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ओबरा डी को एनसीएल से नहीं मिला कोयला, महंगी पड़ेगी बिजली
Sonbhadra News: कोयला मंत्रालय को भेजा गया पत्र, बोले एमडी-मंजूरी का हो रहा इंतजार
Sonbhadra News (Social Media)
Sonbhadra News: 1600 मेगावाट वाली ओबरा डी परियोजना को अगर एनसीएल से कोयला लिंकेज उपलब्ध नहीं कराया गया तो यहां उत्पादित होने वाली बिजली, राज्य सेक्टर की अन्य परियोजनाओं के परिप्रेक्ष्य में महंगी पड़ेगी। इसको देखते हुए, राज्य सरकार की तरफ से केंद्रीय कोयला मंत्रालय, को एनसीएल से, ओबरा डी के लिए कोयला लिंकेज की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है। ओबरी के कार्य में तेजी लाई लाए, इसके लिए, केंद्रीय मंत्रालय को भेजे गए पत्र पर मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
ओबरा परियोजना के ब तापगृह में आग लगने की घटना को लेकर ओबरा पहुंचे राज्य विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ रूपेश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि 1600 मेगावाट वाली ओबरा डी परियोजना के स्थापना का कार्य जल्द शुरू हो, इसको लेकर कवायद की जला रही है। कोयला लिंकेज की उपलब्धता के सवाल पर कहा कि कोयला मंत्रायल की तरफ से सीसीएल और एससीसीएल से ओबरा डी को कोयला देने की बात कही जा रही थी लेकिन व्यवहारिक तौर पर इस परियोजना के लिए, यह कवायद महंगी पड़ने के कारण, कोयला मंत्रालय को अनुरोध पत्र भेजा गया है कि, ओबरा डी के लिए कोयला लिंकेज उपलब्ध कराने के लिए एनसीएल से लिंकेज उपलब्ध कराया जाए। कहा कि ऐसा न करने पर ओबरा डी से उत्पादित होने वाली बिजली, ओबरा की दूसरी परियोजना से महंगी पड़ेगी। कहा कि जैसे एनसीएल से कोयला लिंकेज की मंजूरी मिलती है, वैसे ही ओबरा डी के कार्य में तेजी से कवायद आगे बढ़नी शुरू हो जाएगी। परियोजना के लिए पानी की उपलब्धता पर कहा कि ओबरा डैम से परियोजना को पानी उपलब्ध कराने से जुड़ी प्रक्रियाओं का पालन कराया जा रहा है। बता दें कि सोनभद्र में जितनी भी बिजली परियोजनाएं संचालित हैं सभी को कोयले की उपलब्धता एनसीएल से सुनिश्चित होती है। ऐसे में दूसरी जगह से कोयले की उपलब्धता बिजली लागत तो बढ़ाएगी ही जरूरत अनुसार उपलब्धता को लेकर भी दिक्कत की स्थिति सामने आ सकती है।
जल्द ही ओबरा सी की दूसरी इकाई से शुरू होगा पूरी क्षमता से उत्पादन
ओबरा सी की दूसरी इकाई से पूरी क्षमता से कामर्शियल विद्युत उत्पादन शुरू किए जाने के सवाल पर एमडी ने कहा कि इकाई के एक्चयूएटर में खराबी के कारण उत्पादन 550 मेगावाट से अधिक नहीं पहुच पा रहा है। जैसे ही इसकी उपलब्धता सुनिश्चित होती है, वैसे ही इकाई को पूरी क्षमता से कामर्शियल लोड पर लेने की कवायद शुरू कर दी जाएगी। इस दौरान निदेशक तकनीकी अश्विनी त्रिपाठी, परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक आरके अग्रवाल की भी मौजूदगी बनी रही।
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