Sonbhadra News: म्योरपुर ब्लॉक के गोविंदपुर स्थित बनवासी सेवा आश्रम के विचित्र महाकक्ष में आयोजित दो दिवसीय ग्राम स्वराज्य सम्मेलन का जहां बृहस्पतिवार की देर शाम समापन हो गया। वहीं, इस दौरान सोनभद्र की भू संपदा को अनियंत्रित दोहन से रोकने के लिए आवाज उठाई गई। प्रकृति के संरक्षण के लिए स्वार्थ का त्याग जरूरीकार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात चिंतक पं. अजय शेखर ने कहा की जल, जंगल, जमीन, पहाड़, नदियां किसी की जागीर नहीं हैं। प्रकृति ने खुले हाथों से आमजनमानस के लिए यह सौगात भेंट की है। इसलिए इसके अनियंत्रित दोहन को रोकने के लिए जनता को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति और मानव सृष्टि को बचाने के जरूरी है कि स्वार्थ का त्याग किया जाए। मुख्य अतिथि डॉ. चंद्रशेखर प्राण ने कहा कि ग्राम स्वराज के लिए जरूरी है कि महात्मा गांधी की तरफ से ग्राम स्वराज्य के लिए निर्धारित 12 मूल सिद्धांतों पर पंचायतें काम करने के लिए आगे आएं। कहा कि बगैर सही दिशा-सही लक्ष्य के काम का कोई अर्थ नहीं निकला। 50 वर्षाे से पंचायतों की मजबूती की बात हो रही है लेकिन लक्ष्य विहीन कार्य से पंचायतों को मजबूत-खुशहाल बनाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।पद्मश्री एवं हिवेरे बाजार के प्रधान पोपट पवार ने उनकी ग्राम पंचायत दुनिया के निगाह में तभी आई जब उनके गांव के बाशिंदों और पंचायत दोनों ने मिलकर ग्राम सभा को सशक्त और खुशहाल बनाने की सोच और सपने पर ईमानदारी से काम किया। डीपीआरओ विशाल सिंह ने गांधी के सपनो के ग्राम स्वराज में रंग भरने के लिए सहभागिता के आधार पर योजना को जरूरी बताया। कहा कि वह पंचायतों से इस बात की अपील भी कर रहें हैं कि किसी भी योजना को बनाने तथा इसके क्रियान्वयन में सभी को साथ लेकर चलें, ताकि सही विकास हासिल किया जा सके। युवाओं-महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का हो प्रयासआश्रम संचालक शुभा प्रेम ने पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए युवाओं-महिलाओं का स्वावलंबी होना जरूरी बताते हुए कहा कि सोनभद्र की 37 ग्राम पंचायतों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयरित कर, यहां के युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने, बीएचयू के सहयोग से उन्नत बीज वितरण-बेहतर फसल उत्पाद, कंपोस्ट खाद-जैविक खेती के प्रयोग को बढ़ावा देने, महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाने का प्रयास जारी है।जल-जंगल का सही उपयोग देगा आर्थिक मजबूतीनाबार्ड डीडीएम अमित कुमार पांडेय ने कहा कि वर्षा जल प्रबंधन कर हम सूखे का आसानी से सामना कर सकते है। एनसीएल बीना के प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा की जल-जंगल का सही उपयोग समाज को आर्थिक मजबूती देगा। 2045 तक शून्य प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की भी जानकारी दी।प्रकृति के दोहन रोकने में ग्रामीणों की सहभागिता जरूरीबिहार राज्य के पूर्व कृषि मंत्री और वर्तमान विधायक सुधाकर ने कहा कि प्रकृति के दोहन को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों में ग्रामीणों की भागीदारी जरूरी है। उनकी सहभागिता से ही जल-जंगल-जमीन का संरक्षण और पौधरोपण जैसे कार्यक्रम सफल बनाए जा सकते हैं। मोहन शुक्ला, नीलम सिंह, जागृति राही ने ग्रामीण विकास पर रोशनी डाली। प्रदूषण नियंत्रण-राहत के लिए हो ईमानदारी से प्रयासराम नारायण और सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने सोनभद्र में प्रदूषण की समस्या पर ध्यान आकृष्ट कराया। इस पर नियंत्रण और इससे राहत के लिए ईमानदारी से प्रयास की जरूरत जताई। रिहंद के पानी में मरकरी जैसे खतरनाक रसायन की पुष्टि के बावजूद, उसके अध्ययन और ट्रीटमेंट की समुचित व्यवस्था किए बगैर, रिहंद आधारित हर घर नल योजना पर सवाल उठाए। कहीं यह योजना लोगों को प्रदूषण से राहत की बजाय, दंश का सबब न बन जाए, इस पर ध्यान देने की मांग भी की।लोकनृत्य-नुक्कड़ नाटक रहे आकर्षणकार्यक्रम में आदिवासी लोकनृत्य सैला और आओ खोजे अपनी सरकार नामक नुक्कड़ नाटक आकर्षण का केंद रहे। डा. रागिनी बहन की पुण्य तिथि पर उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प जताते हुए सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।आयोजन में इनकी रही प्रमुख मौजूदगीडॉ. विभा, बसिंत भाई, नाशिम अंसारी, कन्हैया, अनिल केशरी, प्रभु सिंह एडवोकेट, अवध नारायण, प्रधान मंजू देवी, सत्यनारायण यादव, जगतनारायण, रमेश, राम विचार गौतम, देवनाथ सिंह सहित अन्य की मौजूदगी बनी रही।