामने आईं, उसके मुताबिक एनजीटी की तरफ से 28 अगस्त 2018 को पारित निर्णय और उस निर्णय के क्रम में गठित ओवर साईट कमेटी की ओर से निर्गत निर्देशों की भी अनदेखी की गई। डीएम का कहना था कि प्रकरण में संबंधितों ने शासकीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही तो बरती ही, उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के प्रतिकूल आचरण प्रदर्शित किया। उनके इस कृत्य ने यूपीपीसीबी के साथ जिला प्रशासन की भी छवि धूमिल की। बताया गया कि 25 जुलाई 2000 को शासन की तरफ से जारी पत्र में सोनभद्र-सिंगरौली क्षेत्र में नए स्टोन क्रशर की स्थापना-संचालन की अनुमति देने पर स्पष्ट तौर पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।

इन-इन कार्रवाई की हुई थी संस्तुति

डीएम की तरफ से, मामले में जहां छह सितंबर 2023 को प्रेषित पत्र में जहां क्षेत्रीय अधिकारी और वैज्ञानिक सहायक को बरती गई गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं, चार दिसंबर 2023 को भेजे गए पत्र में उपलब्ध हुई जांच आख्या को दृष्टिगत रखते हुए वैज्ञानिक सहायक को निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित किए जाने की संस्तुति की गई थी। इस मामले में विभागीय स्तर पर क्या-क्या कार्रवाई हुई और वर्तमान में इस प्रकरण की क्या स्थिति है?

इसके बारे में जानकारी के लिए यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव संजीव सिंह से संपर्क साधा गया तो वह व्यस्त मिले। वहीं क्षेत्रीय अधिकारी आरके सिंह का कहना था कि पूर्व में इस मामले में वह अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई कर चुके हैं। तहां तक संबंधित स्टोन क्रशर की एनओसी बहाल किए जाने की चर्चा हो रही है, उसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। अगर उनके सामने ऐसी कोई पत्रावली आती है तो निर्धारित नियम-निर्देशों के क्रम में ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। किसी भी रूप में विभागीय निर्देशों-नियमों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी।

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Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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